Ranchi: 'कितने पाकिस्तान' मानवता के दरवाजे पर इतिहास और समय की दस्तक है.. इस उम्मीद के साथ कि भारत ही नहीं दुनिया भर में एक के बाद एक दूसरे पाकिस्तान बनने की लहू से लथपथ यह परंपरा अब खत्म हो... कमलेश्वर का लिखा और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित 'कितने पाकिस्तान' उपन्यास रांची के पुस्तक प्रेमियों के बीच चर्चा के केंद्र में है. 'रजिस्टर्ड नं. 1038' यानी नक्सल आंदोलन के निरर्थक पडऩे की व्यथा-कथा. नक्सल आंदोलन में बिखराव और बेनिशान होने की त्रासदी झेलनेवाले नौजवानों की कथा.. फेमस राइटर महाश्वेता देवी की सशक्त लेखनी और लेखन-कर्म की प्रतिबद्धता को उजागर कराता उपन्यास. जिला स्कूल मैदान में चल रहे नेशनल बुक फेयर में राजपाल और समय प्रकाशन के स्टॉल पर यह दोनों उपन्यास रांची के लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं.

आज है लास्ट डे
नेशनल बुक फेयर का आज लास्ट डे है। अगर आप देश-विदेश की फेमस किताबों से रू-ब-रू होकर उन्हें घर लाना चाहते हैं, तो आज आपके लिए अंतिम मौका है। क्योंकि किताबों का यह मेला आज रुख्सत हो जाएगा।

रैंप पर भी दिखा धमाल
नेशनल बुक फेयर में सैटरडे को फैशन शो की परंपरा से अलग हटकर बुक फैशन शो हुआ। प्रोग्र्राम में रैंप पर सौंदर्य और किताबें छाई रहीं। विभिन्न ड्रेस में सजे यूथ ने बुक्स को साथ लेकर रैम्प पर चलते हुए समां बांध दिया। दस दिनों तक चलनेवाले नेशनल बुक फेयर में कविता कहानी सुनाओ कॉम्पटीशन, पेंटिंग कॉम्पटीशन, फोक डांस, लाफ्टर चैलेंज और डांस कॉम्पटीशन के विनर्स को सैटरडे को सम्मानित किया गया। इस मौके पर यूथ की खासी भागीदारी देखने को मिली। हर कोई अपने तरीके से बुक फेयर को एंज्वॉय करता नजर आया।

फिल्म का प्रदर्शन
नेशनल बुक फेयर में दिखाई जा रही डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की कड़ी में सैटरडे की शाम भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित 'उल गुलान: एक क्रांति फिल्म दिखाई गई। इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया।

Posted By: Inextlive