रांची: सावन की पहली सोमवारी पर कोरोना संक्रमण के गाइडलाइन के बीच श्रद्धालुओं ने भगवान महादेव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना की। पहाड़ी मंदिर सहित तमाम बड़े मंदिरों में आम भक्तों का प्रवेश वर्जित रहा। गली-मुहल्लों के मंदिरों में सुबह के समय श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली लेकिन प्रशासन ने जब सख्ती दिखायी तो मंदिर के द्वार बंद कर दिए गए। श्रद्धालु बाहर से ही महादेव का जलाभिषेक कर लौट गए। इधर, पहाड़ी मंदिर के बंद रहने की सूचना के बावजूद प्रात: तीन बजे से ही श्रद्धालु प्रवेश द्वार के समीप जुटने लगे।

5 बजे तक भीड़

सुबह पांच बजे तक काफी भीड़ हो गई थी। भीड़ को हटाने के लिए दंडाधिकारी और पुलिसकर्मियों को मशक्कत करनी पड़ी। 5.30 बजे एसडीओ खुद दलबल के साथ निरीक्षण करने पहुंचे। बाहर से ही पहाड़ी बाबा का स्मरण कर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। दोपहर तक श्रद्धालु आते रहे। वहीं, प्रशासनिक सख्ती के कारण सरकारी पूजा में भी सीमित लोग ही शामिल हुए। मंदिर के कोषाध्यक्ष अभिषेक आनंद ने बताया कि प्रात: 4.30 बजे सरकारी पूजा हुई। देर शाम तक 5,359 श्रद्धालुओं ने पहाड़ी बाबा का ऑनलाइन दर्शन किया। 14 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन रुद्राभिषेक कराया और नौ श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा करायी।

दिल के मंदिर में करता हूं शिव की पूजा

शिव बारात आयोजन समिति के अध्यक्ष आर्यापुरी निवासी राजेश कुमार साहू पहाड़ी बाबा के बड़े भक्त हैं। कहते हैं पिछले 15 सालों में रांची में रहे और सुबह में पहाड़ी बाबा का पूजा न किया ये संभव नहीं है। दर्शन किए बिना दिल ही नहीं मानता। खासकर सावन में तो तीसों दिन बाबा की सेवा करने पहुंचते रहे। दो सालों से सावन में बाबा का दर्शन का सौभाग्य नहीं मिल रहा। घर में ही बाबा का स्मरण कर पूजा करते हैं। भगवान जल्द कोरोना रूपी विपदा से मुक्ति दिलाएं।

मेट्रो रोड निवासी राजकुमार तलेजा पिछले 35 सालों से सावन में देवघर जाते हैं। कहते हैं हर हर महादेव के जयकारे के बीच 100-150 श्रद्धालुओं का जत्था जब देवघर के लिए निकलता तो दिल का रोम-रोम पावन हो जाता था। मन हर्ष से भर उठता। महामारी के कारण देवघर नहीं जा पा रहे हैं इसका दुख तो है लेकिन दिल के मंदिर में ही महादेव की आराधना कर संतुष्ट हो जाता हूं। कहते हैं 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' स्थिति जब सामान्य होगी तो फिर से देवघर की यात्रा होगी।

रातू रोड निवासी दीपक नंदा पंजाबी समाज हैं लेकिन भगवान भोलेनाथ में बड़ी आस्था है। सावन का उल्लेख करते हुये कहते हैं, मुहल्ले से दर्जनभर से ज्यादा इष्ट मित्रों के साथ प्रत्येक साल देवघर जाते थे। इन दो सालों में आस्था और पूजा के तौर तरीका भी बदल सा गया। देवघर तो नहीं जा पा रहे पर जब भी मौका मिलता है नजदीक के ही शिवालय में जलाभिषेक कर आते हैं। बाबा पर भरोसा है जल्द इस विपदा से मुक्ति मिलेगी।

Posted By: Inextlive