RANCHI:राजधानी में पांच नाबालिगों की कोख पर कोरोना का खतरा मंडराने लगा है। कांके स्थित स्नेहाश्रय नारी निकतन में रह रही इन पांचों नाबालिगों की डिलीवरी आने वाले 15 दिनों के भीतर होनी है। ऐसे में इन नाबालिगों को किस अस्पताल में भर्ती कराया जाए यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। सदर अस्पताल सील कर दिया गया है, जबकि रिम्स में कोविड-19 के संक्त्रमण का प्रकोप फैला हुआ है। रिम्स के प्रसव विभाग में कुछ दिनों पूर्व ही एक कोरोना पॉजिटिव मरीज की डीलीवरी हुई है। इसके बाद पूरे विभाग के डॉक्टर्स, नर्स और अन्य सफाई कर्मियों की कोविड-19 जांच की जा रही है। ऐसे में वहां नाबालिगों की डिलीवरी करना एक चुनौती बन गया है। अब डिलीवरी कहां कराई जाए यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है और ना ही इसपर विभाग कोई निर्देश दे रहा है।

बढ़ जाएगी परेशानी

इस समय स्नेहाश्रय नारी निकेतन में 42 महिलाएं हैं। इनमें पांच नाबालिग समेत 6 लड़कियां प्रेग्नेंट हैं। इनके अलावा कुछ महिलाओं ने कुछ दिनों पूर्व ही बच्चों को जन्म दिया है। थोड़ी सी भी गलती से ये सारे लोग

कोरोना की चपेट में आ जाएंगे। इसके बाद समस्या विकराल हो जाएगी।

रेप पीडि़ता हैं नाबालिग

पहले ही रेप जैसे जघन्य अपराध की शिकार बनी इन नाबालिगों का दर्द अब और बढ़ गया है। रांची, लातेहार, कोलकाता से जिन मासूमों को रेस्क्यू कर यहां लाया गया, एक बार फिर उनकी जान दांव पर है। कोख में लगभग नौ माह के मासूम को नई जिंदगी देने जा रही इन नाबालिगों में दहशत हावी है। इनके साथ अस्पताल में एक अटेंडेंट भी रखना होगा। कोरोना के इस दौर में हर व्यक्ति दहशत में है। ऐसे में इनके साथ रहनेवाले पर भी खतरा बढ़ जाएगा।

नहीं आई कोरोना रिपोर्ट

लातेहार से करीब एक सप्ताह पहले एक नाबालिग प्रेग्नेंट लड़की को सीडब्ल्यूसी लातेहार ने निकेतन में भेजा है। इस लड़की का कोरोना टेस्ट का सैम्पल लिया गया है, लेकिन रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। 25 लड़कियों की

क्षमता वाले नारी निकेतन में 42 मौजूद हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करने में भी दिक्कत है।

नहीं है एंबुलेंस

सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर देर रात किसी नाबालिग को लेबर पेन होता है तो ऐसी स्थिति में उसे अस्पताल तक ले जाना मुश्किल हो जाएगा। नारी निकेतन में एंबुलेंस नहीं है और लॉकडाऊन के दौरान कोई भी गाड़ी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाएगी।

कोख में मरा नवजात

कुछ दिनों पूर्व ही हिंदपीरी इलाके में लॉकडाउन के कारण एक नवजात की कोख में ही मौत हो गई। महिला को लेबर पेन होने पर अस्पताल तक पहुंचाया नहीं जा सका। इस वजह से घर पर डिलीवरी कराई गई थी। ऐसे में बच्चे को बचाया नहीं जा सका।

नहीं हैं पैसे

निकेतन के पास धनराशि की भारी कमी है। ऐसे में इन नाबालिग बच्चियों का ईलाज निजी अस्पतालों में नहीं कराया जा सकता है। सरकारी अस्पताल में ही प्रसव कराना ही एक ऑप्शन है, लेकिन इसके खतरे पर किसी का ध्यान नहीं है।

लापरवाही चरम पर

निकेतन समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है। विभाग की लापरवाही इस कदर है कि सारी जानकारी के बावजूद आंखों और मुंह पर पट्टी बांधे हुए है। ना ही कोई विकल्प बताए जा रहे हैं और ना ही कोई निर्देश जारी किया गया है।

समस्या काफी गम्भीर है। हमलोग प्रयास कर रहे हैं कि विभाग और सरकार से मदद मिले और रिम्स या सदर अस्पताल के स्थान पर कांके से नजदीक ही कहीं अस्पताल में नाबालिगों के प्रसव की व्यवस्था की जा सके।

-रूपा वर्मा, चेयरमैन, सीडब्ल्यूसी

Posted By: Inextlive