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RANCHI(4 श्रष्ह्ल) : बड़े नक्सली नेता महिलाओं को जबरन बंधक बनाकर यौन शोषण करते हैं। विरोध करने पर अपमानित करने के साथ यातना दी जाती है। यहां तक कि जान से मारने तक की भी धमकी दी जाती है। यह खुलासा किया है दो लाख की ईनामी भाकपा माओवादियों के चांडिल एरिया की जोनल कमांडर सोनिया कुमारी उर्फ सोनिया मुंडा ने। मंगलवार को उसने पुलिस हेडक्वार्टर में सोनिया ने सरेंडर कर दिया। इस मौके पर हार्डकोर नक्सली हरि सिंह मुंडा, सुरजीत मुंडा उर्फ दीपक और लखन सिंह मुंडा ने भी अपने हथियार सौंप दिए।

मिले डेढ़ लाख रुपए

ऑपरेशन नई दिशा के तहत सरेंडर करने वाले इन चारों नक्सलियों को नकद पचास-पचास हजार और एक-एक लाख रुपए के चेक सौंपे गए। इस मौके पर डीजीपी डीके पांडेय, एडीजी अजय भटनागर, डीआईजी रविकांत धान, आईजी अरूण कुमार, आईजी ऑपरेशन एमएस भाटिया, डीआईजी प्रिया दूबे, आईजी आशीष बत्रा, खूंटी एसपी अनीश कुमार गुप्ता मौजूद थे।

पहले बनाती थी खाना, फिर चलाने लगी हथियार

खूंटी जिले के अड़की थाना एरिया के इंदीपीढ़ी मोसांगा की रहने वाली सोनिया बताती हैं- 2009 में कुंदन पाहन दस्ते के लिए टिफिन पहुंचाने जंगल गई थी। लौटने में शाम हो गई तो दस्ते के सदस्य अपने साथ ले गए। संगठन में शुरु में खाना बनाने का जिम्मा मिला, लेकिन बाद में हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद माओवादियों के चांडिल जोन का जिम्मा सौंप दिया गया। इस बीच नक्सली कृश मुंडा से दोस्ती हो गई। फिर, 13 अगस्त, 2013 को हम दोनों ने शादी रचा ली। लेकिन, संगठन में जिस तरह महिलाओं का शोषण हो रहा था, उससे तंग आ गई थी। ऐसे में इस साल 28 अगस्त को संगठन छोड़कर भाग निकली। मुख्यधारा में लौटने के लिए ही सरेंडर किया है। क्लास तीन तक की पढ़ाई करने वाली सोनिया ने कहा कि वह पुलिस में भर्ती होना चाहती हूं।

टिफिन पहुंचाता था, बन गया माओवादी

सरेंडर करने वाला सुरजीत मुंडा उर्फ दीपक भी खूंटी के अड़की थाना एरिया के सोसोकुटी का रहने वाला है। उसने बताया- 2006 में माओवादियों का एक दस्ता गांव के करीब के एक जंगल में रुका था। माओवादियों ने गांव वालों को खाना पहुंचाने का फरमान जारी किया था। मैं भी नक्सलियों को हर दिन खाना पहुंचाने के लिए जाता था। इसी दौरान माओवादियों ने संगठन में शामिल कर लिया। इसके बादभाकपा माओवादी के पोड़ाहाट सब जोन, दशम फॉल एरिया कमिटि तथा चलकद एरिया कमिटि में कई सालों तक सक्रिय रहा।

तीन सालों में कई कांडों को दिया अंजाम

2013 में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी में शामिल हुआ था। कुंदन पाहन के दस्ते ने पोड़ाहाट जंगल में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी। इसके बाद चंदन मुंडा दस्ते के साथ काम करने के लिए भेज दिया गया। पिछले तीन सालों में माओवादियों के कई वारदातों में शामिल था। यह कहना है सरेंडर करने वाले माओवादी लखन सिंह मुंडा का। उसने बताया कि पिछले साल 18 अगस्त को लादुप में रांची पुलिस और माओवादियों के बीच हुए मुठभेड़ में भी शामिल रहा था। इसमें तत्कालीन एसएसपी को भी गोली लगी थी। इसी वारदात में गोली लगने से दाहिने हाथ की मेरी भी तीन अंगुली उड़ गई। एनकाउंटर के दौैरान पुलिस ने सरेंडर करने को भी कहा था, लेकिन नक्सली चंदन मुंडा ने हमें जवाबी फायरिंग करने को कह दिया था। उसने बताया कि वह एसएलआर चलाने में माहिर है।

कुंदन आया और जबरन ले गया साथ में

हरि सिंह मुंडा अड़की थाना क्षेत्र के बरीगढ़ा गांव का रहनेवाला है। उसने बताया कि वह गांव में ही शिकार करने के मकसद से भरठिया बंदूक बनाता था। 2009 में कुंदन पाहन खुद मेरे पाया आकर साथ चलने को कहा। मैंने साथ नहीं जाने को लेकर उसके पास काफी गिड़गिड़ाया, लेकिन उसने कुछ भी नहीं सुना। इस तरह एक हार्डकोर नक्सली बन गया। संगठन में एसएलआर और रायफल जैसे हथियारों के रख-रखाव व साफ की जिम्मेवारी दी गई। सात सालों तक माओवादियों के चंगुल में रहा। कइ बार भागने की कोशिश की, लेकिन डर से नहीं भाग सका।

जिंदा है कुंदन पाहन

सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने बताया कि माओवादी कुंदन पाहन अभी जिंदा है। उसने अपने मारे जाने की अफवाह खुद उड़ाई थी, ताकि पुलिस के साथ पीडब्ल्यूजी ग्रुप के नक्सली उसकी तलाश करना छोड़ दें। वह संगठन के पांच करोड़ रुपए भी उड़ा चुका है। ऐसे में बचने के लिए ही उसने अपनी मौत का ढोंग रचा था। वह फिलहाल अड़की से पोड़ाहाट एरिया में सक्रिय है।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर मामले व ईनाम

नक्सली मामले ईनाम

सोनिया मुंडा पांच दो लाख

हरि सिंह मुंडा दो एक लाख

सुरजीत सिंह मुंडा दो एक लाख

लखन सिंह मुंडा तीन एक लाख

Posted By: Inextlive