RANCHI: राज्य में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से बैंक में करोड़ों रुपए का घोटाला हो रहा है। बता दें कि देश का बैंकिंग सिस्टम उसकी अर्थव्यवस्था की नींव होता है। बैंकों को ज्यादा नुकसान होने से देश के हर एक शख्स पर फर्क पड़ता है, क्योंकि बैंकों में जमा राशि देश के नागरिकों की होती है। लोग सेविंग करके बैंकों में छोटा-बड़ा निवेश करते हैं। वहीं कई बड़े कारोबारी जनता के पैसे लेकर फरार हो जाते हैं। हाल के महीनों में राज्य में हुए कई बैंक घोटाले इसका ताजा उदाहरण हैं। लेकिन इसके साथ ही साथ बैंक फ्राड के मामलों में बैंक अधिकारियों और कर्मियों की संलिप्तता भी सामने आते जा रही है। पुलिस गिरफ्त में चढ़े साइबर फ्राड से पुलिस को मिली जानकारियों के अनुसार कई बार उन्हें कस्टमर का डाटा किसी बैंक कर्मी के सहयोग से ही मिला होता है।

साइबर सेल अलर्ट

साइबर फ्राड के मामलों की जांच कर रही साइबर सेल टीम अलर्ट पर है। हाल के दिनों में लॉटरी से लेकर नम्बर गेम तक का झांसा देकर लोगों को बेवकूफ बनाया गया है। मामले की जांच में यह साफ हुआ है कि साइबर अपराधियों के पास जो कस्टमर्स का डाटा है वह किन स्रोतों से आता है। इस क्रम में बैंक कर्मियों की मिलीभगत के भी साफ प्रमाण मिल चुके हैं।

चर्चित घोटालों के मास्टरमाइंड निकले हैं बैंक अधिकारी

को-ऑपरेटिव बैंक सरायकेला में अधिकारियों की मदद से 38 करोड़ का लोन घोटाला

को-ऑपरेटिव बैंक की सरायकेला ब्रॉन्च में साल 2011 से लेकर 2016 तक बैंक अधिकारियों की मदद से 38 करोड़ का लोन घोटाला हुआ है। विभागीय जांच के बाद इस मामले में अगस्त 2019 में सरायकेला के संजय डालमिया समेत अन्य बैंककर्मियों को आरोपी बनाया गया। बैंक की ओर से मॉर्गेज रखे गए कागजात से अधिक की लोन राशि स्वीकृत कर दी गई थी। बाद में लोन एनपीए हो गया था। पूरे मामले में एक दर्जन से अधिक बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। अब तक इस मामले में तीन लोग जेल जा चुके हैं। जांच के बाद सरायकेला के शाखा प्रबंधक सुनील कुमार सतपति, सहायक मदन लाल प्रजापति, तत्कालीन मैनेजर वीरेंद्र कुमार, क्षेत्रीय कार्यालय चाईबासा में पदस्थापित एजीएम, तत्कालीन लेखाकार शंकर बंदोपाध्याय,चाईबासा क्षेत्रीय कार्यालय के तत्कालीन एमडी मनोजनाथ शाहदेव, तत्कालीन एजीएम मुख्यालय संदीप सेन, सीईओ बृजेश्वर नाथ और संजय कुमार डालमिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

नियमों को ताक पर रख 2.50 करोड़ लोन दिया

झारखंड को-ऑपरेटिव बैंक सरायकेला में नए घोटाले का खुलासा हुआ है। यह खुलासा बैंक मुख्यालय द्वारा गठित जांच कमिटी ने किया था। जांच में पाया गया कि बैंक अधिकारियों ने निजी स्वार्थ के लिए नियमों को ताक में रख 2.50 करोड़ का ऋण एक ही व्यक्ति विजय कुमार सिंह को दे दिया। यह कर्ज पिछले वर्ष 11 मार्च 2019 को दिया गया था, जिसके बाद अभी तक बैंक को कर्ज की कोई वापसी नहीं हो पाई है। इस मामले को लेकर सरायकेला शाखा प्रबंधक दिनेश चंद्र गगराई ने तीन लोगों को मुख्य आरोपित पाया। उन्होंने तत्कालीन महाप्रबंधक सुशील कुमार, शाखा प्रबंधक प्रदीप कुमार सामल और लोन लेने वाले विजय कुमार सिंह पर सरायकेला में ही प्राथमिकी दर्ज कराई।

10.50 लाख रुपए कैश लेकर ब्रांच मैनेजर फरार, करोड़ों की हेराफेरी की आशंका

दुमका जिले में एसबीआइ के शिकारीपाड़ा शाखा प्रबंधक मनोज कुमार बड़ी राशि की हेराफेरी कर फरार हो गए हैं। वह 10.50 लाख रुपए नकद लेकर 4 सितंबर को बैंक से चले गए। एक करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी किए जाने की आशंका है। इधर, शिकारीपाड़ा के प्रखंड के पलासी पंचायत के राजबांध गांव के पिंटू दत्ता ने शिकारीपाड़ा थाना में लिखित शिकायत कर अपने खाते से 86 लाख रुपए किसी दूसरे के खाता में ट्रांसफर किए जाने का आरोप लगाया है। ग्राहक पिंटू दत्ता ने पुलिस को जो लिखित शिकायत की है उसमें तीन बार में 86 लाख रुपए उसके खाते से गायब किए जाने का आरोप लगाया है। उसने पुलिस को शिकायत की है कि दो बार 27-27 लाख रुपए और एक बार 32 लाख रुपए का ट्रांसफर उनके खाते से दूसरे खाते में किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक, डबल एंट्री वाउचर के आधार पर यह हेराफेरी बैंक मैनेजर ने की है। ग्राहक पिंटू दत्ता ने 3 सितंबर को ही पुलिस में शिकायत की थी।

पुलिस टीम की मींटिंग जल्द ही बैंक के अधिकारियों के साथ होगी, जिसके बाद उन्हें साइबर सुरक्षा से लेकर अन्य आवश्यक जानकारियां दी जाएंगी। साथ ही साथ समस्याओं से भी पुलिस रूबरू होगी।

सुरेन्द्र झा, एसएसपी, रांची

Posted By: Inextlive