RANCHI:राजधानी में लोगों के घरों से निकलने वाला कचरा अब डंप नहीं किया जाएगा। चूंकि झिरी में गैस प्लांट लगाने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए रांची नगर निगम और गेल इंडिया के बीच करार भी हो चुका है। वहीं, गेल की ओर से झिरी डंपिंग यार्ड में सॉइल टेस्टिंग भी की जा चुकी है, जिससे वहां पर प्लांट लगाने में मदद मिलेगी। वहीं मिट्टी के अनुसार वहां पर कंस्ट्रक्शन भी कराया जाएगा। बताते चलें कि राजधानी से निकलने वाला कचरा झिरी डंपिंग यार्ड में कई सालों से डंप किया जा रहा है, जिससे कि वहां पर कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है। अब इसे खत्म करने में गेल ने इंटरेस्ट दिखाया है।

गीले कचरे से बनेगी गैस

सिटी में हर घर से कचरा निकलता है। एक घर से एवरेज 250-300 ग्राम कचरा निकलता है। ऐसे में पूरे शहर की बात करें तो लगभग 600 मीट्रिक टन कचरा लोगों के घरों से कलेक्ट कर एमटीएस भेजा जाता है। इसके बाद वहां से बड़ी गाडि़यों में डंपिंग यार्ड भेज दिया जाता है। अब वहां पर गीले कचरे से गैस बनाने की योजना है।

घरों से ही सेग्रीगेट करना है वेस्ट

घरों और दुकानों से दो तरह का कचरा निकलता है। अब गीला और सूखा कचरा लोगों को घरों में ही अलग रखने को लेकर जागरूक किया जा रहा है। वहीं कूड़ा कलेक्शन वाली गाडि़यों में भी सेपरेटर लगा दिए गए हैं, जिससे कि घरों से कचरा अलग-अलग चैंबर में डाला जाए। इससे निगम को वेस्ट सेग्रीगेट नहीं करना होगा और सीधे डंपिंग यार्ड भेजा जा सकेगा।

5 हजार किलो सीएनजी होगी तैयार

नगर निगम ने कचरे के निष्पादन के लिए गेल से करार किया है। गेल झिरी में कचरे से बायो गैस बनाने के लिए प्लांट लगाएगी। कचरे से सीएनजी और फर्टिलाइजर तैयार किया जा सकेगा। वहीं 180 से 200 टन कचरा से हर दिन लगभग 5,000 किलो सीएनजी तैयार की जा सकेगी, जिसकी सप्लाई शहर के पेट्रोल पंप तक की जाएगी। इस गैस से गाडि़यों का परिचालन होगा।

प्लांट लगाने की एक सतत प्रक्रिया है और वह चल रही है। सॉइल टेस्टिंग का काम हो गया है। बाकी प्लांट लगने में एक साल का समय लग जाता है। उम्मीद है कि अगले साल से प्लांट में गैस का उत्पादन शुरू हो जाएगा, जिसकी सप्लाई लोगों को की जाएगी।

-शंकर यादव, डीएमसी, आरएमसी

Posted By: Inextlive