रांची: राजधानी में कई ऐसे अफसर, पुलिस पदाधिकारी और सरकारी कर्मचारी हैं, जो वर्षो से अवैध रूप से सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए हुए हैं। बात एचईसी की करें, सीसीएल की करें या फिर अन्य किसी भी पीएसयू की, वहां सरकारी अधिकारियों के कब्जे का खेल जारी है। एचईसी आवासीय परिसर में भी सरकार के 100 फ्लैट से ज्यादा पर कब्जा है। कब्जेधारी एचईसी के साथ-साथ भवन निर्माण विभाग प्रमंडल-1 के भी दर्जनों आवासों पर कब्जा कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन कब्जाधारियों की वजह से जरूरतमंद कर्मचारियों को आवास नहीं मिल रहा है। लाख नोटिस के बाद भी कई दबंग पुलिस अफसर और अधिकारी आवास खाली नहीं कर रहे हैं। इन दंबगों से आवास खाली करवाने के लिए एचईसी प्रबंधन ने डीजीपी एमवी राव से आग्रह भी किया था। डीजीपी के आदेश पर कार्रवाई शुरू हुई थी, मगर अब ठंडे बस्ते में चली गई है।

डीआईजी ने शुरू की थी कार्रवाई

एचईसी के आवासों से पुलिस अफसरों व कर्मियों का कब्जा हटाने का आदेश डीजीपी एमवी राव ने दिया था। डीजीपी ने इस संबंध में रांची डीआईजी अखिलेश झा को आदेश दिया कि पुलिसकर्मियों द्वारा अवैध तरीके से कब्जा किए आवासों को एक माह के भीतर खाली कराएं। मगर पांच माह से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी ज्यादातर आवासों में कब्जा बरकरार है।

5.10 करोड़ के कर्जखोर सरकारी बाबू

कब्जावाले आवासों के किराए, बिजली व पानी मद में 5 करोड़ 10 लाख रुपए बकाया है। यह बकाया सिर्फ 71 आवासों पर कब्जाधारी पुलिसकर्मियों का है। एचईसी के डीजीएम टीए डिवीजन की ओर से मामले की जानकारी पूर्व में डीआईजी व रांची एसएसपी को दी गई थी। पुलिस अफसरों के नाम व बकाया की सूची भी डीआईजी को दी गई थी।

रिटायरमेंट व तबादले के बाद भी कब्जा

एचईसी परिसर में कई पुलिसकर्मियों को आवास आवंटित किया गया था। लेकिन, कई पुलिसकर्मियों ने तबादले और रिटायरमेंट के बाद भी आवास खाली नहीं किया। कुछ पुलिसकर्मियों ने किराये पर आवास लगा दिया है। रांची एसएसपी के नाम से बिजली कनेक्शन कई आवासों में लिया गया है।

क्या है नियम

राज्य के सरकारी कर्मचारियों को उनके पदस्थापन की जगह पर सरकारी आवास उपलब्ध कराए जाने का नियम है। अफसरों को उनकी वरीयता के मुताबिक आवास उपलब्ध कराए जाते हैं। आईएएस और आईपीएस अफसरों को सबसे बढि़या आवास आवंटित होता है। आवास का आवंटन संबंधित जिले में उनके तबादले के एक महीने बाद तक के लिए किया जाता है। उसके बाद आवास खाली नहीं करने पर छह महीने तक बाजार दर पर किराया और उसके बाद की अवधि के लिए 15 गुना दंड दिए जाने का प्रावधान है। बाजार दर की राशि रियायती दर पर निर्धारित सरकारी किराये की पांच गुनी होती है।

तबादला कहीं, आवास पर कब्जा राजधानी में

राज्य सरकार के बड़े अधिकारियों ने भी सरकारी आवासों पर कब्जा कर रखा है। इसमें कई आईएएस और आईपीएस अफसर शामिल हैं। इन अफसरों ने राज्य के अन्य हिस्सों में पदस्थापित रहने के बाद भी रांची में आवंटित आवास खाली नहीं किया। अधिकारियों ने डोरंडा, एचईसी समेत कई इलाकों में स्थित सबसे बढि़या सरकारी आवासों पर कब्जा कर रखा है। कुछ अधिकारी तीन या अधिक वर्षो से आवास पर कब्जा जमाए हुए हैं। सूची में ऐसे भी अधिकारी हैं, जिन्होंने आवंटित आवास के अलावा अनाधिकृत रूप से अन्य सरकारी आवास पर भी कब्जा जमा रखा है।

Posted By: Inextlive