152 एमजी प्रति लीटर तक पहुंच गया है हार्डनेस का स्तर. आयरन कम है तो कैल्शियम और मैग्नीशियम ज्यादा. 25 से अधिक वार्डों में रोजाना होती है 35 मिलियन गैलन पानी की आपूर्ति.


रांची(ब्यूरो)। आधी राजधानी को पानी पिलाने वाले रुक्का डैम के पानी में हार्डनेस ज्यादा है। पेयजल और स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य की ओर से कराये गये वाटर सैंपलिंग में पाया गया है कि डैम के पानी में हार्डनेस (खारापन) अधिक है। यानी इंडियन स्टैंडर्ड ऑफ वाटर क्वालिटी - 10500 के मानकों के अनुसार रुक्का डैम से पानी की आपूर्ति में हार्डनेस की मात्रा 152 एमजी प्रति लीटर है। पीने के पानी में टर्बिडीटी (गंदगी) 3.9 है। पानी का पीएच वैल्यू 6.95 है। जबक आयरन 0.08 एमजी, क्लोराइड 79.97 एमजी के आसपास है। स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य के कार्यपालक अभियंता की ओर से जारी किये गये सैंपल की टेस्टिंग रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पानी का सैंपल विभिन्न इलाकों से 8 अप्रैल 2022 को लिया गया था, जबकि पानी की टेस्टिंग 16 अप्रैल 2022 को की गयी थी। यह सैंपल रुक्का डैम के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के पुराने संप से लिया गया था। आधे शहर को इस डैम से सप्लाई
राजधानी में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी रुक्का डैम से होने वाले वॉटर सप्लाई पर निर्भर है। हालांकि, कई इलाकों के लोगों ने बार विभाग में शिकायत भी की है कि उनके घरों में गंदे पानी की सप्लाई हो रही है। इसके बावजूद विभाग द्वारा पुराने पाइपलाइन और दूसरे कई कारण बताकर लोगों को समझा दिया जाता है। अब जांच में पानी की मात्रा में कई तरह की कमी पायी गई है।25 वार्ड में इसी डैम का पानी राजधानी के सबसे बड़े जलाशय रुक्का से नगर निगम के 25 वार्डों में प्रति दिन 35 मिलियन गैलन (एमजीडी) की आपूर्ति की जा रही है। शहर में बूटी, बरियातू, कोकर, लालपुर, मेन रोड, कांटा टोली, बहु बजार, हरमू सहित कई इलाकों में इसी डैम का पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है। सचिव से लोगों ने की थी शिकायत


पिछले दिनों विभागीय सचिव प्रशांत कुमार को शिकायत की गयी थी कि रुक्का डैम से गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। शिकायतकर्ताओं का कहना था कि रांची के कई वार्डों में जलापूर्ति वाला पानी गंदा आता है। इस पर विभागीय सचिव ने माना भी था कि कुछ इलाकों में जलापूर्ति के पाइपलाइन और सिवर का नाली ऊपर-नीचे होने से ऐसी शिकायतें आ रही हैं। इतना ही नहीं जलापूर्ति पाइपलाइन में फेरुल के माध्यम से दिये जानेवाले कनेक्शन में लीकेज की वजह से भी घरों तक गंदा पानी पहुंच रहा है। विभागीय सचिव ने नियमित रूप से झारखंड सरकार की प्रयोगशालाओं में पानी की जांच कराने का निर्देश दिया था। 48 साल से नहीं हुई सफाईराजधानी की लाइफ लाइन रुक्का डैम (गेतलसूद डैम) का कैचमेंट क्षेत्र हर साल घट रहा है। वर्ष 1971 में डैम खोलने के बाद से लेकर आज तक कभी इसकी सफाई नहीं की गयी। इससे न केवल डैम छोटा हो रहा है, बल्कि पानी भी दूषित होता जा रहा है। पिछले 48 साल से डैम में जमा हो रही गंदगी की वजह से इस्तेमाल लायक पानी का स्तर तेजी से कम हो रहा है। डैम का जलस्तर 2016 और 2018 में काफी कम हो गया था। पिछले साल मानसून में पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से पानी का भंडारण इस साल भी कम हुआ है। 2018 में रुक्का डैम का जलस्तर 13.09 फीट हो गया था। हालांकि, उसके बाद से स्थिति बेहतर है। वर्तमान में रांची के लोगों को रोजाना इस डैम से 30 एमजीडी पानी की सप्लाई की जा रही है। बेहाल है रांची शहरी जलापूर्ति

जेएनयूआरएम के तहत रांची शहरी जलापूर्ति फेज-1 अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। इसके अंतर्गत रुक्का डैम में 110 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना था। यहीं पर इंटेकवेल भी बनाया जाना था। साथ ही हटिया, डोरंडा के 56 सेट, ललगुटवा, पुनदाग, अरगोड़ा समेत छह जगहों पर पीने के पानी का ओवरहेड टैंक बनाया जाना था। 300 किमी से अधिक दूरी तक पाइपलाइन भी बिछायी जानी थी। कई तरह की बीमारी का खतरा फिजिशियन डॉ रणधीर कुमार ने कहा है कि हार्ड वाटर पीने से सबसे ज्यादा डर इंफेक्शन का होता है। लगातार हार्ड वाटर यूज करने से लोगों को टाइफाइड, लूज-मोशन, डायरिया, फूड प्वाइजनिंग और इंडाइजेशन की परेशानी हो सकती है। अगर पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा हो, तो दांत खराब होने की आशंका रहती है।

रुक्का डैम के पानी की जांच हमेशा की जाती है। डैम पर ही जो लैब बनाया गया है, उसमें हमेशा जांच की जाती है। जरूरत के अनुसार सरकार के एनएबीएल लैब से भी पानी की जांच कराई जाती है। वर्तमान में जो जांच कराई गई है उसमें पानी की मात्रा में बहुत गंदगी नहीं पाई गई है, लेकिन लोगों को और साफ पानी पिलाने के लिए विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है।-राधेश्याम रवि, कार्यपालक अभियंता, रुक्का डैम, रांची

Posted By: Inextlive