- सरकार ने कहा- दूसरे राज्यों से तार जुड़ने के कारण सीबीआइ को सौंपी जांच

- धनबाद के न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा सख्त करने का निर्देश

रांची: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डा। रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले की सीबीआइ जांच जल्द शुरू करने का निर्देश दिया। सीबीआइ की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार की जांच की अनुशंसा का पत्र मिला है। चार अगस्त को सीबीआइ जांच की अधिसूचना जारी कर सकती है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद सीबीआइ को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करना चाहिए। अदालत ने सरकार को केस के सभी दस्तावेज और अन्य लॉजिस्टिक सपोर्ट सीबीआई देने का निर्देश दिया।

सीबीआई जांच ही उपयुक्त

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जब पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले की जांच सीबीआइ करने को कहा था तो महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि इससे पुलिस के अधिकारियों मनोबल प्रभावित होगा। ऐसे में अब क्या हुआ कि सरकार अपने ही बातों से ही पलट गई और सीबीआइ जांच की अनुशंसा की है। महाधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि इस मामले में की जांच सीबीआइ को इसलिए सौंपा जा रहा है कि इसके तार दूसरे राज्य से जुड़े हो सकते हैं ऐसे में सीबीआइ ही इस मामले की जांच के लिए उपयुक्त एजेंसी है।

प्रगति रिपोर्ट पेश

इससे पहले एसआइटी की ओर से जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट को पेश की गई। रिपोर्ट देख कर अदालत असंतुष्टि जाहिर की। अदालत ने कहा कि घटना सुबह 5.08 बजे हुई तो प्राथमिकी दर्ज करने में बिलंब क्यों किया गया। क्यों प्राथमिकी 12.45 बजे दर्ज की गई। जबकि सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट है, कि जज को उठाकर इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है। क्या पुलिस सिर्फ फर्द बयान के आधार पर ही प्राथमिकी दर्ज करती है। क्या पुलिस स्वत: प्राथमिकी दर्ज नहीं करती। आखिर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में छह घंटे क्यों लग गए। पुलिस के हमेशा अपनी आंख और कान खुले रखने चाहिए। सबूत कभी चल कर नहीं आता है। अदालत ने कहा कि इसका लाभ बचाव पक्ष को निचली अदालत में मिलेगा। जब वह इन बातों को अदालत में उठा कर अभियोजन को परेशानी में डाल देगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि जज के सिर की बाईं तरफ गंभीर चोट है। ऐसे में जांच एजेंसी का काम है कि वो इसका खुलासा करे। जांच एजेंसी को इस मामले में पुख्ता सबूत एकत्र करने होंगे।

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अदालतों और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा सख्त करने का निर्देश

सुनवाई के दौरान अदालत ने डीजीपी को अदालतों की सुरक्षा सख्त करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस घटना के बाद न्यायिक अधिकारी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी न्यायिक पदाधिकारी पर हमला हुआ है इसको देखते हुए तत्काल धनबाद के न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा सख्त करनी चाहिए। उनके आवासीय क्षेत्र में पुलिस की तैनाती की जाए। हाईकोर्ट समेत सभी न्यायालयों में कुशल प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की तैनाती की जानी चाहिए। इस पर डीजीपी नीरज सिन्हा ने तत्काल अमल करने का आश्वासन दिया। बता दें कि धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्या मामले में धनबाद के प्रधान जिला जज ने हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। इस पत्र को हाई कोर्ट ने जनहित याचिका में तब्दील कर सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने बताया था कि मामले की जांच के लिए एसआइटी बना दी गई है। इस पर कोर्ट ने एसआइटी से प्रगति रिपोर्ट मांगी थी।

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Posted By: Inextlive