जज उत्तम आनंद हत्याकांड -

--सीबीआइ की रिपोर्ट देखकर अदालत ने कहा- नशे के कारण ऐसा नहीं हुआ

--सीबीआइ ने कहा- तीन संदिग्धों की जुटाई जा रही जानकारी

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा। रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीबीआइ जांच की रिपोर्ट देखने के बाद अदालत ने कहा कि रिपोर्ट देखकर पता चलता है कि ऑटो चालक ने जज को जानबूझ कर टक्कर मारी है। ऐसा नशा करने की वजह से अचानक नहीं हुआ। अदालत ने आरोपितों की 24 घंटे के बाद ब्लड व यूरिन सैंपल लेने पर नाराजगी जताई। इसके अलावा अदालत इस मामले में तीन संदिग्धों की पहचान नहीं होने पर कहा कि यह निराश करने वाला है। क्योंकि तीनों संदिग्ध सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट दिख रहे हैं। अदालत ने सीबीआइ को अगले सप्ताह विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी।

बाइक सवार से पूछताछ

सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि क्या सीबीआइ ने उस बाइक सवार से पूछताछ की है, जो घटना के समय जज को देखता है और वहां से निकल जाता है। सीबीआइ ने कहा कि उन्होंने उस व्यक्ति से पूछताछ की है। उसने बताया कि उन्हें हाई बीपी है और खून देखने से उनको घबराहट होती है। इसके बाद उसे छोड़ दिया गया है। इस पर अदालत ने कहा कि सीबीआइ ने उसके मेडिकल इतिहास के बारे में जांच की है। किसी प्रकार की रिपोर्ट की जांच नहीं की गई है। अनुसंधान पदाधिकारी ने कहा कि तीन अन्य संदिग्ध के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। सीबीआइ की ओर से प्रोफेशनल तरीके से जांच की जा रही है। हर कड़ी पर नजर रखी जा रही है। ताकि इसे जोड़कर षडयंत्र का पर्दाफाश किया जा सके।

अभी तक पहचान नहीं

अदालत ने कहा कि घटना के इतने दिनों बाद तीन संदिग्धों की अभी तक पहचान नहीं होना, निराश करने वाला है। जबकि घटना का सीसीटीवी फुटेज और फोटो उपलब्ध है। अदालत ने कहा कि कोर्ट को ऐसा प्रतीत होता है कि जब जज को ऑटो ने टक्कर मारी थी, तो उस समय बाइक सवार रुकते हुए जज को देखता है और वहां से निकल जाता है, जैसे वह इस घटना में जज की मौत होना सुनिश्चित करना चाहता है। अदालत ने उसकी पूरी जांच करने का निर्देश दिया है। क्योंकि वह कोलियरी में काम करता है। इस दौरान अदालत ने पूछा कि क्या जांच पदाधिकारी को आपराधिक मामले की जांच का कोई अनुभव नहीं है। क्योंकि अदालत जब कोई मुद्दा उठाती है, तो सीबीआइ उसकी जांच करती है। इस दौरान सीबीआइ की ओर से कहा गया कि इससे पहल भी उन्हें कई मामलों की जांच की है।

रिपोर्ट में कम जानकारी

अदालत ने रिपोर्ट में काफी कम जानकारी देने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की जांच रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में उनके सामने प्रस्तुत की जाती है। सिर्फ कोर्ट ही इसका अवलोकन करती है और मामले के बाद उसे फिर से सीलबंद करते हुए रजिस्ट्रार जनरल के यहां रखा जाता है। इसे कोई नहीं पढ़ सकता है। बता दें कि धनबाद के जज उत्तम आनंद मार्निंग वाक के लिए निकले थे। इसी दौरान एक ऑटो ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी। इस घटना में उनकी मौत हो गई थी। इसका सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद हत्या किए जाने का मुद्दा उठाया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट हर सप्ताह सीबीआइ जांच की निगरानी कर रही है।

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Posted By: Inextlive