इस्लामनगर में बनकर तैयार हो चुके हैं फ्लैट्स अब आवंटन की तैयारी. बिना पैसे लिए विस्थापितों को बसाएगा नगर निगम. लंबी लड़ाई के बाद मिली है इस्लामनगर वालों को जीत.


रांची(ब्यूरो)। 11 साल के लंबे इंतजार के बाद इस्लामनगर के करीब 291 परिवारों को वन बीएचके फ्लैट मिलेगा। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत इस्लामनगर स्थित नवनिर्मित आवासों का आवंटन लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। इसमें इस्लामनगर के पूर्व आवासित लाभुक, जिनका नाम सूची में दर्ज है, वे पांच से 12 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। लाभुक पार्षद कार्यालय में घोषणापत्र, लाभुक सहमति पत्र, वोटर आईडी, आधार कार्ड आदि दस्तावेज संलग्न कर फॉर्म जमा करा सकते हैं। 300 वर्गफीट का फ्लैट मिलेगाइस्लामनगर के विस्थापितों को 300 वर्गफीट का फ्लैट मिलेगा। इसमें एक बेड रूम, हॉल, किचन, बाथरूम होगा। पॉलिटेक्निक संस्थान से ली गई करीब तीन एकड़ जमीन पर कुल चार ब्लॉक में फ्लैट बनकर तैयार हैं। नगर विकास विभाग की एजेंसी जुडको ने अपार्टमेंट का निर्माण कराया है। रॉक ड्रिल इंडिया कंपनी ने अपार्टमेंट का निर्माण 30 करोड़ की लागत से किया है।
कहां जाएंगे 153 लोग


यहां जो फ्लैट बने हैैं, उसमें 291 लोगों को ही आशियाना मिलने जा रहा है। बाकी के 153 लोग कहां जाएंगे, इसे लेकर अभी से आवाज उठनी शुरू हो गई है। इस्लामनगर विस्थापित परिवार की तरफ से लड़ाई लडऩे वाले मोहम्मद शकील बताते हैं, कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस्लामनगर में जो 444 परिवार हैं, उनको वहां बसाया जाए। लेकिन सरकार की ओर से 291 फ्लैट ही अभी बनाया गया है। इतने ही लोगों को अभी वहां बसाना है। अब बाकी के बचे 153 परिवार को अभी भी अपना आशियाना पाने के लिए संघर्ष करना होगा। 153 परिवार जाएंगे कोर्ट कोर्ट ने यहां 444 परिवारों को बसाने को कहा है। लेकिन सभी लोगों के लिए आशियाना नहीं बनाया गया है। अब जो बचे हुए लोग हैं अपने हक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस्लामनगर के मोहम्मद उस्मान बताते हैं कि सरकार ने यहां छह एकड़ जमीन भी दी है, लेकिन तीन एकड़ पर ही निर्माण किया गया है। अगर पूरे एरिया में निर्माण हो जाता तो सभी लोगों को रहने की जगह मिल जाती। लेकिन अब जिनको घर नहीं मिल रहा है, सभी लोग कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। 30 करोड़ की लागतइस्लामनगर में रहने वालों के लिए नगर विकास विभाग ने 30 करोड़ रुपए की लागत से यहां आशियाना तैयार किया है। 2018 में यहां काम शुरू हो गया था, साढ़े तीन साल में बनकर तैयार हो गया है। घर के साथ-साथ यहां रहने वाले लोगों के लिए पार्किंग और मस्जिद का निर्माण भी किया गया है।

विस्थापितों का हो चुका है सत्यापन इस्लामनगर से विस्थापित परिवारों के सत्यापन पहले ही कराया जा चुका है। हलांकि, यहां 444 विस्थापित परिवारों का सत्यापन किया गया है। सत्यापन के तहत विस्थापित परिवारों को विस्थापित होने से संबंधित प्रमाण मांगा गया था। सभी लोगों ने वैलिड डॉक्युमेंट जमा कर दिया है, लेकिन सभी लोगों को अभी वहां घर नहीं दिया जाएगा। 2011 में हटाया गया थाहाईकोर्ट के आदेश के अतिक्रमण कर मकान बना चुके लोगों को इस्लामनगर से हटाया गया था। वहां रह रहे विस्थापित परिवार सुप्रीम कोर्ट तक चले गए। उसके बाद कोर्ट ने उनको उसी जगह पर पक्का मकान बनाकर देने का निर्देश दिया। सरकार ने 2018 में वहां छह एकड़ जमीन मकान बनाने के लिए आवंटित की। साथ ही 30 करोड़ रुपए से मकान बनाने के लिए पैसा भी आवंटन किया गया।

Posted By: Inextlive