RANCHI: कोरोना काल में ज्यादातर लोग जॉब गंवा बैठे हैं। ऐसे में अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए फटाफट लोन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस तरह फटाफट लोन के चक्कर में पड़ कर लोग अपना सबकुछ गंवाने को मजबूर हो गए हैं। आज लोन प्रोवाइड कराने के कई आसान तरीके हैं, इन्हीं में एक है इंस्टैंट लोन ऐप। इसके तहत आपको सिर्फ अपने मोबाइल के प्ले स्टोर से ऐप सर्च करना है। इस दौरान दर्जनों ऐसे ऐप सामने आ जाएंगे जो बिना किसी डॉक्यूमेंट, वेरिफिकेशन के फटाफट लोन देने को तैयार हैं। इन मोबाइन ऐप के झांसे में फंसने के बाद आदमी लगातार इसके दलदल में धंसता चला जाता है। इन ऐप के लोन का इंटरेस्ट रेट इतना हाई है कि लोन लेने वाला इंटरेस्ट के पैसे ही चुकाता रह जाता है। जबकि मूल अमाउंट जस का तस रहता है। इंस्टैंट लोन ऐप 40 परसेंट तक इंटरेस्ट वसूल रहे हैं। अपनी आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए लोग इन ऐप के झांसे में आ जाते हैं और एक बार फंसने के बाद इससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। लोन की ईएमआई थोड़ी लेट होने पर या लैप्स होने पर आपको और आपके परिजनों को बेइज्जती भी झेलनी पड़ सकती है। जरा सी लापरवाही आपकी जिंदगी को नर्क बना सकती है। राजधानी रांची के भी कुछ युवा इंस्टैंट लोन ऐप के शिकार हो चुके हैं। इस तरह के लोन ऐप किसी भी रेग्युलेटिंग अथॉरिटी के तहत काम नहीं करते, न ही आरबीआई के किसी भी नॉ‌र्म्स का पालन करते हें। इसलिए आपकी सतर्कता ही इसमें आपका बचाव कर सकती है।

1000 से एक लाख तक लोन

इंस्टैंट लोन ऐप एक हजार रुपए से एक लाख रुपए तक लोन मुहैया करा रहे हैं। इन ऐप के लोन देने की अपनी पॉलिसी है, जो किसी भी गवर्नमेंट रेग्युलेटरी अथॉरिटी के दायरे में नहीं आती हैं। ज्यादातर ऐप 10 से 40 परसेंट इंटरेस्ट रेट लेते है। साथ ही लोन लौटाने में जरा भी देरी पर भारी पैनाल्टी भी लगाते हैं। इसे अलावा यूजर का पर्सनल डाटा भी यूज कर टार्चर करते हैं।

रांची में भी आने लगे केस

साइबर सेल के अधिकारियों का कहना है, इस तरह के केस रांची से भी आने लगे हैं। हालांकि सेल की तरफ से लोगों को लगातार अवेयर किया जा रहा है। साइबर सेल के डीएसपी सुमीत कुमार ने बताया कि ये इंस्टैंट लोन ऐप न तो किसी शेडयूल्ड कॉमर्शियल बैंक और न ही किसी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी से रिलेटेड होते हैं। इन्हें आरबीआई या बैंकिंग लोकपाल भी गवर्न नहीं करता है। ऐसे ऐप के जाल में फंसने पर इसकी शिकायत कहां करें यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। हालांकि, साइबर फ्रॉड मानते हुए इस तरह के केस की कंप्लेन लोग साइबर थाने में कर रहे हैं।

इन ऐप से बचें

लोन बाबा, माई फ‌र्स्ट लोन, मोबाइल लोन, उधार लोन, किश्त, धानी पर्सनल लोन, कैश वी, ओके कैश, लोन जोन, रुपए फैक्ट्री, रैपिड पैसा, टका कैश, इजी लोन।

ऐसे फंसाते हैं जाल में

- इंस्टेट लोन वाले यूजर को सबसे पहले ऐप पर सभी फार्मलिटीज पूरी करनी होती है।

-इसमें यूजर के फोन नंबर के अलावा फैमिली पर्सन के भी नंबर की डिमांड होती है।

-ऐप डाउनलोड करने के वक्त आधार कार्ड, तीन महीने का बैंक स्टेटमेंट पैन कार्ड की कॉपी भी मांगी जाती है।

-पूरे प्रोसेस में कुछ मिनट ही लगते हैं।

-प्रोसेस पूरा होने के बाद लोन की रकम पूछी जाती है।

-लोन अप्रूव करने के लिए प्रोसेसिंग फीस के पैसे लिए जाते हैं।

- अप्रूवल मिलते ही इंस्टैंटली राशि आपके अकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाती है।

- राशि ट्रांसफर होते ही इंटरेस्ट का मीटर घूमना शुरू हो जाता है।

- लोन की ईएमआई जमा करने में एक भी दिन देर होने पर भारी-भरकम पेनाल्टी लगा दी जाती है।

- लोन की राशि चुकाने के लिए दूसरे ऐप के माध्यम से फिर लोन देने की बात कही जाती है और लोग इस दलदल में फंसते चले जाते हैं।

क्या कहते हैं पीडि़त

मैं कॉम्पटीशन की तैयारी कर रहा हूं। पॉकेट खर्च के लिए ट्यूशन पढ़ाता हूं। कोरोना काल में सभी आमदनी बंद हो गई। इसके बाद मैंने इंस्टैंट लोन ऐप के माध्यम से 10 हजार रुपए का लोन लिया। किस्त भरने में लेट हुआ, एजेंट बार-बार फोन कर परेशान करने लगे। गंदी-गंदी गालियां भी दी। मैं डिप्रेशन में चला गया था। इसकी शिकायत भी कहीं कर नहीं सकता। भईया को सारी बात बताई, उनकी मदद से मैंने पूरी रकम चुका दी। 10 हजार रुपए के बदले मुझे धीरे-धीरे 50 हजार रुपए भरना पड़ गया।

- अमृत कुमार, अशोक नगर, स्टूडेंट

कोरोना काल में कमाई बंद हो गई। रूम रेंट और घर के खर्चे ने परेशान कर दिया। सभी जगह हाथ फैला कर देखा कोई मदद नहीं मिली। मजबूरी में ऐप के माध्यम से लोन के लिए अप्लाई कर दिया। अमाउंट तो तुरंत मिल गया, लेकिन यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी। किस्त चुकाने के बाद भी मेरे और मेरे परिजनों के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। जिंदगी में कभी ऐसे शार्टकट के चक्कर में नहीं पड़ूंगा।

-सूरत शर्मा, चिरौंदी

इस तरह के ऐप की लिस्ट बनाई जा रही है। जल्दी ही इन पर बैन लगाने की अनुशंसा की जाएगी। साइबर सेल के माध्यम से लगातार लोगों को भी अवेयर किया जा रहा है। लोग इंस्टैंट लोन ऐप के चक्कर में नहीं पड़ें। ऐसे ऐप से जुड़ी कई शिकायतें आने के बाद आरबीआई ने भी एक वर्किंग कमिटी बनाई है। यह कमिटी लोन सिस्टम में फ्रॉड और हैरेसमेंट करने वालों पर कार्रवाई करेगी।

-सुमीत कुमार, डीएसपी, साइबर सेल

Posted By: Inextlive