सेंट पॉल्स कॉलेज में मना इंटरनेशनल वीमेन डे

-नाटक के जरिए महिला होने के मायने बताए

रांची: आत्मविश्वास के साथ सकारात्मक सोच को आगे बढ़ायें और लैंगिक भेदभाव को अपने ही घरों से दूर करें। यह बातें पूर्व मेयर रमा खलखो ने कहीं, जो संत पॉल्स कॉलेज में सोमवार को अंतरराष्टीय महिला दिवस पर आयोजित समारोह में बोल रहीं थीं। उन्होंने कोविड काल के दौरान महिलाओं की भूमिका और भविष्य विषय पर अपनी बातें रखी और यह भी कहा कि महिलाओं का दिन पूरे तीन सौ पैंसठ दिनों का है। लेकिन आठ मार्च का दिन, उनके ही नाम क्यों रखा गया। इसे गहराई से समझें ताकि महिलाएं स्वयं की ताकत से न सिर्फ परिवार बल्कि समाज को भी जागरूक कर सकें।

सशक्त महिला से ही परिवार मजबूत

इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत प्रो सिसिलिया केरकेट्टा द्वारा की गई ओपनिंग प्रेयर से हुई। सशक्त और उसकी जागरूकता को समर्पित इस कार्यक्रम में कॉलेज के स्टूडेंट्स द्वारा वर्तमान सामाजिक परिवेश में महिलाओं की स्थिति और महिला सशक्तिकरण को नृत्य नाटिका, गीत और नाटक से प्रस्तुत किया गया।

महिला होने के मायने पर विचार

कार्यक्रम में सांइस के एचओडी प्रोफेसर डॉ सौम्य मलिक और कॉमर्स फेकल्टी के एचओडी प्रोफेसर एमएलडी कुजूर ने अपने परिवार और समाज में महिलाओं के साथ सहयोग में अपनी भूमिका पर चर्चा की। स्वागत भाषण रसायन शास्त्र की प्रोफेसर पुष्पिका मिंज ने दिया। कॉलेज के सचिव रेव्ह पीटर बारला ने महिला होने के मायने पर विस्तार से चर्चा की और प्राचार्य डॉ अनुज तिग्गा ने कार्यक्रम आयोजन के लिए सभी महिला शिक्षकों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के लिए धन्यवाद ज्ञापन राजनीति शास्त्र की प्रोफेसर मेरखा किंडो ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर श्वेता होरो और सोनी कच्छप ने किया।

Posted By: Inextlive