रांची: झारखंड पूरे देश में नशे के कारोबार का कॉरिडोर बना हुआ है। झारखंड से होकर ही अफीम व गांजा देश के दूसरे हिस्सों खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली-मुंबई तक पहुंच रहा है। इसका पर्दाफाश नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की छानबीन में भी हो चुका है। राज्य में अब तक दर्जनभर से अधिक स्थानों से बरामद गांजा, अफीम, चरस को दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में बेचने का कनेक्शन मिल चुका है।

बॉलीवुड कनेक्शन रडार पर

इधर, बॉलीवुड में मचे ड्रग्स घमासान ने झारखंड में नशे के खिलाफ काम कर रहे अधिकारियों का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है। मुम्बई पहुंचने वाली ड्रग्स के झारखंड कनेक्शन की भी जांच शुरू हो चुकी है। गांजा और अफीम की खेती और इसकी तस्करी को लेकर झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र हमेशा से बदनाम रहे हैं। रांची, सरायकेला-खरसावां, खूंटी, चतरा, लातेहार जिले में सबसे अधिक अफीम की खेती के सबूत मिलते रहे हैं। एनसीबी के उप निदेशक (अभियान) केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, गांजा-अफीम के तस्कर नक्सल क्षेत्र का फायदा उठाकर यह धंधा कर रहे हैं। नक्सल क्षेत्रों में अफीम की फसलें इन दिनों तैयार हो गई हैं और इसकी तस्करी हो रही है।

हाल में हुई बरामदगी

-11 अगस्त को रांची के ओरमांझी में टोल प्लाजा के पास एनसीबी ने चंडीगढ़ के विनोद कुमार नामक युवक को एक कार में 14 किलो अफीम ले जाते गिरफ्तार किया था। उसकी निशानदेही पर रांची के कांके निवासी अफीम सप्लायर मधु महतो के घर से भी दो किलोग्राम अफीम बरामद हुआ। मधु महतो भी गिरफ्तार हुआ और उसके घर से 20 लाख 80 हजार रुपए नकद बरामद किए गए। इस बरामदगी में घोर नक्सल प्रभावित जिला खूंटी के सप्लायर की तलाश हो रही है। अफीम नक्सल प्रभावित खूंटी में तैयार हुआ था।

-1 सितंबर को रांची के तुपुदाना के हुलहुंडू से एनसीबी ने 7.50 किलोग्राम अफीम के साथ एक नाबालिग लड़की व चार युवकों को कार सहित गिरफ्तार किया था। इनमें एक युवक अरुण दांगी चतरा जिले के इटखोरी का रहने वाला है, जबकि, अन्य युवक मंगल मुंडा, अनिल पूर्ति, देवेंद्र राम व नाबालिग लड़की खूंटी की रहने वाली थी। पूछताछ में पता चला कि अफीम खूंटी से हजारीबाग के रास्ते उत्तर प्रदेश पहुंचनी थी। वहां से पंजाब-हरियाणा व अन्य राज्यों में इसकी सप्लाई होती।

-8 सितंबर को लोहरदगा के कुड़ू में 570 किलोग्राम गांजे की बरामदगी हुई। गांजा ओडि़शा के सोनपुर से चला था और इसे बिहार के रोहतास भेजा जाना था। रोहतास से इस गांजे की आपूर्ति दूसरे राज्यों में होती है, इससे पहले ही कई धंधेबाज एनसीबी के हत्थे चढ़ गए। इसमें बिहार के रोहतास के आठ आरोपित पकड़े गए। इन्होंने बताया कि माल मुम्बई भेजा जाना था।

-11 सितंबर को रांची के बुंडू से चतरा के लिए चली दो पिकअप वैन सहित दो युवक पकड़े गए। इनके पास से पांच किलोग्राम अफीम की बरामदगी हुई। दोनों युवकों ने स्वीकार किया कि उक्त अफीम चतरा से उत्तर प्रदेश के बरेली पहुंचाई जाती, जहां से दूसरे राज्यों में सप्लाई होती, लेकिन इससे पहले एनसीबी के हाथों पकड़ा गया।

ओडि़शा का गंजाम व सोनपुर क्षेत्र है गांजा का सबसे बड़ा सप्लायर

ओडि़शा के गंजाम व सोनपुर का क्षेत्र गांजा का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र बताया जाता है। यहां गांजे की खेती होती है और वहां से तैयार गांजा झारखंड के रास्ते दूसरे राज्यों में सप्लाई होता है। पूर्व में ओडि़शा की बस से रांची के बिरसा बस स्टैंड पर गांजा आने और यहां से दूसरे राज्यों में बस से जाने से पहले ही बरामदगी से इस सप्लाई चेन की पोल दर्जनों बार खुल चुकी है।

रेड कॉरिडोर में दहशत का फायदा

राज्य में अफीम की खेती के लिए रेड कॉरिडोर सर्वाधिक बदनाम रहा है। दहशत के दम पर इन इलाकों में गांजा-अफीम उपजाया जा रहा है जिसे महानगरों तक पहुचाया जाता है। खूंटी, चतरा के अलावा, रांची, लातेहार, सरायकेला-खरसावां व सिमडेगा जिले के कुछ क्षेत्रों में गांजा-अफीम की खेती की जानकारी मिलती रही है। एनसीबी की टीम स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर एकड़ की एकड़ फसल नष्ट करती रही है, लेकिन इस नेटवर्क को अब तक पूरी तरह तोड़ने में नाकाम रहा है। हर बार यही जानकारी मिलती है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से किसानों को अफीम की खेती में बढ़ावा मिलता है। फसल तैयार होने पर इसकी ऊंची कीमत भी मिलती है।

धंधेबाजों ने खोला था नकली चरस का राज

वर्तमान में गांजे के पत्तों को उबाल कर उनका पानी निचोड़कर उसमें धतूरे के बीज पीस कर मिलाए जाते हैं। धतूरे के बीज स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक होते हैं। इसके अलावा काली धूपबत्ती, तारकोल का चूरा उबले हुए पत्तों में मिला दिया जाता है। इससे असली चरस से कहीं ज्यादा चमकदार नकली चरस हो जाता है। ये चरस राज्य से कई महानगरों में सप्लाई किया जा रहा है।

पलामू में होता है ज्यादा उत्पादन

इसका सबसे ज्यादा उत्पादन नेपाल में होता है। महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग लोगों के मार्फत नेपाल से यह चरस लाया जाता है। साइकिल के ट्यूब में भी भरकर इसकी तस्करी की जाती है। इस धंधे में कमाई अंधाधुंध होती है। इसीलिए महिलाएं-बच्चे भी इस धंधे से जुड़ रहे हैं

Posted By: Inextlive