RANCHI:राज्य कैबिनेट ने प्रदेश में औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति को स्वीकृति प्रदान करने के साथ-साथ आधा दर्जन प्रस्तावों को मंजूरी दी है। स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर काम करनेवाले कर्मियों को एक माह का अतिरिक्त मानदेय देने और लुप्त हो रही कलाओं को बचाने के लिए गुरू-शिष्य परंपरा पर केंद्र खोलने को लेकर तैयार नियमों को भी कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई है। राज्य में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनी औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति अप्रैल 2021 से मार्च 2026 के लिए प्रभावी होगी। पिछली नीति 31 मार्च को समाप्त हो गई थी, जिसके बाद निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नीति बनाना अनिवार्य था। इसके लिए सरकार ने स्टेक होल्डर्स के साथ देश की राजधानी में बैठक कर सुझाव भी प्राप्त किए थे। इस नीति से राज्य में एक लाख करोड़ के निवेश और पांच लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

उच्चतम प्राथमिकता वाले क्षेत्र

टेक्सटाइल एवं ऐपेरल, ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट्स एवं इलेक्ट्रिक ह्विकल्स, एग्रो फूड प्रोसे¨सग एवं मीट प्रोसे¨सग इंडस्ट्रीज, फार्मास्यूटिकल उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एवं मैन्युफैक्च¨रग।

प्राथमिकता क्षेत्र

स्टार्टअप को फिर प्राथमिकता क्षेत्रों में शामिल किया गया है। इसके अलावा शैक्षणिक एवं तकनीकी संस्थान, स्वास्थ्य, पर्यटन, आइटी, डिस्टिलरीज, रिन्युएबल एनर्जी एवं लाइट व मीडियम इंजीनिय¨रग क्षेत्र को शामिल किया गया है।

आउटसोर्स स्वास्थ्यकर्मियों को मानदेय

वैश्विक महामारी कोविड-19 में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग अंतर्गत कोविड रिलेटेड कांटेक्ट ट्रे¨सग, टे¨स्टग, सुपरविजन, कोविड अस्पताल/ कोविड वार्ड में कार्यरत, कार्यालय तथा कंट्रोल रूम में कोविड से संबंधित कार्यों के लिए प्रतिनियुक्त आउटसोर्स कर्मियों को एक माह के मानदेय के समतुल्य प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की स्वीकृति दी गई।

बीएड कॉलेजों में मा‌र्क्स के आधार पर नामांकन

कोविड-19 के कारण फिर सत्र 2021-23 के लिए बीएड में अंकों के आधार पर नामांकन हेतु संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित किए बिना मेधा सूची तैयार करने एवं काउंस¨लग एजेंसी के रूप में जेसीईसीईबी, रांची को प्राधिकृत करने की स्वीकृति दी गई।

नीति की खास बातें

- एमएसएमई क्षेत्र के लिए निवेश के हिसाब से 25 फीसद तक सब्सिडी दी जाएगी। माइक्रो इंडस्ट्रीज के लिए एक करोड़ रुपये की लागत को मानक माना गया है तो छोटी इकाई के लिए पांच करोड़ की लागत और मध्यम इकाइयों के लिए 10 करोड़ की लागत पर यह लाभ निवेशकों को मिलेगा।

- स्टांप ड्यूटी एवं निबंधन शुल्क की शत-प्रतिशत राशि वापस होगी।

- बीआइएस से सर्टिफिकेशन के लिए 10 लाख तक की लागत पर शत प्रतिशत सहायता मिलेगी।

- एमएसएमई को अगले पांच वर्षों के लिए स्टेट जीएसटी से छूट होगी।

- बड़ी इकाइयों के लिए यह छूट सात वर्षों के लिए दी जाएगी।

- मेगा इकाइयों को नौ वर्ष के लिए स्टेट जीएसटी पर छूट मिलेगी तो इससे बड़ी इकाइयों पर स्टेट जीएसटी की कटौती की 75 प्रतिशत राशि लगातार 12 वर्षों तक लौटाई जाएगी।

- कैप्टिव पावर प्लांट के निर्माण पर पांच वर्षों के लिए इलेक्ट्रिकल ड्यूटी नहीं ली जाएगी।

- विभिन्न नई इकाइयों को कुल लागत पर तय ब्याज में पांच वर्षों तक पांच फीसद तक छूट मिलेगी।

- नीति के दो वर्ष के अंदर खुलनेवाली इकाइयों को अतिरक्त पांच फीसद की सब्सिडी दी जाएगी।

- बेवरेजेज एवं डिस्टिलरीज के लिए पांच वर्षों के वैट पर 25 फीसद की वापसी होगी। इस प्रकार एक चौथाई राशि कंपनियों को लौटा दी जाएगी।

- स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को कुल लागत पर 25 प्रतिशत तक इंसेंटिव मिलेगा। इसके अलावा इन्हें पांच वर्षों के लिए ब्याज पर पांच प्रतिशत सब्सिडी और स्टांप ड्यूटी व निबंधन शुल्क पूरी तरह से माफ हो जाएगी।

- नर्सिंग कॉलेज, इंजीनिय¨रग कॉलेज व अन्य तकनीकी संस्थानों को भी इसी प्रकार के लाभ मिलेंगे।

- नीति के तहत एस्सेट रिकंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन का गठन होगा, जो बीमार इकाइयों को फिर से खोलने में सहयोगी होगा।

अनोखा होगा गुरु-शिष्य परंपरा बेस्ड सेंटर

राज्य कैबिनेट ने गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत प्रशिक्षण नियम, 2021 को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके मद्देनजर लुप्त हो रही कलाओं के लिए गुरुओं का विज्ञापन और उच्च स्तरीय कमेटी के माध्यम से चयन किया जाएगा। गुरु अपने स्तर से सहायक का चयन करेंगे। गुरु बनने के लिए वही लोग योग्य होंगे जो कम से कम दस वर्षों से अपनी खास विद्या में कार्यरत और सक्रिय हों। इनके लिए उम्र सीमा की कोई बाध्यता नहीं है। शिष्य बनने के लिए 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं का चयन किया जाएगा। एक गुरु अधिकतम 10 शिष्यों को प्रशिक्षण दे सकेंगे। प्रशिक्षण के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक कलाओं को पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। माना जा रहा है कि ये केंद्र अपने आप में अनोखे होंगे। राज्य सरकार ने गुरू को प्रति माह 12 हजार रुपये मानदेय देने का निर्णय लिया है तो सहायक को 7500 रुपये। प्रशिक्षुओं के आवासन और खानपान के लिए 3 हजार रुपये प्रति प्रशिक्षु प्रति माह दिए जाएंगे। दो वर्ष के प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर एक विधा पर 11.88 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।

कैबिनेट के अन्य फैसले

-कोविड-19 से जनित विषम परिस्थिति में अंतरराज्यीय बसों तथा स्कूल बसों, सिटी बसों (समस्त माल वाहनों एवं उक्त अवधि में व्यवहृत वाहनों को छोड़कर) का झारखंड मार्ग कर भुगतान में विलंब होने के कारण लगनेवाले दंड शुल्क से छूट प्रदान किए जाने की स्वीकृति दी गई।

- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र के आलोक में झारखंड सरकार के अंतर्गत कोविड अस्पतालों में कोविड ड्यूटी हेतु अनुबंध के आधार पर हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की सेवाएं ली जाएंगी। इसके लिए छह महीने का कार्यकाल निर्धारित किया गया है।

हमलोगों ने नई उद्योग नीति का प्रस्ताव पारित कर दिया है, ताकि निवेश का द्वारा खुल सके। नई उद्योग नीति के आने से राज्य में निवेशकों को निवेश करने में सहूलियत होगी। वे बेहतर तरीके से निवेश कर सकेंगे।

हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

Posted By: Inextlive