RANCHI: झारखंड के प्रभारी डीजीपी एमवी राव हटाए जा सकते हैं। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाने के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमणियम की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रह्लाद नारायण सिंह ने एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले के खिलाफ बताते हुए याचिका दायर की थी। वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के पहले यूपीएससी ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर पूर्व के डीजीपी केएन चौबे को हटाने की वजह पूछी है। वहीं राज्य सरकार द्वारा डीजीपी की बहाली के लिए पांच आईपीएस अधिकारियों के नाम के पैनल पर किसी भी तरह की सुनवाई से इनकार कर दिया है। यूपीएससी ने लिखा है कि केएन चौबे के दो साल का टर्म पूरा नहीं हुआ, ऐसे में उन्हें क्यों हटाया गया।

9 माह में ही हटे थे केएन चौबे

जब तक हटाए जाने की वजह स्पष्ट नहीं होगी, यूपीएससी ने पैनल पर विचार करने से इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 16 मार्च 2020 को अचानक ही केएन चौबे को महज नौ माह के कार्यकाल के बाद हटाकर दिल्ली में आधुनिकीकरण का ओएसडी बना दिया था, वहीं एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बना दिया गया था।

पूर्व डीजीपी को हटाना गलत

यूपीएससी ने डीजीपी के पैनल लिस्ट के लिए भेजे गए पत्र के बाद राज्य सरकार को जो पत्र भेजा है, उसमें सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध बताया गया है। यूपीएससी ने लिखा है कि 31 मई 2019 को राज्य सरकार ने केएन चौबे का नोटिफिकेशन बतौर डीजीपी निकाला था। यूपीएससी के इंपैनलमेंट कमिटी मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अंतर्गत भेजे गए नामों के आधार यह चयन दो सालों के लिए हुआ था।

इन वजहों से हट सकते हैं डीजीपी

यूपीएससी ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि यूपीएससी द्वारा राज्य के तीन वरीय अफसरों के नाम का पैनल भेजा जाएगा। अफसरों के बेहतर सर्विस रिकॉर्ड, सेवा की अवधि व पुलिस विभाग में अनुभवों के आधार पर इन तीन वरीय अफसरों में एक को राज्य सरकार को डीजीपी के पद पर दो सालों के लिए चुनना होगा। दो साल के भीतर इन पुलिस अधिकारियों को तभी हटाया जा सकता है, जब इन्हें ऑल इंडिया सर्विस रूल्स में दोषी पाया गया हो, किसी मामले में न्यायालय द्वारा सजा दी गई हो या शारीरिक वजहों से वो काम करने में अक्षम हों।

बतानी होगी चौबे को हटाने की वजह

यूपीएससी ने राज्य सरकार से केएन चौबे को हटाने की वजह पूछी है। पूछा गया है कि उन्हें किन वजहों से डीजीपी के पद से हटाया गया। क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दायरे में आने वाली किसी वजह से उन्हें हटाया गया है। राज्य सरकार को यूपीएससी ने स्पष्ट किया है कि बगैर वजह बताए सरकार द्वारा नए डीजीपी की प्रतिनियुक्ति संबंधी पैनल भेजने पर विचार नहीं किया जा सकता।

Posted By: Inextlive