रांची : अब कोरोना के वैरिएंट की पहचान राज्य में ही हो सकेगी। कोरोना के वैरिएंट की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर में पाजिटिव पाए गए सैंपल की जीनोम सिक्वें¨सग यहीं हो सकेगी। इसके लिए रांची के रिम्स तथा जमशेदपुर के एमजीएम में एक-एक जीनोम सिक्वें¨सग मशीन लगाई जाएगी। केंद्र से जीनोम सिक्वें¨सग मशीन नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने अपने खर्च पर दो मशीनें खरीदने का निर्णय लिया है।

एक मशीन की मांग

राज्य सरकार ने पूर्व में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) से जीनोम सिक्वें¨सग के लिए एक मशीन की मांग की थी। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने इसे लेकर दो बार आइसीएमआर को पत्र लिखे। इसपर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने यह मशीन खुद खरीदने का निर्णय लिया। स्वास्थ्य विभाग ने दो मशीनें खरीदने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद इसपर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी।

भुवनेश्वर भेजते हैं

आइसीएमआर ने आरटी-पीसीआर में पॉजिटिव पाए गए वैसे सभी सैंपल की जीनोम सिक्वें¨सग कराने की अनुशंसा की है जिसका सीटी वैल्यू 25 या इससे कम होता है। वर्तमान में जीनोम सिक्वें¨सग के लिए सैंपल भुवनेश्वर स्थित रीजनल जीनोम सिक्वें¨सग लेबोरेट्री को भेजे जाते हैं। वहां से इसकी रिपोर्ट आने में एक से डेढ़ माह लग जाते हैं। राज्य सरकार ने सभी 10 आरटी-पीसीआर लैब को प्रत्येक माह 30-30 सैंपल अनिवार्य रूप से जीनोम सिक्वें¨सग के लिए भेजने के निर्देश दिए हैं।

दो कोबास मशीनें

राज्य सरकार ने कोरोना जांच के लिए कोबास मशीन की भी मांग आइसीएमआर से की थी। इसे लेकर भी पिछले साल कोरोना की पहली लहर आने के बाद कई बार आइसीएमआर को पत्र लिखे गए। आइसीएमआर से यह मशीन नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने अपने खर्च पर दो ऐसी मशीनें खरीदने का निर्णय लिया है। रांची के रिम्स तथा दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में एक-एक कोबास-6800 मशीन लगेगी। राज्य सरकार ने दोनों मेडिकल कॉलेज सह अस्पतालों में एक-एक कोबास मशीन लगाने के लिए रोचे डायग्नोस्टिक लिमिटेड को वर्क आर्डर दिया है। दोनों मशीनों को लगाने पर कुल 8.73 करोड़ रुपये खर्च होंगे। कोबास मशीन लग जाने से प्रत्येक मशीन से एक दिन में 1,344 सैंपल की जांच हो सकेगी। इससे प्रत्येक दिन 2,700 सैंपल की जांच बढ़ जाएगी।

Posted By: Inextlive