झारखंड में डॉक्टर्स की अब क्राइसिस नहीं होगी. जी हां डॉक्टर्स की नियुक्ति के लिए पहले जो रिटेन परीक्षा और इंटरव्यू होता था वो सब खत्म हो जाएगा. अब सीधे डॉक्टर के सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्ति की जाएगी. इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग का मकसद इंटरव्यू के कारण नियुक्ति में उत्पन्न रोड़ा को खत्म करना है.


रांची (ब्यूरो)। राज्य में कुल 330 प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स संचालित हैं, जिनमें से 140 पीएचसी में महज एक-एक डॉक्टर कार्यरत हैं। रा'य में कोई ऐसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, जहां चार या इससे अधिक डॉक्टर्स कार्यरत हों। तीन डॉक्टरों वाले ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या महज 14 है, जबकि 42 ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां दो-दो डॉक्टर कार्यरत हैं। दूसरी तरफ , सात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जहां एक भी डॉक्टर कार्यरत नहीं है।डब्लयूएचओ की रिपोर्ट में खुलासा झारखंड इस वक्त डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। हर साल 300 डॉक्टर्स तैयार करने वाले झारखंड में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित प्रति हजार मरीजों पर एक डॉक्टर के अनुपात में बहुत कम डॉक्टर हैं। मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी यह खुलासा हुआ है।200 से ज्यादा डॉक्टर्स नहीं करते इलाज
राज्य भर में डॉक्टरों की कमी पहले से हीं चल रही है। वर्तमान में 1524 डॉक्टर हैं। इसमें से 200 ऐसे डॉक्टर हैं जो मरीजों का इलाज नहीं करते हैं। वो एडमिनिस्ट्रेटिव पोस्ट पर बैठकर सिर्फ प्रशासनिक काम करते हैं। सदर अस्पताल या मेडिकल कॉलेजों में बहुत सारे डॉक्टर ऐसे हैं जो मरीजों का इलाज छोड़कर सरकार के कागज वाल पर काम करते हैं। एक तो पहले से ही डॉक्टर्स कम हैं, ऊपर से जो हैं उनको भी इलाज छोड़कर दूसरे कामों में लगा दिया गया है। रांची में 1400 डॉक्टर्स की जरूरतराजधानी के अरबन एरिया की आबादी करीब 16 लाख है। ऐसे में यहां पर 1400 डॉक्टरों की जरूरत है। जबकि इतनी संख्या तो पूरे रा'य में डॉक्टरों की है। वहीं शहर में भी डॉक्टरों की संख्या आबादी की तुलना में काफी कम है। यही वजह है कि मरीजों को इलाज के लिए दूसरे रा'यों का रूख करना पड़ता है। इसके अलावा रा'य में स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी पर्याप्त संख्या में नहीं है। जिसका खामियाजा सिटी के मरीज भुगत रहे है। माक्र्स होगा बहाली का आधार


स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो नियमावली बन रही है, उसके अनुसार डॉक्टर की डिग्री लेने वाले छात्रों की माक्र्स और एक्सपीरियंस के आधार पर नियुक्ति होगी। अब तक जेपीएससी के माध्यम से डॉक्टरों की नियुक्ति की जाती है। उनका रिटेन एग्जाम और इंटरव्यू होता है, इसमें बहुत समय लग जाता है, और बहुत सारे लोग इस प्रॉसेस से बाहर हो जाते हैं। नतीजन हालात जस का तस बना रहता है। अब जब सिर्फ माक्र्स पर बहाली होगी तो जितने डॉक्टर की जरूरत होगी, उतने लोगों को बुलाया जाएगा और माक्र्स के आधार पर उनकी ज्वाइनिंग हो जाएगी। गुजरात मॉडल होगा लागूगुजरात जैसे कई राज्य हैं जहां पहले से ही यह व्यवस्था लागू है। वहां माक्र्स के आधार पर ही डॉक्टर्स की नियुक्ति होती हैं। इस कारण वहां डॉक्टरों की कमी नहीं है। अब झारखंड में भी यही व्यवस्था लागू की जा रही है।

Posted By: Inextlive