रांची: देश में कहीं भी साइबर अपराध हो तो उसमें झारखंड का नाम जुड़ ही जाता है। साइबर अपराध का गढ़ माने जाने वाले झारखंड में अब यह तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ते साइबर अपराध की रोकथाम के लिए राज्य पुलिस ने ऑपरेशन तेज कर दिए हैं। डीजीपी एमवी राव ने आम लोगों से अपील की है। उन्होंने कहा है कि लोग सोशल मीडिया पर अपना पर्सनल इंफॉर्मेशन शेयर ना करें और ना ही अपना फोन किसी अनजान लोगों के साथ शेयर करें। गिफ्ट या रुपया पाने संबंधी फोन कॉल्स को लेकर अलर्ट रहना चाहिए। अपने बैंक के पासवर्ड को सुरक्षित रखें तभी साइबर अपराध से सुरक्षित रहेंगे।

90 परसेंट जिलों में साइबर अपराधी

झारखंड में साइबर अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जामताड़ा साइबर अपराध के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान तो बना ही चुका है। लेकिन इस बीच हैरत करने वाली एक और बात सामने आयी है। वह यह कि झारखंड के 24 में 22 जिलों में साइबर अपराधी सक्रिय हो गये हैं। यहां लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध पर पुलिस अंकुश लगाने में विफल साबित हो रही है।

150 से ज्यादा गिरोह

जानकारी के अनुसार, झारखंड में साइबर अपराध के 150 गिरोह सक्रिय हैं। इनमें से कई गिरोहों को झारखंड पुलिस ने चिह्नित भी कर लिया है। हालांकि, झारखंड पुलिस के लिए ये गिरोह बड़ी चुनौती बने हुए हैं। वहीं पुलिस अब इनका सफाया करने के लिए सक्रिय दिख रही है। कई अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की भी तैयारी चल रही है। साइबर क्राइम के ज्यादातर मामले एटीएम से जुड़े होते हैं। अपराधी बूढ़े-बुजुर्ग या महिलाओं को शिकार बनाते हैं। ये लोग एटीएम के बाहर अकेले खड़े लोगों को शिकार बनाते हैं। बहुत बार बैंक अधिकारी बनकर फर्जी तरीके से लोगों का बैंक खाता खाली कर देते हैं। साइबर अपराध के गिरोह में 20-30 वर्ष के बीच के अपराधी शामिल होते हैं। जो साइबर अपराध की घटना को अंजाम देते हैं।

कैसे-कैसे साइबर फ्रॉड

बैंक फ्रॉड : बैंक, इंश्योरेंस कंपनी कर्मचारी बनकर एटीएम ब्लॉक, आधार कार्ड अपडेट करने का झांसा देकर ठगी एसएमएस, कॉल, ईमेल के जरिए की जा रही है। साथ ही लॉटरी लगने का मैसेज देकर ठगी होती है। डेबिट, क्रेडिट कार्ड एटीएम मशीन में लगाने और पीओएस मशीन से भुगतान के दौरान कई बार कार्ड क्लोनिंग कर ली जाती है।

एटीएम हैक : अपराधी एटीएम में हैकर डिवाइस लगाकर मशीन को हैक कर लेते हैं। मशीन स्लीपिंग मोड में करके क्यूआर-कोड हासिल करके हैकर पैसे निकाल लेते हैं।

सोशल मीडिया से क्राइम : मैसेंजर या एसएमएस के जरिए हैकर लिंक भेजता है। इसपर क्लिक करते ही फेसबुक आइडी, पासवर्ड उसके पास पहुंच जाता है, फिर हैकर इसका इस्तेमाल करता है। फेक आइडी का इस्तेमाल बदनाम करने और भड़काऊ पोस्ट करने में किया जा रहा है। कई बार फेक आइडी बनाकर लोगों से पैसे की मांग की जाती है।

सोशल मीडिया जिस तरह से वरदान है, उसी तरह से उसका दुरुपयोग भी किया जाता है। ऐसे में किसी भी तरह से अपनी पर्सनल इन्फार्मेशन शेयर ना करें। सेफ रहें और साइबर अपराध पर अंकुश लगाएं।

एमवी राव, डीजीपी, झारखंड

Posted By: Inextlive