कांटाटोली फ्लाईओवर पर लगा ग्रहण अब जल्द ही खत्म होने वाला है. तीन साल से कागजों पर चलता हुआ यह फ्लाईओवर अब जमीन पर उतरने वाला है.


रांची(ब्यूरो)। कांटाटोली फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 9 नवंबर को टेंडर खोला जाएगा। जुडको ने फ्लाईओवर निर्माण के लिए टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि 8 नवंबर तय कर दी है। इसके दूसरे ही दिन 9 नवंबर को टेंडर खोला जाएगा। 9 नवंबर को ही फाइनल हो जाएगा कि कांटाटोली फ्लाईओवर का काम किस एजेंसी के हवाले किया जाएगा। काम एलॉट होने के 2 साल के भीतर फ्लाईओवर निर्माण का काम भी पूरा हो जाएगा।18 प्रतिशत ही हुआ है काम


पूर्व में निर्धारित 1250 मीटर की जगह बनने वाले 2240 मीटर लंबे कांटाटोली प्लाईओवर के लिए हेमंत सरकार में पहली बार टेंडर जारी हुआ है। प्लाईओवर निर्माण का काम कुल 24 माह में करने का प्रस्ताव है। फ्लाईओवर निर्माण की योजना 2016 में बनी थी 2017 में फ्लाईओवर निर्माण करने के लिए एजेंसी का चयन किया गया। लेकिन भू-अर्जन नहीं होने के कारण काम चालू नहीं हो पाया था। मई 2018 में भू-अर्जन का काम पूरा हुआ और जून 2018 से फ्लाईओवर निर्माण का काम शुरू हुआ। जून 2020 तक कांटाटोली फ्लाईओवर बनकर तैयार हो जाना चाहिए था। लेकिन, अब तक 132 पाये, दो कैप और एक पिलर की ही कास्टिंग हुई है।कॉस्ट भी बढ़ता गया

तीन साल से कांटाटोली फ्लाईओवर का काम बंद है। इससे आमलोगों को आने-जाने में परेशानी तो हुई है, इसकी लागत भी बढ़ती गई। फ्लाईओवर निर्माण की लागत बढ़कर 224 करोड़ रुपए हो गई है। शुरुआत में 40 करोड़ का डीपीआर बनाया गया था। धीरे-धीरे 84 करोड़ तक पहुंच गया। इसके बाद निर्माण की लागत 187 करोड़ रुपए पहुंच गई। तीन साल से काम बंद पड़ा हुआ है, जिसके बाद इसकी लागत को सरकार ने बढ़ाकर बजट में 224 करोड़ रुपए कर दिया है।हर दिन लगता है जामआलम यह है कि हजारीबाग और टाटा रोड को जोडऩे वाला यह फ्लाईओवर अधूरा पड़ा हुआ है। इसकी वजह से जाम की समस्या भी लगातार हो रही है। निर्माण कार्य की वजह से डस्ट भी ज्यादा उड़ रहा है जो आम लोगों को बीमार भी कर सकता है। वर्षो से अधूरे पड़े कांटाटोली फ्लाईओवर की वजह से परेशानियां झेल रहे लोगों का साफ कहना है कि इस प्रोजेक्ट में हो रही देरी से ऊब गए।कई बार कैंसिल हुआ टेंडर

2018 से काम शुरू होने के बाद 2019 में ही काम बंद हो गया था। उसके बाद बचे हुए काम को पूरा करने के लिए सरकार के स्तर से कई बार टेंडर पहले ही किया जा चुका है। अब कैबिनेट से फाइनल अप्रूवल मिलने के बाद जुडको ने फिर से टेंडर किया है। इस बार यह लग रहा है कि टेंडर फाइनल करके काम शुरू कर दिया जाएगा।मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बनेगा फ्लाईओवरफ्लाईओवर का निर्माण आधुनिक तकनीक 'सेगमेंटल बॉक्स गार्डर सिस्टमÓ से कराया जाएगा। नयी तकनीकी के आधार पर संशोधित डिजाइन और डीपीआर भी बनेगा। वर्तमान में कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण पीएससीआई गार्डर प्रणाली से हो रहा था। पीएससीआई प्रणाली में गार्डर को प्रीकास्ट कर क्रेन के सहयोग से खंभे पर रखा जाता है। अमूमन इस प्रणाली में रात में काम होता। डेक स्लैब की कास्टिंग कार्य स्थल पर ही होती है। यातायात भी प्रभावित होती रहती है। जबकि सेगमेंटल बॉक्स प्रणाली में प्रस्तावित फ्लाईओवर के मिड लाइन पर विशेष लांचर के जरिये छोटे प्रीकास्ट सेगमेंट को आगे बढ़ाया जाता है। इस आधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल बड़े शहरों में हो रहा है। इस सिस्टम में काम तेज होता है। हालांकि यह कुछ महंगा पड़ता है। इस प्रणाली में यातायात बाधित नहीं होती है

Posted By: Inextlive