RANCHI: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में श्रमिक योजना और वेब पोर्टल का शुभारंभ किया। इसके तहत राज्य के शहरी क्षेत्र व 51 नगर निकायों में रहने वाले अकुशल श्रमिकों को साल में कम से कम 100 दिन रोजगार की गारंटी होगी। निबंधन के 15 दिनों के भीतर रोजगार मिलेगा। मनरेगा की तर्ज पर बनी इस योजना की खासियत है कि लोगों को शहरी क्षेत्र में ही काम मिलेगा। ऐसा नहीं होने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। हालांकि भत्ता कितना होगा यह अभी स्पष्ट नहीं किया गया है। सरकार की योजना है कि इस माध्यम से कम से कम पांच लाख लोगों को किसी न किसी प्रकार के रोजगार से जोड़ा जाए। यह काम शहरी निकायों से संबंधित होंगे, जिसमें साफ-सफाई से लेकर निर्माण कार्य तक शामिल है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न अफरातफरी के बीच दूसरे राज्यों से मजदूरों को वापस लाने की चुनौती स्वीकार की गई। इससे भी बड़ी चुनौती इन श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराना था। ग्रामीण क्षेत्रों में तो मनरेगा के तहत लाखों की संख्या में श्रमिकों को रोजगार मिला। समस्या शहरी क्षेत्र के श्रमिकों के लिए थी, इसी को मद्देनजर रखते हुए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना बनाई गई है।

दस लाख श्रमिक जाते दूसरे राज्य

सीएम ने कहा कि लॉकडाउन के कारण ही यह पता चल पाया कि लगभग 10 लाख श्रमिक झारखंड से रोजगार के लिए दूसरे राज्यों को जाते हैं। महामारी के दौरान सबसे अधिक श्रमिक परेशान हुए। ट्रेन, बस और हवाई जहाज से श्रमिकों की वापसी कराई गई। झारखंड ही ऐसा पहला राज्य है जिसने श्रमिको की वापसी के लिए केंद्र से अनुमति मांगी। लॉकडाउन के दौरान पूरे राज्य में दाल-भात योजना, दीदी किचन और महिला समूहों के जरिए किसी को भूखे नहीं रहने दिया गया।

श्रमिकों को डीबीटी के जरिए भेजे 25 करोड़

मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को डीबीटी के जरिए 25 करोड़ रुपये खातों में भेजे गए। राज्य में पहले कोई टे¨स्टग लैब नहीं थी लेकिन आज सभी जिलों में टे¨स्टग का कार्य चल रहा है। लॉकडाउन के दौरान रोजगार के अभाव से दिहाड़ी मजदूरों के लिए विपरीत समय आया, इसलिए हमलोगों ने सरकार के स्तर पर समय-समय पर योजनाएं बनाई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि शहरों को फिर से हरियाली की ओर ले जाएं।

31 परसेंट शहरी आबादी गरीबी रेखा से नीचे

नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने जानकारी दी कि पांच श्रमिकों को सांकेतिक रूप से जॉब कार्ड दिया गया है। शहरी जनसंख्या में लगभग 31 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं। उन्हीं को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य है। योजना से लगभग पांच लाख लोग लाभान्वित होगें। आवेदन देने के 15 दिनों के बाद में शहरी क्षेत्र में रोजगार दिया जायेगा। इस कार्य के तहत साफ-सफाई, हरियाली और विकास के कार्य में श्रमिक संलग्न होंगे। देरी होने पर बेरोजगारी भत्ता भी दिया जायेगा। कार्यक्रम में राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्य मंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार, रांची के नगर आयुक्त मुकेश कुमार आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive