>RANCHI: बोलने का अंदाज, ऑफिस की साज-सज्जा, पहनावा देख कोई नहीं कह सकता था कि वह फ्रॉड करती होगी। लाइफ स्टाइल ऐसी कि मानो किसी एलिट फैमिली की महिला हो। हाथों में सोने की अंगूठियां, महंगे मोबाइल, गले में सोने की चेन, रेशमी साड़ी, लाल रंग की चमकदार कार और चेहरे पर लाली देख कर लोग यूं ही धाराशायी हो जाते थे और वह इसी का फायदा उठा कर क्लाइंट से पैसे निकाल लेती थी। वह कहां रहती है, पति का क्या नाम है, इसकी जानकारी उसके ऑफिस में बैठे स्टाफ्स तक को नहीं होती थी। जब भी कोई क्लाइंट तंग करता, तो वह मोबाइल ही स्वीच ऑफ कर देती थी। मिलने आता था तो बहाना बनाकर समय लेती और उसे चलता कर देती। जी हां, यह कोई और नहीं, बल्कि जिंदल कंपनी में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी करने वाली सरिता सिंह ही है, जिसे बुधवार को हिंदपीढ़ी थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

खुद को बताती थी रिटायर्ड जेलर की बेटी

सरिता सिंह खुद को रिटायर्ड जेलर की बेटी बताती थी। वह क्लाइंट के सामने ही जिंदल के किसी एचआर से बात करती थी और नौकरी पक्की कर देती थी, जिसका जैसा क्वालिफिकेशन, उसे वैसा काम। फिर, अपने क्लाइंट को फर्जी कॉल लेटर देती थी और तीन महीने के बाद कन्फर्मेशन लेटर देने की बात कह कर पैसे ऐंठ लेती थी। बेरोजगार युवक भी नौकरी पाने की चाह में उसे एक लाख रुपए नकद दे देता था और चला जाता था।

जिंदल, रिलायंस व प्राइवेट बैंक में दिलाती थी नौकरी

वह ऐसे लोगों से पैसे लेती थी, जो रांची शहर से बाहर के होते थे। इससे उसे दो फायदे होते थे, जब कोई पीडि़त फोन करता, तो उसे फोन पर खुद को बाहर रहने की बात कहती। फिर, दूसरे शिकार की तलाश में जुट जाती थी। वह अधिकतर लोगों को जिंदल कंपनी में सुपरवाइजर, इंजीनियरिंग, रिलायंस समेत प्राइवेट बैंकों में जॉब दिलाने का ऑफर देती थी। उसकी बातें इतनी लच्छेदार होती थी कि किसी को भी उस पर धोखाधड़ी करने का शक भी नहीं हाे पाता था।

पैसे मांगने पर छेड़खानी का लगा देती थी आरोप

महिला जानती थी कि वह महिला अधिकारों का कैसे अपने हित में इस्तेमाल कर सकती है। एक बार दोस्त का पैसा लेने एक युवक सीधे उसके ऑफिस में आ गया। महिला अपनी चूड़ी फोड़ते हुए युवक पर छेड़खानी का आरोप लगा दी। चिल्लाते हुए युवक की पिटाई करते हुए सड़क पर आकर ट्रैफिक पुलिस से उसे पकड़वा दी। इसके बाद हिंदपीढ़ी थाना पुलिस के सुपुर्द कर दी। बाद में वह युवक को केस करने की धमकी देती थी। इसके लिए वह स्कॉरपियो समेत अन्य वाहनों से थाना भी पहुंच जाती थी, कंप्लेन दर्ज कराने के लिए। बाद में समझाने पर वह युवक से केस ना करने की स्थिति में पैसे भी ले लेती थी।

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तो फंस चुका था संजय कुमार

महिला सरिता सिंह के कारनामों से तंग आकर हजारीबाग जिले के जिस युवक संजय कुमार ने हिंदपीढ़ी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, वह सरिता सिंह के चंगुल में बुरी तरह फंस चुका था। बकौल संजय कुमार वह रांची में रह कर नौकरी की तलाश में जुटा था। एक दिन वर्ष ख्0क्ख् में घूमते-घूमते उसने कपूर मार्केट में सीआइएमएस एंड कंसल्टेंसी का बोर्ड देखा। वह उस ऑफिस में चला गया। ऑफिस में चार लोग बैठे थे, इनमें दो लड़कियां व दो लड़के थे। सरिता सिंह काले रंग के शीशा लगे अपने केबिन में बैठी रहती थी। संजय भी नौकरी की आस में सरिता सिंह के पास पहुंच गया। सरिता सिंह को संजय ने कहा कि उसे नौकरी करनी है। इस पर सरिता सिंह ने कहा कि नौकरी मिल जाएगी। जिंदल में सुपरवाइजर का पोस्ट खाली है। वह तैयार हो गया, तो उसे बताया गया कि नौकरी के लिए एक लाख रुपए नकद देने होंगे। संजय कुमार से उसका क्वालिफिकेशन पूछा गया है, फिर अपना ई-मेल आईडी व जिंदल कंपनी के एचआर का ई-मेल आईडी देती थी। ई-मेल आईडी से रिज्यूम मंगवा कर वह एचआर को मेल करती थी। फिर फोन कर कन्फर्मेशन लेती थी। संजय ने नौकरी होने की बात अपने कुछ साथियों जितेंद्र राणा, विनोद कुमार साव व शशि कुमार को बताई। उनलोगों ने भी सरिता सिंह को पैसे दिए। पर, किसी की नौकरी नहीं हो पाई। संजय कुमार ने पुलिस को बताया कि जब भी वह नौकरी की बात करता था, तो कहा जाता कि मेरा आदमी कोयला घोटाले में पकड़ा गया है, कल फोन करो, दो महीने बाद आओ, यह सब कह कर टरका दिया जाता था। जब वह ऑफिस मिलने के लिए पहुंचता तो अंदर से ही वह लड़कियों को इशारा कर देती कि कह दो मैडम रांची में नहंीं हैं।

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एएसआई को भी बनाया था शिकार, दबाव देने पर लौटाए थे पैसे

दूसरी ठगी के शिकार रांची जैप-क्0 में पदस्थापित एएसआई ओमप्रकाश यादव हुए। उन्हें अपने भतीजे के लिए नौकरी चाहिए थी। जबकि वह खुद इंजीनियर है और दूसरी कंपनी में कार्यरत था, लेकिन वहां उसकी सैलरी कम थी। इसलिए एक दिन वह सीआइएमएस कंपनी में पहुंच गया। उसे जिंदल कंपनी में सुपरवाइजर के तौर पर भ्0 हजार रुपए सैलरी की नौकरी देने की बात पक्की हो गई। महिला ने आनन-फानन में फॉल्स कॉल लेटर भी दे दिए। एएसआई ने उसके लटके-झटके देख कर पैसे दे दिए। लेकिन नौकरी नहीं मिली। एएसआई उसके ऑफिस पहुंचता तो वह प्यार से चाचा बुलाती थी और कहती थी कि पैसे दे दूंगी। यह कहते हुए उसने एक साल तक एएसआई को टरकाया। जब भी उसे फोन किया जाता था तो वह मोबाइल स्वीच ऑफ कर देती थी। एएसआई ने जब महिला को धमकी दी और दबाव दिलवाना शुरू किया तो उन्हें एकमुश्त राशि तो नहीं, लेकिन थोड़े-थोड़ कर पैसे देती रही, ताकि वह शांत रहे। अब भी ख्0 हजार रुपए महिला के पास बाकी हैं।

पत्नी के कारनामों से आजिज था पति

बताया जाता था कि उसके पति रूद्र प्रताप सिंह रांची में रह कर ठेकेदारी वगैरह का काम करते हैं। एक बार जब वह थाना पहुंची तो उसके पति भी साथ गए थे। वह पत्‍‌नी को इस तरह के काम करने से मना करते थे, लेकिन सरिता सिंह को इससे कुछ लेना-देना नहीं था। अपनी पत्‍‌नी की करतूत से रूद्र प्रताप सिंह भी आजिज आ चुके थे।

बंगाल से भी आ रहे कॉल

हिंदपीढ़ी थाना प्रभारी मो फारूख ने बताया कि उसके जेल जाने के बाद उनके मोबाइल पर पश्चिम बंगाल, बोकारो, हजारीबाग, गुमला, गिरिडीह, देवघर और धनबाद से ठगी के शिकार युवकों के कॉल आ रहे हैं। सभी लड़के पुलिस से आग्रह कर रहे हैं कि उनका पैसा वापस दिलवा दीजिए।

आइओ बंद कर दिया था ऑफिस जाना

संजय कुमार द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद अनुसंधानकर्ता जगतदेव भगत को बनाया गया। जगत देव भगत एक बार सरिता सिंह के ऑफिस में गए, तो उन्हें वहां से तुरंत चले जाने के लिए कहा। वह अनुसंधानकर्ता को सीएम तक की धमकी देती थी। कहती थी कि उसकी जान पहचान बहुत हाई प्रोफाइल लोगों से भी है, चुटकी में सस्पेंड कर दिए जाओगे। महिला की धमकी और डर से अनुसंधानकर्ता ऑफिस जाना ही छोड़ दिए थे।

समर्थन में कोर्ट भी पहुंचे थे कई लोग

जब महिला को कोर्ट में प्रस्तुत किया जा रहा था, तो उसके समर्थन में कई लोग सामने आ गए थे। पुलिस से कह रहे थे कि उन्हें किस आरोप में जेल भेजा जा रहा है। इस पर पुलिस ने कहा था कि यह बात कोर्ट से पूछिए। हमसे नहीं।

Posted By: Inextlive