Ranchi : चैंपियन वही बनते हैं जो जोश-जुनून और जज्बे से लबरेज होते हैं. स्ट्रगल से नहीं घबरानेवालों को ही मंजिल मिलती है. अगर ईमानदारी से मेहनत की जाए तो सफलता कदम जरूर चूमती है. स्टेट के ताइक्वांडो प्लेयर्स अपने परफॉर्मेंस से इन बातों को सच साबित कर रहे हैं. लेकिन यहां हम उन स्टार्स की बात कर रहे हैैं जो खुद तो चैंपियन हैं ही साथ ही चैंपियंस बना रहे हैं.

ये हैं चैंपियन
ताइक्वांडो में मिथिलेश सिंह, मोदस्सर खां, देवाशीष भगत, करमचंद, मनोरमा और अनिता कुछ ऐसे नाम हैं, जो नेशनल लेवल पर रांची के साथ-साथ झारखंड का नाम रौशन कर रहे हैं। मिथिलेश, मोदस्सर, सुधीर और मनोरमा जहां ईस्ट जोन ताइक्वांडो चैंपियनशिप के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं, वहीं देवाशीष और अनिता के खाते में सिल्वर मेडल आया था।

मोदस्सर का जवाब नहीं  
बरियातू के रिम्स ग्र्राउंड में ताइक्वांडो क्लब चलानेवाले मोदस्सर खान का मकसद प्लेयर्स को कुछ इस तरह तैयार करना है, ताकि वे नेशनल व इंटरनेशनल लेवल पर अपनी चमक बिखेर सकें। ताइक्वांडो का यह चैंपियन आज चैंपियन तैयार कर रहा है। इसमें सफलता भी मिली है। मोदस्सर के क्लब से निकले 13 प्लेयर्स नेशनल लेवल पर अपनी पहचान बना चुके हैं। खास बात है कि वे खुद भी  प्रैक्टिस करते हैं और खिलाडिय़ों को कराते भी हैं। मोदस्सर को इस साल बेस्ट ताइक्वांडो प्लेयर्स के खिताब से नवाजा गया है। 2010 के नेशनल चैैंपियनशिप और बोकारो में इस साल जनवरी में हुए ईस्ट जोन चैैंपियनशिप के वे गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। अपने शानदार परफॉरमेंस से सबका दिल जीतते रहे हैं।

गुरु के रोल में मनोरमा
मनोरमा सिंह भी ट्रेनिंग सेंटर चला रही हैं। जयपाल सिंह स्टेडियम में चलनेवाले कैंप में उभरते प्लेयर्स को ताइक्वांडो के गुर बताए जाते हैं। डेली सुबह दो घंटे तक चलनेवाले इस कैंप में मनोरमा खुद भी प्रैक्टिस करती हैं। मनोरमा के सिखाए कई प्लेयर्स स्टेट लेवल के कॉम्पटीशंस में अपना जलवा बिखेर चुके हैं।

Posted By: Inextlive