रिम्स में जन औषधि केंद्र पर भारी लापरवाही. नहीं मिल रहा दवा पर डिस्काउंट. मरीजों के परिजन मांगते हैं रसीद तो भी नहीं मिलता.


रांची (ब्यूरो)। रिम्स स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर भारी लापरवाही बरती जा रही है। जन औषधि केंद्र पर मरीजों के परिजनों को न तो दवा की रसीद दी जा रही है और न ही दवा के एमआरपी पर डिस्काउंट ही दिया जा रहा है। जन औषधि केंद्र पर लोगों को सभी दवाएं भी उपलब्ध नहीं रहती हैं। लोगों द्वारा बिल मांगने पर ही एकाध को बिल दिया जाता है, जबकि अधिकांश मरीज के परिजनों को बगैर बिल के ही लौटा दिया जाता है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर मरीजों की दवा के एमआरपी पर सात प्रतिशत छूट देने का प्रावधान है, जबकि इस छूट का लाभ भी केंद्र के संचालक एजेंसी की जेब में चला जा रहा है। क्या है प्रावधान
जन औषधि केंद्र की सस्ते दर की दवा दुकानें झारखंड समेत पूरे देश भर में खोली गई हैं, जहां मरीजों के लिए लगभग 200 तरह की दवाएं उपलब्ध होने की बात कही गई है। हर दवा की एमआरपी पर 7 प्रतिशत छूट देने का प्रावधान है। साथ ही यहां मिलनेवाली दवाएं बाजार की कीमतों से 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। यह केंद्र सातों दिन और 24 घंटे खुली रहती है, ताकि मरीजों को सस्ती दवा के लिए इधर-अधर नहीं भटकना पड़े।


नहीं मिल रही सभी दवाएंरिम्स स्थित जन औषधि केंद्र पर मरीज के परिजनों को सभी दवाएं नहीं मिलती हैं। यदि डॉक्टर किसी मरीज को पांच दवा लिखते हैं तो केंद्र पर दो या तीन ही दवाएं मिलती हैं। बाकी की दो-तीन दवाओं के लिए लोगों को निजी दवा दुकानों में जाना पड़ता है। इससे केंद्र सरकार की ओर से आम और गरीब लोगों को सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है और निजी दुकानदारों की चांदी हो रही है। दवाई दोस्त करता था संचालनप्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की जगह पूर्व में रिम्स के पास दवाई दोस्त मरीजों को सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराता था, लेकिन रिम्स प्रबंधन की ओर से दवाई दोस्त के संचालन का कार्यकाल समाप्त होने पर करार समाप्त कर दिया गया और आगे एक्सटेंशन नहीं दिया गया। दवाई दोस्त की कार्य अवधि जून 2016 में समाप्त हुई थी। इसके बाद इस मामले में लंबे विवाद के बाद रिम्स की गवर्निंग बॉडी ने इस साल के जनवरी महीने से टेंडर के जरिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोल दिया। केस-1

रातू रोड निवासी बजरंग रजक कहते हैं कि डॉक्टर की लिखी पांच दवाओं में से जन औषधि केंद्र में केवल दो ही दवा मिली। बजरंग ने कहा कि उन्हें दवा में किसी प्रकार की छूट नहीं दी गई और दवा का बिल भी नहीं दिया गया। केस-2राजधानी के हातमा बस्ती के रहनेवाले दिनेश कुमार का कहना है कि उन्हें डॉक्टर ने पांच दवा लिखी थी, जिसमें से सस्ती दवा केंद्र से तीन दवा ही मिली और दवा का बिल भी नहीं मिला।केस-3चाईबासा के घाटशिला से पहुंचे रोहित राय का कहना है कि जन औषधि केंद्र में तीन दवा में से दो दवा मिली है, लेकिन दवा का कोई बिल नहीं दिया गया है और न ही बिल में किसी प्रकार की छूट दी गई।केस-4 खेलगांव से इलाज कराने पहुंचे पवन कुमार का कहते हैं कि तीन दवा में से उन्हें एक भी दवा नहीं मिली और बिल भी नहीं दिया गया।

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का संचालन रिम्स नहीं करता है। केंद्र ऑक्शन के माध्यम से खुला है। कभी-कभी बिल की राशि इतनी कम रहती है कि पेपर खर्च के कारण दवा का बिल लोगों को नहीं दिया जाता है। कोई एजेंसी केंद्र का संचालन करती है तो थोड़ी गड़बडिय़ां होंगी ही। -डॉ कृष्ण कुमार, पीआरओ, रिम्स

Posted By: Inextlive