सिंगापुर की कंपनी ने मेगा फूड पार्क का अधिग्रहण किया था लेकिन वह कंपनी भी आगे नहीं आ रही है. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उद्घाटन किया था. सात साल बाद भी मेगा फूड पार्क शुरू नहीं हुआ.


रांची(ब्यूरो)। रांची जिला स्थित झारखंड का इकलौता मेगा फूड पार्क सात सालों से बनकर तैयार है, लेकिन यह किसी काम का नहीं है। इस फूड पार्क का भविष्य अब भी अधर में लटका हुआ है। 2009 में मेगा फूड पार्क का शिलान्यास किया गया था और सात साल बाद 2016 में यह बनकर तैयार हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसका उद्घाटन भी किया। लेकिन आज भी यह मेगा फूड पार्क शुरू नहीं हो पाया है। इस मेगा फूड पार्क के शुरू होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 2000 से अधिक लोगों को रांची में रोजगार मिल जाता। पार्क से सीधे तौर पर 7000 किसानों को लाभ मिलता।जिस कंपनी को काम, वो दिवालिया
मेगा फूड पार्क बनाने के लिए भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा संयंत्र निर्माण करने वाली कंपनी को 43 करोड़ रुपए का अनुदान भी दिया गया था। पूरा प्लांट बनकर तैयार हो गया था, 2016 में इसका उद्घाटन भी हो गया। लेकिन 2017 में झारखंड मेगा पार्क बनाने वाली कंपनी के डायरेक्टर का दुबई में निधन हो गया। इसके बाद ही इस कंपनी पर ग्रहण लग गया। बैंक के लोन पर ब्याज बढ़ता रहा और बैंक का 39 करोड़ रुपए 2018 से बकाया हो गए। फिर इलाहाबाद बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत इसे अपने कब्जे में ले लिया, इसके बाद इस मेगा फूड पार्क को रद्द कर दिया गया।कोई कंपनी नहीं आई आगे2016 में ही इसका उद्घाटन हुआ, लेकिन किसी कारण से यह शुरू नहीं हो पाया। बाद में इंटरनेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल ने कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान के तहत इंडियन ओशन ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के समाधान योजना को मंजूरी दी थी। इसके तहत पिछले साल 10 फरवरी 2022 तक कंपनी को राशि जमा करनी थी, पर यह कंपनी डिफाल्टर हो गई। फिर एनसीएलटी ने नोटिस दिया तब कंपनी के लोग आए तो एनसीएलटी ने उन्हें आखिरी मौका देते हुए 31 दिसंबर तक पहली किस्त की राशि जमा करने को कहा। हालांकि, कंपनी की ओर से यह राशि भी जमा नहीं की गई। बता दें कि इंडियन ओशन ग्रुप सिटी लिमिटेड कंपनी सिंगापुर की कंपनी है और फूड प्रॉसेसिंग का कारोबार करती है। 100 करोड़ हुए खर्च


इस मेगा फूड पार्क को बनाने में 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इलाहाबाद बैंक द्वारा मेगा फूड पार्क का मूल्यांकन कराया गया था, जिसमें इसकी संपत्ति 100 करोड़ रुपए आंकी गई। वर्ष 2009 में केंद्र की तत्कालीन सरकार द्वारा रांची में मेगा फूड पार्क योजना की स्वीकृति दी गई थी। इसके लिए रियाडा द्वारा 56 एकड़ जमीन दी गई थी। मेगा फूड पार्क के निर्माण के लिए उद्योग विभाग ने एसपीवी बना दिया था, इस एसपीवी का नाम झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड है। कंपनी द्वारा रांची के इलाहाबाद बैंक के हरमू ब्रांच से करीब 44 करोड़ रुपए का लोन भी लिया गया था।कई जिलों को मिलता लाभइस मेगा फूड पार्क के शुरू हो जाने से झारखंड के कई जिलों में भी लोगों को रोजगार मिलता। खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा स्थापित इस पार्क में 33 इकाइयां होंगी। लोहरदगा, गोला, कोडरमा और हजारीबाग में स्टोर बनेगा और कच्चे माल की प्रॉसेसिंग होनी थी। इससे बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता।6 कंपनियां भागीदार थीं

झारखंड मेगा फूड पार्क लिमिटेड की स्थापना खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की मेगा फूड पार्क योजना के तहत की गई है। इसमें बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद भी पार्टनर थी। लेकिन, विवाद के बाद वह अलग हो गई। बाद में पेंटालून और फ्यूचर ग्रुप भी भागीदार बना था। वह भी अलग हो गया। इसके बाद पांच कंपनी मेगा फूड पार्क में भागीदार बनी थीं। ये कंपनियां हैं इंपावर, लूनर जेनरल ट्रेडिंग, छोरदिया फूड प्रोडक्ट्स लि., ग्रीन कॉस्ट नर्सरीज इंडिया प्रा। लि,। मिक्की शिपिंग लि., जेन-एक्स वेंचर कैपिटल और रियाडा। स्थानीय स्तर पर भी कई कंपनियों को यहां यूनिट अलॉट करने की योजना थी। फूड पार्क से ये होंगे फायदे-राच्य में किसानों से प्रति वर्ष करीब 16 हजार मीट्रिक टन सब्जियां और जंगलों में होने वाले फलों की खरीद की जाएगी।-मटर, टमाटर, गोभी, कटहल सहित अन्य कई प्रकार की सब्जियों का प्रसंस्करण कर पैकेजिंग की जाएगी।-प्रसंस्करण के लिए फल और सब्जियां गोला, हजारीबाग, पतरातू, डोमचांच व लोहरदगा से मंगाई जाएंगी।-सुविधाओं के माध्यम से आउटलेट और प्रसंस्करण इकाइयों को खुदरा व्यापार से जोड़ा जाएगा ।-कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ेगी और निवेश का बेहतर अवसर मिलेगा ।-ताजा उपज की खरीद के लिए राच्य में आपूर्ति श्रृंखला और बुनियादी ढांचे का विकास होगा।

Posted By: Inextlive