RANCHI:लॉक डाउन के दौरान झारखंड से गायब 116 बच्चों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। पुलिस के पास तीन माह बाद भी बच्चों को लेकर कोई क्लू नहीं है। जिस राज्य में बाल विकास के दावों और मानव तस्करी पर लगाम के नाम पर करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं, उस राज्य में बच्चों और महिलाओं के गायब होने का न तो सिलसिला थम रहा है और न ही उनका कोई पता लगा पा रहा है। सभी सक्षम एजेंसियां पस्त होने की स्थिति में आ गयी हैं। केवल लॉकडाउन के दौरान औसतन एक बच्चा प्रतिदिन गायब हुआ। आशंका है कि लॉकडाउन के दौरान ये बच्चे मानव तस्करों के आसान शिकार बने हैं। सबसे खतरनाक बात तो ये है कि इनमें से 89 लड़कियां हैं।

गरीब बच्चों पर टूटा कहर

गांवों से बच्चों के गायब होने की रफ्तार तेज हो गई है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य के तीन जिलों में सबसे ज्यादा बच्चे गायब हुए हैं। लाकडाउन के दौरान हजारीबाग से 27 बच्चे गायब हुए हैं, जिनमें 17 लड़कियां और 10 लड़के शामिल हैं। धनबाद से 23 बच्चे गायब हुए, जिनमें 19 लड़कियां और चार लड़के हैं। पूर्वी सिंहभूम में 21 बच्चे मिसिंग हैं, जिनमें 19 लड़कियां और दो लड़के शामिल हैं। हालांकि, सात जिले ऐसे हैं जहां इस बीच एक भी बच्चा गायब नहीं हुआ है।

आयोग ने जताई थी चिंता

गौरतलब है कि हाल के दिनों में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने आशंका जाहिर की थी कि लॉकडाउन से उभरी परिस्थितियों में मजदूरी के साथ-साथ देह व्यापार के लिए लड़कियों की तस्करी हो सकती है। ऐसे में इस संभावना को बल मिल रहा है कि राज्य से गायब हुए बच्चों को तस्करी कर बाहर के राज्यों में बेचा जा सकता है। हैरत की बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान आवागमन के सारे संसाधन बंद थे। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में बच्चे अपने गांव-घरों से गायब हुए हैं।

148 बच्चों का सुराग नहीं

2019 में राज्य के अलग अलग हिस्सों से गायब हुए 148 बच्चों का सुराग नहीं मिल पाया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल 201 लड़के व 176 लड़कियों के गायब होने या अपहरण का मामला दर्ज कराया गया था। इस तरह कुल 377 बच्चों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गई थी। लेकिन पुलिस ने 126 लड़के व 123 लड़कियों समेत कुल 229 बच्चों को बरामद किया। लेकिन 148 बच्चों का सुराग पिछले साल नहीं मिल पाया था। पुलिस को हजारीबाग से 19, देवघर से 17, धनबाद से 16, लोहरदगा से 15, रांची से 9 बच्चों का सुराग नहीं मिल पाया है। रेल जमशेदपुर में भी बीते साल 11 बच्चों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गई थी, लेकिन एक भी बच्चा बरामद नहीं किया गया।

अब तक 539 ट्रैफिकर गिरफ्तार

राज्य से गायब लड़कियों को बड़े पैमाने पर फर्जी प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए महानगरों में बेचा जाता है। साल 2015 से 2019 के बीच ट्रैफिकिंग को लेकर बड़ी कार्रवाइयां हुई हैं। 2015 से 2019 तक ट्रैफिकिंग के 490 केस एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थानों में दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने इस दौरान 131 पुरुष व 585 महिलाओं समेत 716 लोगों का रेस्क्यू कराया। वहीं पुलिस ने पांच सालों में 139 महिला ट्रैफिकर समेत कुल 539 ट्रैफिकर को गिरफ्तार किया है।

Posted By: Inextlive