--1.25 लाख स्टूडेंट्स इंटरमीडिएट में अधिक हुए हैं पास

--1.26 लाख अधिक विद्यार्थी हुए हैं पास 10वीं में

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- एक लाख की आबादी पर हैं महज आठ कालेज, प्लस टू में नहीं रहेंगी सीटें खाली

-- हर साल खाली रहनेवाली सरकारी प्लस टू विद्यालयों की दो लाख सीटें इस बार भरने की उम्मीद

रांची : इस वर्ष झारखंड बोर्ड (झारखंड एकेडमिक काउंसिल) की इंटरमीडिएट की परीक्षा में पिछले साल की अपेक्षा 1.25 लाख अधिक विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। इसी तरह 10वीं में भी उत्तीर्ण होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या पिछले साल से 1.26 लाख अधिक है। इससे जहां एक ओर कालेजों में स्नातक में नामांकन को लेकर मारामारी होगी, वहीं सरकारी प्लस टू विद्यालयों में हर साल खाली रह जानेवाली लगभग दो लाख सीटों के भर जाने की उम्मीद है।

स्टूडेंट्स इस बार ज्यादा

सामान्य तौर पर राज्य के डिग्री कालेजों में हर साल नामांकन को लेकर मारामारी होती है। इस बार तो 12वीं में उत्तीर्ण होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या भी काफी अधिक है। सीबीएसई व आइसीएसई बारहवीं में भी इस बार काफी अधिक विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए है। दूसरी तरफ, राज्य में उपलब्ध कालेजों की संख्या महज 323 है। प्रति एक लाख की आबादी (18-23 वर्ष) पर आठ कालेज ही उपलब्ध हैं, जबकि देश में इतनी आबादी पर 30 कालेज उपलब्ध है। कालेजों में छात्र-छात्राओं की भीड़ की स्थिति यह है कि राज्य में प्रति कालेज में औसत नामांकन 1,938 विद्यार्थियों का होता है, जबकि देश में यह औसत महज 680 है। तकनीकी शिक्षा का भी आलम यह है कि राज्य में 21 लाख की आबादी पर महज एक इंजीनिय¨रग कालेज उपलब्ध है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 7.7 लाख की आबादी पर ही एक इंजीनिय¨रग कालेज है।

प्लस टू में अलग स्थिति

दूसरी तरफ, इंटरमीडिएट के नामांकन में इससे उलट स्थिति है। पिछले कई वर्षों में थोक के भाव से हाई स्कूलों को प्लस टू स्कूलों में अपग्रेड किए जाने तथा प्लस टू स्तर के नए स्कूलों के खुलने से इनमें सीटें इतनी अधिक हो गई हैं कि बड़ी संख्या में सीटें भर ही नहीं पातीं। राज्य में दसवीं से ग्यारहवीं में स्थानांतरण की दर भी कम है। इस बार अधिक विद्यार्थियों के उत्तीर्ण होने से राज्य के इंटर कालेजों व प्लस टू स्कूलों को उम्मीद है कि उनकी अधिसंख्य सीटें भर जाएंगी। इंटरमीडिएट कालेजों तथा प्लस टू स्कूलों में हर साल लगभग दो लाख सीटों पर नामांकन नहीं होने से ये सीटें रिक्त रह जाती हैं।

प्लस टू में 5 लाख सीटें

बताते चलें कि राज्य में प्लस टू स्कूलों, स्थायी प्रस्वीकृत प्राप्त इंटर कालेजों, संबद्ध डिग्री कालेजों, अंगीभूत कालेजों व स्थापना अनुमति प्राप्त इंटर कालेजों में लगभग पांच लाख सीटें हैं, लेकिन इंटरमीडिएट में नामांकन लेनेवाले छात्र-छात्राओं की संख्या लगभग तीन लाख ही होती है। इस तरह लगभग दो लाख सीटें रिक्त रह जाती हैं। राज्य में छात्र-छात्राओं के दसवीं से 11वीं में स्थानांतरण की दर कम होने तथा बड़ी संख्या में छात्रों के पलायन होने से भी ये सीटें रिक्त रह जाती हैं। राज्य के 203 कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूलों तथा 89 माडल स्कूलों में भी प्लस टू स्कूलों की पढ़ाई होती है, लेकिन इनमें भी बड़ी संख्या में सीटें रिक्त रह जाती हैं। सबसे अधिक सीटें वाणिज्य संकाय में रहती हैं। राज्य में सरकारी प्लस टू स्कूलों की संख्या 510 हैं जहां लगभग 1 लाख 95 हजार सीटें उपलब्ध हैं। इसी तरह, अंगीभूत कालेजों में इंटरमीडिएट की लगभग 98 हजार सीटें हैं। स्थायी प्रस्वीकृति प्राप्त तथा स्थापना अनुमति प्राप्त कालेजों में भी लगभग डेढ़ लाख सीटें उपलब्ध हैं।

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नए कालेजों में पढ़ाई जरूरी

राज्य में 13 नए महिला कालेज खोले जा रहे हैं। इनमें सिर्फ सिमडेगा में पढ़ाई शुरू हुई है तथा कोडरमा में इस साल से पढ़ाई शुरू होने की संभावना है। अन्य सभी निर्माणाधीन हैं। यदि इन कालेजों का भी शीघ्र निर्माण पूरा कर पढ़ाई शुरू की जाए तो दो से तीन हजार छात्र-छात्राओं का नामांकन वहां हो सकता है। इसी तरह 13 जिलों में माडल कालेज खोले जा रहे हैं। इनमें चतरा, गिरिडीह, गोड्डा, सरायकेला-खरसावां एवं देवघर में निर्माण पूरा हो चुका है। यहां पढ़ाई शुरू की जा सकती है। चार अन्य माडल कालेजों का भी निर्माण शीघ्र पूरा कर नामांकन लिया जा सकता है। राज्य के 28 विधानसभा क्षेत्रों में डिग्री कालेज भी खोले जा रहे हैं। हालांकि इनमें इस वर्ष नामांकन की संभावना नहीं है।

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तीन इंजीनिय¨रग कालेजों व आठ पालीटेक्निक में भी नामांकन

राज्य में पलामू, गोला (रामगढ़) तथा कोडरमा में इस साल से नामांकन होना है। इससे कुछ राहत मिलेगी। हालांकि इसका संचालन सरकार करेगी या पीपीपी मोड पर नामांकन होगा, राज्य सरकार अभी तय नहीं कर पाई है। वहीं, आठ नए पालीटेक्निक संस्थानों (बगोदर, गोला, लोहरदगा, हजारीबाग, चतरा, खूंटी, जामताड़ा तथा पलामू) में भी इस साल से नामांकन होना है।

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Posted By: Inextlive