पानी टंकी में मोती की फार्मिंग
रांची की संजू देवी ने पेश की मिसाल स्वरोजगार की दिखाई नई राह. छोटे से पानी टंकी में कर रही मोती की फार्मिंग.
रांची(ब्यूरो)। संजू देवी मोती की खेती करती हैं। यह सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगता है, लेकिन सच है। संजू देवी ने नामुमकिन कर दिखाया है। समुद्र में पाए जाने वाले मोती की फार्मिंग संजू देवी अपने घर पर ही कर रही हैं। रांची के ललगुटवा की रहने वाली संजू देवी ने लघु उद्योग के रूप में मुर्गी पालन, बकरी पालन समेत अन्य व्यवसाय को न चुन थोड़ी अलग तरह के बिजनेस करने की सोचा। ईमानदारी व हार्ड वर्क की मदद से वह लगातार कामयाबी की ओर बढ़ती जा रही हैं। कहते हैं महिलाओं का मोती यानी पर्ल से बने आभूषणों के प्रति आकर्षण हमेशा से रहा है। ज्वेलरी में महिलाएं मोती ज्यादा पसंद करती हैं। इसे ही बिजनेस के रूप में शुरू करने की संजू की नई सोच उन्हें दूसरी महिलाओं से अलग बनाती है। साथ ही संजू देवी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही हैं। अब सिर्फ संजू देवी ही नहीं, बल्कि दूसरी महिलाएं भी उनके साथ जुड़ रही हैं। पानी की छोटी-सी टंकी में खेती
संजू देवी बताती हैं कि मोती की खेती के लिए किसी बड़े तालाब की भी जरूरत नहीं। पानी की छोटी सी टंकी में भी इसकी फार्मिंग हो सकती है। संजू देवी ने भी अपने ही घर में सीमेंट से बनी पानी की छोटी-छोटी टंकी में मोती की खेती की शुरुआत की। वह बताती हैं कि मोती की खेती में मुनाफा काफी अधिक है, लेकिन इसमें भी कई सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। संजू देवी अपने घर-गांव में एक यूनिक व्यवसाय शुरू करते हुए गांव की अन्य महिलाओं को भी इससे जोडऩे का काम कर रही हैं।लागत 50, मुनाफा 300
एक मोती की फार्मिंग में करीब 50 रुपए का खर्च आता है, जबकि इससे आमदनी 300 रुपए या इससे अधिक भी हो सकती है। संजू देवी ने बताया कि एक मोती की लागत लगभग 50 रुपए है, जबकि मुनाफा कम से कम 300 रुपए का होता है। मुनाफा मोती की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है। यदि मोती की क्वालिटी अच्छी होती है, तो उसकी कीमत 300 से लेकर 1500 रुपए तक भी मिल सकती है। लोग अपने घर के आंगन या छत पर बड़े आराम से इसकी खेती कर सकते हैं। सिर्फ सुबह और शाम ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि पहले वह गांव में बकरी और मुर्गी पालन करती थीं, उसमें मेहनत ज्यादा थी और मुनाफा काफी कम था, कभी-कभी नुकसान का भी खतरा रहता था, लेकिन मोती की खेती में जोखिम कम है और मुनाफा अधिक है। इसलिए इसी व्यवसाय को और आगे बढ़ा रही हैं। दूसरी महिलाएं भी मुरीद स्वरोजगार के पुराने ढर्रे को पीछे छोड़ संजू देवी ने मोती की खेती में कदम बढ़ाया है। उससे इलाके की अन्य महिलाएं भी काफी प्रभावित हैं। संजू के साथ दूसरी महिलाएं भी उनके साथ जुड़ रही हैं। उनके साथ मोती की फार्मिंग करने वाली प्रीती देवी ने बताया कि इस व्यवसाय से जुड़कर खुद का साबित करने का अवसर मिला है। संजू दीदी के साथ जुड़कर काफी कुछ सीखने को भी मिल रहा है। घर के आसपास में मोती की खेती होना अन्य महिलाओं के लिए भी कौतूहल का विषय बना हुआ है।लोन लेकर शुरुआत
संजू देवी ने बताया कि लॉकडाउन के समय घर की स्थिति काफी खराब हो चुकी थी। उसी बीच जेएसएलपीएस द्वारा अलग-अलग विषय पर फार्मिंग को लेकर प्रशिक्षण शिविर लगाया गया। इसी शिविर में मोती की खेती की जानकारी मिली। यह विषय थोड़ा अनूठा लगा और इसमें मुनाफा भी नजर आया। ट्रेनिंग लेने के बाद जेएसएलपीएस से ही बीस हजार रुपए लोन के रूप में लेकर इसकी शुरुआत की। संजू देवी के पिता बैजनाथ महतो भी किसान हैं। बचपन से ही खेती-किसानी के बारे में जानने-समझने का मौका मिला। संजू के पति शिवचंद्र महतो सेना में हैं। ऐसे होती है मोती की खेती पानी की टंकी में एंटीबायोटिक मिश्रण की मदद से उसे समुद्र के पानी की तरह खारा किया जाता है, जिसमें सीपियां जीवित रहती हैं। सुबह-शाम दो बार समुचित पानी की व्यवस्था कर इन सीपियों को जीवित रखा जाता है। ये सीपियां शैवाल में अपना पोषण पूरा करती हैं। छह से आठ महीने के बाद सीप को एक सेमी चीरा लगाकर उनमें कैल्शियम कार्बोनेट डाला जाता है, जो अलग-अलग आकृति की हो सकती हैं। इन मोतियों को तैयार होने के बाद बाजार में बेचा जा सकता है।
गाय, मुर्गी, बतख पालने वाले बहुत लोग हैं। यह व्यवसाय थोड़ा अलग है। इसलिए मैंने अपनी आजीविका के लिए इसे चुना। अभी मैं एक हजार मोती का पालन कर रही हूं। इसमें अच्छा मुनाफा है। अन्य महिलाओं को भी इसमें आगे आना चाहिए। -संजू देवी