1999 में भाकपा माओवादी संगठन में हुआ था शामिल,

130 से ज्यादा वारदातों में वांटेड, अब हथियार सौंपने की तैयारी

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RANCHI(11 रूड्ड4) : मोस्ट वांटेड कुंदन पाहन के नक्सली बनने के पीछे भी अजब दास्तां है। अपनी पैत्रिक संपत्ति वापस लेने के लिए ही वह 1999 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। रिश्तेदारों ने ही उसकी 1600 एकड़ पैत्रिक खूंटकटी जमीन पर कब्जा कर लिया था। इस जमीन की रसीद कुंदन पाहन के रिश्तेदार मानकी बैजनाथ पाहन के नाम से कटती थी.उपरोक्त जमीन में कुंदन पाहन के परिवार का हिस्सा करीब 500 एकड़ था। लेकिन उसके पिता का कब्जा मात्र 100 एकड़ जमीन पर था। धीरे-धीरे बैजनाथ पाहन ने 100 एकड़ जमीन से भी कुंदन पाहन के परिवार को बेदखल कर दिया था। जब कुंदन के परिवार ने इसका विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की गई। इस घटना के बाद कुंदन पाहन का परिवार चप्पुडीह से भाग कर तमाड़ के बारूहातू गांव में शरण लिया। यहां वे गिरिधर सिंह के यहां रह रहे थे। यहीं उसकी मुलाकात माओवादियों से हुई, जिन्होंने उसे उसकी पैत्रिक संपत्ति वापस करने का भरोसा दिलाया था।

जमीन वापस दिलाने का भरोसा

1999 के जनवरीमें गिरिडीह से नक्सली मिथिलेश, तेजलाल उर्फ डेविड, ईश्वर महतो, गिरिश महतो, रामचंद्र गंझू और मितन सहित अन्य नक्सली तमाड़ के बारूहातू गांव पहुंचे थे। यहीं कुंदन की उनसे मुलाकात हुई। उन्होंने कुंदन को उसकी पैतृक जमीन वापस दिलाने का भरोसा दिलाया। इसी के बाद ही जमीन विवाद का बदला और जमीन वापस पाने के लिए कुंदन पाहन माओवादियों के दस्ते में शामिल हो गया। कुंदन के नक्सली बनने की जानकारी मिलने के बाद रिश्तेदारों ने उसकी जमीन उसे वापस कर दी थी, लेकिन कुंदन ने नक्सली संगठन को अलविदा नहीं कहा। ऐसे में उसे बुंडू इलाके में माओवादियों का एरिया कमांडर बना दिया गया।

परिवार में कई और हैं नक्सली

कुंदन पाहन के परिवार कुछ और सदस्य नक्सली संगठन से जुड़े हुए हैं। उसका बड़ा भाई डिंबा पाहन ने इसी साल जनवरी के पहले सप्ताह में खूंटी में डीआईजी के समक्ष हथियार डाले थे। वह माओवादियों का जोनल कमांडर था। इसके अलावा कुंदन के एक और भाई व पांच लाख के ईनामी श्याम पाहन को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मालूम हो कि कुंदन पाहन खूंटी जिले के अड़की थाना एरिया के बारीगढ़ा निवासी नारायण पाहन के छह पुत्रों में सबसे छोटा है।

दस्ते में शामिल नाबालिग का रेप (बॉक्स)

भाकपा माओवादी के एरिया कमांडर कुंदन पाहन व उसके साथी कामदेव पर दस्ते में शामिल एक नाबालिग से दुष्कर्म करने का आरोप लगा था। नाबालिग माओवादी ने कहा था कि संगठन में रहते हुए भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर कुंदन पाहन उसके साथ दुष्कर्म किया था। मुंह खोलने पर उसके परिवार को मार डालने की धमकी दी गई थी। रांची की नामकुम निवासी इस नाबालिग नक्सली ने हालिया दिनों में सरेंडर किया था। इस मामले में रांची के सिविल कोर्ट में पीडि़ता के बयान पर केस दर्ज किया गया था। बाद में अदालत ने कुंदन पाहन और कामदेव पर दुष्कर्म के तहत आरोप तय किया था।

लूटे थे पांच करोड़, कमिटी को दिए मात्र एक लाख (बॉक्स)

नक्सली कुंदन पाहन ने 2008 में आईसीआईसीआई बैंक से पांच करोड़ और सोने लूटे थे। लेकिन लूट की इस रकम में से मात्र एक लाख ही उसने सेंट्रल कमेटी को दिए थे। इसका खुलासा उस वक्त हुआ था जब पुलिस ने झारखंड के बुंडू इलाके से एक नक्सली कमांडर को पकड़ा था।

हरियाणा में पकड़ाया था श्याम, खूंटी में डिंबा ने किया था सरेंडर

27 फरवरी, 2017 को झारखंड पुलिस के द्वारा कुंदन पाहन और उसके साथियों की तलाश में कई स्थानों पर छापेमारी अभियान चला रही थी। इसी क्रम में कुंदन पाहन के भाई श्याम पाहन भागकर हरियाणा चला गया था। हरियाणा यमुनागर की पुलिस ने झारखंड का नक्सली मोस्ट वांटेड श्याम पाहन बिलासपुर के कोटड़ा खास गांव में पोल्ट्री फार्म से पकड़ा गया था। झारखंड पुलिस ने उस पर पांच लाख रुपये का इनाम रखा हुआ था। श्याम पाहन पर झारखंड में हत्या, लूट, डकैती आदि के 80 से ज्यादा केस दर्ज हैं.श्याम पाहन उर्फ मोटू झारखंड के खूंटी जिले के अड़की थाने के गांव बारीगढ़ा का रहने वाला है। श्याम पाहन के अनुसार वह दो साल से गांव कोटड़ा खास में राजेश के पोल्ट्री फार्म पर रह रहा था। वह पोल्ट्री फार्म में अंडे उठाता था। वह फार्म पर अपना नाम बदल कर रह रहा था। किसी को पता न चले, इसलिए उसने अपना नाम महादेव रखा हुआ था, जबकि उसकी पत्‍‌नी सुक्त्रमनी देवी, 10 वर्षीय बेटा दुर्गा पाहन, बेटी फर्मिला आठ साल से पोल्ट्री फार्म पर रह रहे थे। इसके अलावा उसकी भाभी पार्वती और दामाद भी रह रहे थे।

बेहद निर्दयता के साथ ये लोगों का कत्ल किया करता था डिंबा

डिंबा पाहन का भाई कुंदन पाहन भी नक्सलियों का जोनल कमांडर है। डिंबा अक्सर हत्या करने के दौरान निर्दयता दिखाता था। वो अपने विरोधियों का गला रेत देता, हाथ-पैर काट देता, कई-कई दिनों तक भूखा-प्यास तक रखता था। वो विस्फोट कर अपने विरोधियों को उड़ा देता था। डिंबा पर आरोप है कि बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार की हत्या के दौरान उसने पहले विस्फोट कर उन्हें मारा। फिर डीएसपी के शव पर गोलियां बरसा दी थी।

कुंदन पर झारखंड सरकार ने 15 लाख रुपए का इनाम रखा है। हालांकि कुछ माह पहले पुलिस ने उसपर एक करोड़ के ईनाम का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, जो पेंडिंग है। उसके खिलाफ पूरे राज्य भर के विभिन्न जिलों में 130 से अधिक हिंसा के मामले दर्ज हैं। नक्सली डिंबा पाहन पर भी नक्सल हिंसा एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। नक्सली पर तमाड़ के जदयू विधायक रमेश सिंह मुंडा, बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार और इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या करने के आरोप हैं। पुलिस ऑफिसर्स के मुताबिक डिंबा एक साइको किलर रहा है। अपने दुश्मनों को वे बेहद निर्दयता के साथ मारा करता था। डिम्बा पाहन 1998 में पहली बार भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हुआ था। 1999 में वह पहली बार जेल गया था, फिर 2000 में बेल मिलने पर बाहर आ गया।

Posted By: Inextlive