रांची में 913 नए कोरोना पॉजिटिव मिले
- 42 ने तोड़ा दम, अब 19432 एक्टिव
-- रांची में कोरोना संक्त्रमण के मामले पिछले एक महीने से जिस रफ्तार से बढ़ रहे थे, उसमें थोड़ी सी गिरावट रविवार को दर्ज की गई। रांची में रविवार को एक अर्से बाद एक हजार से कम संक्त्रमितों (913) की पहचान हुई। इसके साथ ही 792 मरीजों ने कोरोना को मात भी दी। दूसरी ओर, मौत के आंकड़े कम नहीं हुए हैं। रविवार को भी 42 लोगों ने दम तोड़ दिया। इस तरह अब रांची में 19432 एक्टिव केसेज बचे हैं। पिछले साल 31 मार्च (2020) से लेकर अब तक रांची में कुल 69,895 पॉजिटिव केस आए हैं, जिसमें 49,640 मरीज डिस्चार्ज हो चुके है। रांची में शनिवार को भी 1377 पॉजिटिव केसेज की पहचान हुई थी। 606 लोगों की रिकवरी भी हुई थी। हालांकि, शनिवार को भी 47 लोगों की मौत हुई थी। दो पूर्व कुलपतियों का निधनझारखंड के दो पूर्व कुलपतियों की शनिवार को कोरोना के कारण मौत हो गई। इनमें रांची यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डा। शीन अख्तर और कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो। आरपीपी सिंह शामिल हैं।
68 वर्षीय प्रो। आरपीपी सिंह रांची रिम्स में भर्ती थे। वह कोल्हान विश्वविद्यालय में वर्ष 2014 से 2017 तक कुलपति रहे थे। इसके बाद रांची विवि के पीजी विभाग आ गए थे। वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त हुए थे। वे मैथमेटिकल इकोनोमिक्स के विद्वान थे। डा। आरपीपी सिंह ने रांची विवि से पीजी और पीएचडी किया था। 1978 में चतरा कालेज से लेक्चरर से शिक्षण शुरू किया। इसके बाद झुमरीतिलैया कालेज में रहे। यहां से रांची विवि के पीजी इकोनोमिक्स विभाग में आए। डा। आरपीपी सिंह को कैंसर था। वे इलाज कराकर घर लौटै थे। इसके बाद संक्रमित हो गए थे। छोटा बेटा अविनाश भी इस समय संक्रमित होकर रिम्स में भर्ती हैं। डा। सिंह के दो बेटे व एक बेटी है। बड़ा बेटा हैदराबाद में रहता है।
वहीं, डा। शीन अख्तर रांची यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति थे। शनिवार को रिम्स में उनकी मौत हो गई। सात दिन पहले उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया था। रविवार को उन्हें डोरंडा ईदगाह कब्रिस्तान मे सुपुर्द ए खाक किया गया। डा। शीन अख्तर ने शिक्षण की शुरुआत रांची विवि के डोरंडा कालेज से लेक्चरर के तौर पर की। इसके बाद 1979 में कमीशन से रीडर बने और रांची विवि के पीजी विभाग में आ गए। वर्ष 1998 से 2001 तक रांची विवि में प्रतिकुलपति रहे। इसी बीच 26 दिसंबर 2000 से आठ अप्रैल 2001 तक रांची विवि में ही कुलपति रहे। उर्दू के विद्वान डा। शीन अख्तर ने कई किताबें लिखीं। वे एक कुशल वक्ता भी थे। किसी विषय पर अपनी बातें बेहतर तरीके से रखते थे। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले रांची विवि के पूर्व कुलपति डा। एलएन भगत का भी निधन हो गया था।