रांची : चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सीबीआइ की ओर से शुक्रवार की शाम झारखंड हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि सीबीआइ की विशेष अदालत ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद को अलग-अलग धाराओं में सात- सात साल की सजा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि दोनों सजाएं एक के बाद एक चलाई जानी है। इस तरह लालू प्रसाद को इस मामले में कुल 14 साल की सजा मिली है। ऐसे में आधी सजा सात साल मानी जाएगी, जो अबतक पूरी नहीं हुई है। ऐसे में अभी लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।

समय की मांग

इससे पूर्व शुक्रवार को ही इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय देने की मांग की थी। इसपर अदालत ने तीन दिनों के अंदर अदालत में जवाब दाखिल करने को कहा था, परंतु सीबीआई ने शाम में ही जवाब दाखिल कर दिया। अब अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 16 अप्रैल मुकर्रर की है। इधर, सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआइ पर जानबूझ कर लेटलतीफी का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि समय पर जवाब दाखिल कर दिए जाने से न तो अदालत का समय नष्ट होता और न ही प्रार्थी को ही परेशानी होती।

सात-सात साल की सजा

लालू प्रसाद के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि सीबीआइ इसलिए इस मामले में लेटलतीफी कर रही है कि वह इस मामले में हाई कोर्ट के 19 फरवरी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर स्थगन आदेश प्राप्त कर ले। क्योंकि हाई कोर्ट इस मामले में सात साल की सजा की आधी अवधि मानकर जमानत पर सुनवाई कर रहा है, जबकि सीबीआइ कोर्ट ने चारा घोटाला से संबद्ध दुमका से जुड़े मामले में लालू प्रसाद को सात-सात साल की सजा सुनाई है।

सबसे ज्यादा जवाब

उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि लालू प्रसाद के मामले में ही सीबीआइ की ओर से सबसे ज्यादा जवाब दाखिल किया जा रहा है। उनकी कोशिश है कि लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर नहीं निकल पाएं। जब लालू प्रसाद ने जमानत याचिका दाखिल की थी तो सीबीआइ के पास जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय था। लेकिन वह मामले की सुनवाई का इंतजार करती रही, ताकि समय की मांग की जा सके। कहा गया कि पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से बहस पूरी कर ली गई थी। अब उनके पास कहने को कुछ नहीं है।

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Posted By: Inextlive