रांची: जिनके कंधे पर सिटी के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेवारी है। जो सिक्योरिटी को लेकर हर पल चौकस रहते हैं, उनकी खुद की स्थिति बदहाल है। जी हां, हम बात कर रहे हैं राजधानी के पुलिस स्टेशनों की, जो थाना कम और कबाड़खाना ज्यादा नजर आता है। कई पुलिस स्टेशन तो ऐसे भी हैं जिनका खुद का भवन भी नहीं है। बाजार समिति या पीएचईडी के भवन में संचालित हो रहे हैं। वहीं थानों में न पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय ही दुरुस्त हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सिटी के कई पुलिस स्टेशनों का रियलिटी चेक किया। इसमें कई समस्याएं सामने आईं। राजधानी में संचालित हो रहे थानों में महिला पुलिस को परेशानी ज्यादा है, उनके लिए सेपरेट शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है।

गोंदा थाना

राजधानी के सबसे वीआईपी इलाके में स्थित गोंदा थाना। वीआईपी इसलिए क्योंकि गोंदा थाना के ठीक सामने सीएम आवास है। यह कहना गलत न होगा कि सरकार की नाक के नीचे थाने की हालत बदहाल है। गोंदा थाने का अपना भवन भी नहीं है। पीएचईडी की बिल्डिंग में यह थाना चल रहा है। थाने में काम करने वाले पुलिस कर्मियों ने बताया कि खाने के लिए मेस की सुविधा नहीं है। इस थाने में कैदियों को रखने के लिए हाजत भी नहीं है। थाने के ही एक कमरे को हाजत बना दिया गया है। महिला के लिए अलग से शौचालय तक नहीं है। पुरुषों के लिए बने शौचालय का भी दरवाजा टूटा हुआ है, जिससे यहां की महिला पुलिसकर्मियों को भी काफी परेशानियां हो रही हैं।

सुखदेवनगर थाना

राजधानी की एक बडी जनसंख्या को सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेवारी सुखदेवनगर थाने की है। लेकिन यहां की भी हालत कुछ खास नहीं है। राजधानी बने हुए 20 साल गुजर गए, लेकिन थाने की स्थिति अब तक नहीं संवरी। पेपरलेस काम को बढ़ावा देने का स्लोगन भी यहां फेल नजर आता है। ज्यादातर काम कागजों पर ही होता है। हजारों लोगों के सनहा और आवेदन लाल कपड़े में बांधकर थाने की अलमारी के ऊपर रख दिए गए हैं, जिससे थाने की सूरत बिगड़ रही है।

पंडरा थाना

सबसे खराब हालत पंडरा थाना की है। यहां पुलिस कर्मियों को कंप्यूटर नहीं दिया गया है। इंटरनेट और वाई-फाई की बात भी बेमानी लगती है। पंडरा थाना की भी अपनी बिल्डिंग नहीं है। बाजार समिति के भवन में यह थाना ऑपरेट हो रहा है। थाने की स्थिति से यहां के पुलिस कर्मी भी परेशान रहते हैं। कर्मियों ने बताया कि बरसात में छत से पानी टपकता है। इस कारण बैठकर काम करना भी मुश्किल हो जाता है। पंडरा थाना के पुलिस कर्मियों ने बताया कि उनके रहने का भी कोई इंतजाम नहीं है। किराया लेकर पुलिस कर्मी रहते हैं।

डेली मार्केट थाना

डेली मार्केट थाना भी जर्जर भवन में चल रहा है। किसी तरह रंग-रोगन कर इसे बैठने लायक बना दिया गया है। लेकिन बारिश के पानी से इसे बचाया नहीं जा सका। बारिश होते ही पानी की बूंदे टपकने लगती है। डेली मार्केट थाने में अपनी शिकायत लेकर आने वाले लोगों के बैठने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। आठ बाई आठ के एक कमरे में बैठकर शिकायत लिखी जाती है, जिसे दोनों को परेशानी होती है। डेली मार्केट थाना की छत आज भी सीमेंट और टिन की बनी हुई है। राजधानी के पॉश इलाके में बना यह थाना भी अपने दिन संवरने का इंतजार कर रहा है। हालांकि, कुछ थानों को संवारने का प्रयास किया गया है, लेकिन अब भी कई पुलिस स्टेशन ऐसे हैं, जिसे संवारने की जरूरत है।

Posted By: Inextlive