रांची: राजधानी के थानों को जैसा होना चाहिए। वैसा स्वरूप उसे अबतक नहीं मिला है। राजधानी बने 21 साल हो चुके हैं। लेकिन राजधानी के पुलिस स्टेशनों की तस्वीरें नहीं बदलीं। कुछ थानों में रेनोवेशन का काम जरूर हुआ है लेकिन आज भी अधिकतर पुलिस स्टेशन और टीओपी ऐसे हैं जिसे मरम्मती की जरूरत है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट अपने कैंपेन में सिटी के थानों से संबंधित समस्याएं लगातार प्रकाशित कर रहा है। इसी कड़ी में पुलिस स्टेशन में स्थित हाजत का रियलिटी चेक किया गया है। शहर के थानों में रहने वाले हाजत भी कुछ बेहतर हालत में नहीं हैं। सबसे बड़ी समस्या तो यह कि पुलिस स्टेशन में महिला कैदी के लिए अलग से हाजत ही नहीं है। कहीं पर महिला हाजत है भी तो उसका इस्तेमाल किसी और ही काम में हो रहा है।

पुरुष हाजत में ही महिला कैदी बंद

महिला हाजत नहीं होने के कारण महिला कैदियों को भारी परेशानी होती है। किसी थाना क्षेत्र में जब कोई महिला कैदी पकड़ी जाती है तो उसे बाहर ही बिठा कर रखना पड़ता है। पुलिस की कार्रवाई होने के बाद उसे या तो महिला थाना भेज दिया जाता है। या फिर पुरुष हाजत में ही महिला कैदी को भी बंद कर दिया जाता है। सुखदेव नगर थाना में महिला हाजत तो है लेकिन इसका इस्तेमाल कबाड़ रखने के लिए हो रहा है। टूटे टेबल, कुर्सी, खराब कंप्यूटर वगैरह रखकर हाजत को बंद कर दिया गया है। इसी प्रकार सदर थाना, चुटिया थाना, पंडरा ओपी तुपुदाना ओपी समेत अन्य टीओपी में भी महिलाओं के लिए अलग से हाजत नहीं है। राजधानी के सबसे वीआईपी इलाके में स्थित गोंदा थाना का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां भी अलग से महिला हाजत नहीं है। गोंदा थाने में तो सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां हाजत ही नहीं है। पुलिस स्टेशन के ही एक कमरे को हाजत बना दिया गया है।

जर्जर है हाजत की स्थिति

सिटी में सिर्फ पुलिस स्टेशन के भवन ही नहीं, बल्कि यहां के हाजत यानी की जेल भी जर्जर हो चुके हैं। इसके अंदर पानी सीपेज करता है। वहीं, हाजत में पुलिस स्टेशन का कबाड़ रख कर इसे और ज्यादा खराब कर दिया गया है। मरम्मती नहीं होने के कारण दिनोंदिन थाना और हाजत दोनों की सूरत बिगड़ती जा रही है। पुलिस स्टेशन में काम करने वाले पुलिस कर्मियों का कहना है कि ब्यूटीफिकेशन के नाम पर कई बार योजना बनी। फंड भी पास हुआ। लेकिन काम कुछ नहीं हुआ। सिर्फ हाजत ही नहीं पुलिस कर्मियों के बैठ कर काम करने के लिए भी ढंग की जगह नहीं है। कुछ थानों में कम्प्यूटर और इंटरनेट भी उपलब्ध नहीं कराया गया है।

सुखदेवनगर थाना

राजधानी की एक बड़ी जनसंख्या को सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेवारी सुखदेवनगर थाने की है। लेकिन यहां की हालत भी कुछ खास नहीं है। थाने में दो हाजत हैं। एक में पुरुष कैदी को रखा जाता है, और दूसरे में महिला कैदी को रखना है, लेकिन यहां कबाड़ रखा जाता है।

पंडरा टीओपी

सबसे खराब हालत पंडरा थाना की है। पंडरा टीओपी की अपनी बिल्डिंग भी नहीं है। बाजार समिति के भवन में यह थाना ऑपरेट हो रहा है। महिला और पुरुष हाजत अलग-अलग नहीं हैं। यहां फाइल और एफआईआर से जुडे़ पेपर रखने की भी समुचित व्यवस्था नहीं है।

Posted By: Inextlive