पब्लिक का टैक्स के रूप में भरा जा रहा रुपया नालों में बहता नजर आ रहा है। शहर की सफाई व्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर की हालत नारकीय होती जा रही है। सीवरेज के लिए कई मोहल्लों में गढ्डे कर दिए गए हैं। इनके नीचे से सीवरेज की पाइपलाइन गुजारी गयी है लेकिन न तो ऊपर से सड़क बनायी गयी न ही सीवरेज लाइन को टैंक के साथ जोड़ा गया। आधा अधूरा काम कर लीपापोती कर दी गयी है। सीवरेज के लिए किए गए गढ्डों में पानी हर दिन जम रहा है। सिटी में वेस्ट वाटर मैनेजमेंट के लिए सीवरेज-ड्रेनेज पाइपलाइन बिछाने की योजना पर काम की रफ्तार काफी धीमी है। यह योजना चार फेज में पूरी होनी है। फिलहाल, फेज-1 का काम विगत चार सालों (2015)से ही चल रहा है, जिस पर 359.25 करोड़ रुपये खर्च होने हैं।

टाइम लिमिटेशन फेल

तय समय सीमा के मुताबिक इस फेज का काम दो साल में ही पूरा हो जाना चाहिए था। हालांकि, साढ़े तीन साल बीतने के बाद भी इस हिस्से में सीवरेज-ड्रेनेज पाइपलाइन बिछाने का काम 50 फीसदी भी नहीं हो पाया है। वहीं, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण कार्य भी देरी से शुरू हुआ, जो लगभग 40 प्रतिशत तक ही हो सका है।

कई बार मिला एक्सटेंशन

सीवरेज-ड्रेनेज की पाइपलाइन बिछाने और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने की योजना की डीपीआर वर्ष 2006 में बनाई गई थी। रांची नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट के फेज-1 का काम मेसर्स ज्योति बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड को एक अक्तूबर 2015 को सौंपा था। इसके बाद प्रोजेक्ट को कई बार एक्सटेंशन भी दिया जा चुका है। बताया जाता है कि कई कारणों से फेज-1 का कार्य प्रभावित हुआ। स्थानीय समस्या, जमीन समय पर नहीं मिलना, डीपीआर से होनेवाली तकनीकी समस्या से कार्य की गति पर असर पड़ा। फेज 1 में नौ वाडरें में कुल 205 किमी सीवरेज पाइपलाइन बिछायी जानी है। अब तक इस हिस्से में 113 किमी ही सीवरेज पाइपलाइन बिछाई जा सकी है।

इन वार्डो की हालत नारकीय

रांची नगर निगम के वार्ड संख्या-एक, दो, तीन, चार, पांच, 32,33, 54 व 35 में सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का कार्य चल रहा है। फेज-1 में बजरा, आइटीआइ, पिस्का मोड़, रातू रोड, कांके रोड, मोरहाबादी, हरिहर सिंह रोड, बरियातू, बूटी मोड़, बड़गाईं क्षेत्र आदि शामिल हैं। मोरहाबादी से आगे तीन स्थानों पर सीवरेज पाइपलाइन बिछाने में जमीन की समस्या सामने आयी थी। एसटीपी नहीं बनने के कारण ट्रंक लाइन का काम रुक गया है।

एसटीपी का निर्माण बंद

बड़गाईं के किशुनपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनना था, लेकिन जमीन नहीं मिली। इसके बाद लेम में एसटीपी के लिए जमीन चिह्नित की गयी। 4.80 एकड़ भूमि पर काम शुरू किया गया। एसटीपी का निर्माण काफी धीमा है। यहां 37 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बनाया जा रहा है। कई सप्ताह से निर्माण कार्य बंद है।

हाईकोर्ट में दायर है याचिका

झारखंड हाइकोर्ट में सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण को लेकर अरविंदर सिंह देओल ने जनहित याचिका दायर की है। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और रांची नगर निगम की ओर से सीवरेज निर्माण की स्टेटस रिपोर्ट दायर की गयी थी। स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार कार्य की गति स्लो है। कायरें में तेजी नहीं आ पा रही है। सरकार की ओर से प्रोजेक्ट को पूरा कराने के लिए संवेदक कंपनी को कई बार चेतावनी दी जा चुकी है, लेकिन कार्य की रफ्तार बढ़ नहीं पा रही है।

सीवरेज-ड्रेनेज के निर्माण से राजधानी की बड़ी समस्या दूर हो जाएगी। पूर्व के अधिकारियों और एजेंसी की लापरवाही की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है। पहले एसटीपी का निर्माण होना चाहिए था, ताकि नीचे से ऊपर काम होते आता तो कार्य कब का पूरा हो गया होता।

आशा लकड़ा, मेयर, रांची नगर निगम

Posted By: Inextlive