रांची: राजधानी का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल सदर है। यहां हॉस्पिटल का नाम तो सुपरस्पेशियलिटी कर दिया गया, लेकिन मरीजों को सुविधा देने के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं की गई। अब 500 बेड का हॉस्पिटल पूरी तरह से तैयार किया जा रहा है, जहां पर पहले से ही 250 बेड के साथ हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज चल रहा है। लेकिन, यहां लगे फायर एक्सटिंग्विशर जवाब दे चुके हैं। ऐसे में साफ है कि आग लगी तो न जाने कितने मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालात ऐसे हैं कि ऐसे में हॉस्पिटल में आग लगी तो कौन बुझाए? ये सवाल उठना लाजिमी हो गया है।

मार्कर से लिख दिया एक्सपायरी

हॉस्पिटल में उद्घाटन से ठीक पहले 2016 में फायर फाइटिंग सिलेंडर हर जगह लगाए गए थे। इसके बाद इन सिलेंडरों की कभी न तो रिफिलिंग कराई गई और न ही एक्सपायरी डेट लगी। कुछ दिनों पहले इन सिलेंडरों पर आईवॉश के लिए मार्कर से एक्सपायरी लिख दी गई है, जिसमें डेट भी नहीं लिखा गया है। इससे साफ है कि कैसे अपनी अव्यवस्था छिपाने के लिए हॉस्पिटल प्रबंधन ने एक्सपायरी 2021 लिख दी है।

रिफिलिंग व एक्सपायरी लेबल गायब

किसी भी संस्थान या बिल्डिंग में फायर फाइटिंग के लिए फायर एक्सटिंग्विशर लगाए जाते हैं। जिसपर रिफीलिंग और एक्सपायरी का लेबल लगाया जाता है, ताकि पता चल जाए कि सिलेंडर कबतक वैलिड है। इसके बाद अगली डेट पर उसकी रिफिलिंग कराने के बाद सेम प्रॉसेस किया जाता है। लेकिन सदर में लगाए गए फायर फाइटिंग सिलेंडर पर मैन्यूफैक्चरिंग की डेट है। इसके बाद मार्कर से उसपर एक्सपायरी लिख दी गई है, जिससे यह भी पता नहीं चल रहा कि किस एजेंसी ने इसे रिफिल किया है।

मुंबई में 10 नवजातों की हो गई थी मौत

महाराष्ट्र के भंडारा डिस्ट्रिक्ट जेनरल हॉस्पिटल में एक दिन पहले ही आग लग गई। इस वजह से सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। हॉस्पिटल में लगी इस आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है। लेकिन सदर में भी लगातार कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। वहीं हॉस्पिटल में वायरिंग भी कई जगह से खुली हुई है। ऐसे में यहां भी शॉर्ट सर्किट से इनकार नहीं किया जा सकता है।

रिम्स में आग बुझाने के हैं इंतजाम

रिम्स की मेन बिल्डिंग में आग से निपटने के लिए पाइपलाइन तो नहीं बिछाई गई है, लेकिन नई बिल्डिंग में इसकी व्यवस्था की गई है। वहीं हर जगह आग से निपटने को लेकर छोटे फायर एक्सटिंग्विशर भी हैं। जिसे समय-समय पर रिफिल कराकर अपडेट रखा गया है ताकि आग लगी तो उसपर तत्काल काबू पाया जा सके। इसे लेकर सभी को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। चूंकि पिछले कुछ सालों में इमरजेंसी, फिजियोथेरेपी में आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी एजेंसी को इसका जिम्मा दिया गया है, जो समय समय पर सिलेंडर चेक करती है और रिफिलिगिं भी करती है।

Posted By: Inextlive