गर्मी का मौसम आते ही अगलगी की घटनाएं बढ़ गई हंै. राजधानी रांची में बीते एक महीने में आधा दर्जन स्थानों पर आग लगने की घटना घट चुकी है. इस बार मार्च महीने से ही भीषण गर्मी पडऩी शुरू हो गई थी. मैक्सिमम टेम्प्रेचर 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच चुका है. जो समान्यत: मई और जून के महीने में पहुंचता था. भीषण गर्मी के बीच आग लगने की भी घटनाएं बढ़ी हंै. अपार्टमेंट बैंक व अन्य स्थानों में बीते एक महीने में आग लग चुकी है. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि लगातार अगलगी की घटना के बावजूद अपार्टमेंट में सेफ्टी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. कई पुरानी बिल्डिंग में आज भी फायर सेफ्टी नहीं है. वहीं नई बिल्डिंग में भी आग से बचने के उपायों को नहीं अपनाया जा रहा है. बड़े-बड़े भवनों में सेफ्टी नहीं है जिस कारण आग लगने की स्थिति में बड़ा नुकसान हो सकता है. दो दिन पहले भी बरियातू स्थित एक अपार्टमेंट में आग लगी थी. यहां रहने वाले लोगों ने बाहर भाग कर अपनी जान बचाई. इसी तरह शैलेश विहार अपार्टमेंट में भी आग लगी थी. अपार्टमेंट में हो रही अगलगी ने सिटी के उन सैकड़ों अपार्टमेंट्स की सेफ्टी की पोल खोल दी है जहां फायर सेफ्टी के नाम पर कोई व्यवस्था ही नहीं है.


रांची (ब्यूरो)। सिटी में बीते दस सालों के भीतर गगनचुंबी इमारतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। काफी तेजी से यहां अपार्टमेंट कल्चर बढ़ा है। बिल्डर अपार्टमेंट तो बनवा रहे हैं, लेकिन उसमें फायर सेफ्टी का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। आज भी गली-मुहल्लों में भवन बन रहे हैं, जहां फायर सेफ्टी नहीं है। वहीं मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में भी फायर सर्विस डिपार्टमेंट की कमी है। इन भवनों में आग लगने की आपात स्थिति में बचने का कोई इंतजाम नहीं है। अधिकतर इमारतों में आग से निपटने के लिए उपकरण का केवल ढांचा भर है। पानी की बौछार के लिए जिस बॉक्स में पाइप लपेटकर रखा जाता है, उसमें पाइप ही नहीं है। पानी फेंकने के लिए लगाई गई पाइप जंग खा रही हैं। आए दिन नई-नई बिल्डिंग बनती जा रही है। बिल्डर ज्यादा मुनाफा के लालच में कई सेफ्टी टूल लगाते ही नहीं। कुछ अपार्टमेंट में फायर सेफ्टी सिस्टम ही नहीं, तो कुछ बिल्डिंग में फायर एक्सटिंग्युशर लगाकर खानापूर्ति कर दी गई है। सर्कुलर रोड स्थित राजकुमारी अपार्टमेंट में फायर सिस्टम लगा ही नहीं। यदि यहां कभी आग लग जाए तो बड़ी घटना घट सकती है। कई मार्केट चल रहे जर्जर भवन में
सिटी में पुराने और जर्जर हो चुके भवनों में कई मार्केट आज भी संचालित हो रहे हंै। शास्त्री मार्केट, न्यू मार्केट, आरआईटी बिल्डिंग समेत अन्य कई ऐसे भवन हैं, जहां हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं। इन भवनों में फायर सेफ्टी तो बहुत दूर की बात बिल्डिंग की दीवारें भी कमजोर पडऩे लगी हंै। शास्त्री मार्केट की जर्जर हो चुकी छत पर हर दिन दर्जनों टेलर्स बैठते हैैं। जहां कई महिलाएं कपड़े सिलवाने पहुंचती हैं। इस बिल्डिंग में स्पेस की भी भारी दिक्कत है। आग लगने या दूसरी घटना होने पर यहां से निकलना भी मुश्किल होगा। कुछ महीने पहले ही मार्केट में स्थित कपड़े की दुकान में लग चुकी है। हालांकि, घटना रात में घटी जिससे कोई हताहत नहीं हुआ। लेकिन दुकान का सारा समान जल कर राख हो गया। ये है फायर सेफ्टी रूल्स


2005 के नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार, सिटी के सभी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग और अपार्टमेंट में फायर सेफ्टी का इंतजाम करना अनिवार्य है। लेकिन, इसका पालन सिटी के अधिकतर अपार्टमेंट ने नहीं किया गया है। बिल्डिंग में कम से कम दो बड़े दरवाजे होने चाहिए। टॉप फ्लोर पर हमेशा पानी से भरा हुआ ओवरहेड टैंक होना चाहिए। बिल्डिंग में जगह-जगह पर अग्निशमन यंत्र लगे होने चाहिए। आपातकालीन संकेतक और फायर अलार्म होना जरूरी है। किसी भी कमर्शियल अपार्टमेंट के निर्माण से पूर्व ही अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य है।

Posted By: Inextlive