RANCHI: रिम्स में मेडिकोज के लिए चलने वाला मेस किसी एजेंसी को आउटसोर्स नहीं किया जाएगा। यानी स्टूडेंट्स को पहले की तरह ही खाना मिलेगा। लेकिन इसके लिए मेस चला रहे संचालकों को बदलने की तैयारी है। यह तय करने की जिम्मेवारी हॉस्टल कमिटी की होगी। साथ ही उन्हें यह प्रस्ताव भी तैयार करना होगा कि महीने में खाने के लिए मेडिकोज को कितना चार्ज देना होगा, जिससे कि स्टूडेंट्स को भी मेस में खाने में दिक्कत नहीं आएगी।

क्यों मेस नहीं होगा आउटसोर्स

मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 1500 से अधिक जूनियर डॉक्टर्स हैं। इनमें फ‌र्स्ट इयर से लेकर पीजी करने वाले तक शामिल हैं। इतने स्टूडेंट्स के खाने के लिए आउटसोर्सिग एजेंसी को अगर काम दिया जाता है तो वह हर दिन अपने हिसाब से खाना बनाएगी। ऐसी स्थिति में एक तय समय तक एजेंसी को नहीं बदला जा सकेगा। वहीं एजेंसी की मनमानी का खामियाजा भी मेडिकोज को भुगतना पड़ सकता है।

मेस चार्ज बढ़ाने का किया था विरोध

कैंपस में ब्वायज एंड ग‌र्ल्स के लिए अलग-अलग हॉस्टल्स हैं, जहां पर सभी हॉस्टल में सेपरेट मेस चल रहे हैं। लेकिन कुछ दिनों पहले मेडिकोज ने मेस का चार्ज बढ़ाने को लेकर विरोध जताया था। इस पर डायरेक्टर ने स्पष्ट करते हुए कहा कि मेस का चार्ज थोड़ा बढ़ाया जाएगा। लेकिन 5000 रुपए खाने के लिए देना केवल अफवाह है।

वर्जन

मेस को आउटसोर्स करने से मनमानी शुरू हो जाएगी। इसलिए संचालकों को ही कुछ शर्तो के आधार पर मेस का काम दिया जाएगा। हॉस्टल कमिटी को इसके लिए निर्देश दिया गया है। वे लोग तय करेंगे कि मेस का संचालन कैसे होगा। वहीं खाने का रेट भी उन्हें ही तय करना होगा।

डॉ। डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स

Posted By: Inextlive