RANCHI: सदर हॉस्पिटल सुपरस्पेशियलिटी कैंपस में व्यवस्था सुधारने के लिए प्रबंधन ने पार्किग का जिम्मा ठेकेदार को दिया है। लेकिन व्यवस्था सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है। स्थिति यह है कि पैसा वसूलने के चक्कर में ठेकेदार ने बेतरतीब पार्किंग करानी शुरू कर दी है। पांच रुपए दीजिए और जहां मर्जी हो गाड़ी लगाइए। फिर चाहे मरीजों को परेशानी हो या डॉक्टरों को। इतना ही नहीं, इस चक्कर में कई बार मरीजों को लेकर आने वाली गाडि़यां भी फंस जा रही हैं, जिससे कि मरीजों के साथ ही परिजनों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बताते चलें कि हॉस्पिटल के बेसमेंट में पार्किग तैयार है, इसके बावजूद इसे चालू नहीं किया जा रहा है।

नहीं है कोई पूछने वाला

हॉस्पिटल में पार्किग के लिए जगह तय की गई थी, जिसके तहत मेन रास्ते को छोड़कर गाड़ी पार्क कराने को कहा गया था। वहीं कैंपस को व्यवस्थित करने को भी कहा गया। लेकिन ठेकेदार की मनमानी के कारण पूरा कैंपस ही पार्किग में तब्दील कर दिया गया है। पैसे देकर जहां मर्जी गाड़ी लगा लीजिए। फिर आपसे कोई पूछने वाला भी नहीं है कि यहां गाड़ी क्यों खड़ी की है।

चार्ज लेंगे पर सुरक्षा आप देख लो

हॉस्पिटल में पार्किग के लिए रेट तय है। नगर निगम की तर्ज पर ही यहां गाडि़यों की पार्किग के लिए रेट फिक्स किया गया है। लेकिन पार्किग चार्ज नगर निगम से भी ज्यादा है। जहां नगर निगम की पार्किग में 5 रुपए में तीन घंटे बाइक पार्क सकते हैं। वहीं सदर में हर घंटे के लिए पांच रुपए वसूले जा रहे हैं। जबकि कार के लिए भी 20 रुपए प्रति घंटे लिया जा रहा है। इसके बावजूद लोगों को गाड़ी लगाने के लिए कोई फिक्स जगह नहीं है। साथ ही सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में नुकसान होने पर पार्किग के स्टाफ्स जिम्मेवारी भी नहीं लेंगे।

फोकस सिर्फ वसूली

हॉस्पिटल कैंपस में गाड़ी के आते ही स्टाफ उनकी ओर कूद पड़ता है। पर्ची थमाने के बाद उसे कोई मतलब नहीं होता। इसके बाद गाड़ी मालिक जहां मर्जी गाड़ी लगाकर निकल जाता है। इस चक्कर में दूसरे लोग अपनी गाडि़यां भी नहीं निकाल पाते। कई बार तो गाडि़यों को निकालने के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। इसके बावजूद पार्किग के स्टाफ्स मदद नहीं करते।

Posted By: Inextlive