RANCHI: शहर के 53 वार्डो में बनाई जाने वाली 1000 करोड़ की जलमीनारें खुद ही प्यासी रहने वाली हैं। इन जलमीनारों को भरने के लिए शहर के तीन डैम कांके, रुक्का और धुर्वा का पानी सप्लाई के जरिए लाया जाएगा। लेकिन, गरमी के दिनों में तीनों डैम सूख जा रहे हैं जिसके कारण जितनी आबादी तक पानी पहुंचाने का लोड इन डैमों पर है वहां तक भी पानी नहीं पहुंच पाता है। ऐसे में इन जलमीनारों में पानी कैसे भरेगा, यह सवाल भूगर्भ निदेशालय के अधिकारियों की नींद उड़ा रहा है। इसके अलावा डीप बोरिंग के जरिए भी मीनारों को पानी पहुंचाने का विकल्प है, लेकिन ग्राउंड वाटर लेवल कई इलाकों में काफी नीचे गिर चुका है। इस कारण इसके सक्सेस की गारंटी भी काफी कम है।

पांच नए बने जलमीनार में पानी का टोंटा

हाल के वर्ष में विभाग ने शहर में पांच जल मिनार बनवाये, लेकिन पानी की कमी के कारण उससे सप्लाई नहीं होती है। अभी डेढ़ दर्जन जल मिनारों से करीब 40 एमजीडी पानी की सप्लाई की जाती है। पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से मोरहाबादी, ईस्ट जेल रोड, चर्च रोड, मारवाड़ी स्कूल कैंपस, पिस्का मोड़, रातू रोड चौक, हिनू, सीआइएसएफ कैंपस, मेकॉन आदि इलाकों में जलमीनारें बनाई तो गई हैं लेकिन इनसे गरमी के दिनों में पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इन सभी जलमीनारों की क्षमता दो लाख गैलन पानी के भंडारण की है।

योजना का अमृत सिर्फ ठेकेदारों को

अमृत योजना के तहत करीब 1000 करोड़ की लागत से नामकुम, कोकर, पुरुलिया रोड, कांटाटोली, महात्मा गांधी रोड, चुटिया, मोरहाबादी के एदलहातू, तुपुदाना और अन्य जगहों में 21 नई ओवरहेड पानी की टंकियां बनाई जाएंगी। जानकारों का कहना है कि जलमीनार बनेगी उसका रुपया भी संवेदकों और अधिकारियों में बंट जाएगा लेकिन बाद में पुरानी बनी जलमीनारों के जैसे ही ये नई बनीं जलमीनार भी प्यासी रह जाएंगीे। जो जलमीनार पहले से बनी हुई हैं उनमें पानी की आपूर्ति हो ही नहीं पा रही तो फिर नई जलमीनारों में पानी कैसे पहुंचेगा। योजना के लिए एशियाई विकास बैंक से कर्ज लेने की भी तैयारी है।

पुरानी कंपनी ब्लैकलिस्टेड, नई का काम अधूरा

रांची शहरी जलापूर्ति के फेज-1 का काम पूरा नहीं हो पाया है। 385 करोड़ की योजना पर एलएनटी काम कर रही है, यह योजना 2008-09 में जवाहर लाल नेहरू शहरी पुनरुद्धार योजना के तहत ली गई थी। 2010 में हैदराबाद की कंपनी आइवीआरसीएल को 283 करोड़ में काम दिया गया था। कंपनी को 2013 में काली सूची में डालते हुए दोबारा टेंडर निकाला गया। इसमें एलएनटी को 385 करोड़ का काम बचे हुए कार्य के लिए दिया गया। योजना में पूर्व के 27 वाडरें में नौ छूटे वाडरें में पानी पहुंचाने की योजना बनी थी। इसमें हटिया, तुपुदाना, सिंहमोड़, अरगोड़ा, पुंदाग, ललगुटूवा, 55 सेट, बिजली कालोनी डोरंडा के इलाकों को शामिल किया गया था।

गिरने लगा तीनों डैमों का जलस्तर

डैमों में पानी का स्तर जनवरी माह से ही कम होना चालू हो गया है। 18 से अधिक जलमीनारों से 40 एमजीडी (मिलियन गैलन डेली) पानी की आपूर्ति की जा रही है। हटिया डैम का जल स्तर 2009 में इतना कम हो गया था कि डैम से दो वषरें तक लगातार पानी की आपूर्ति की कटौती करनी पड़ी थी। सरकार की तरफ से वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नागफेनी (गुमला) और कर्रा के कारो नदी से रांची तक पानी लाने की योजना बनाई गई थी। यह योजना फाइलों में ही दबकर रह गई।

वर्जन

सिटी के डेवलपमेंट को लेकर प्लान बनाए जा रहे हैं। पानी के स्रोतों को भी ध्यान में रखा जा रहा है। साथ ही प्रयास है कि कुछ नए स्रोत भी तैयार किए जाएं। जलमीनारों को लेकर अभी काफी कार्य बाकी है योजना के अनुसार कार्य की प्रगति होगी।

मनोज कुमार, आयुक्त, रांची नगर निगम

Posted By: Inextlive