- बिना थाना गए पोर्टल और मोबाइल एप से दर्ज करा सकेंगे प्राथमिकी

- सीएम ने दी स्वीकृति, अब प्रस्ताव पर कैबिनेट से ली जाएगी मंजूरी

रांची : झारखंड में अब ऑनलाइन पुलिसिंग आकार लेती दिखाई दे रही है। सोमवार को मुख्यमंत्री ने राज्य में 22 ई-एफआइआर थाने खोले जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब लोगों के लिए अब घर बैठे ऑनलाइन एफआइआर दर्ज कराना आसान हो जाएगा। साथ ही पुलिसिंग में पारदर्शिता भी आएगी। वेबसाइट, पोर्टल के साथ मोबाइल एप के जरिये भी प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकेगी। राज्य के 24 जिलों में रामगढ़ व खूंटी जिला को अभी ई-एफआइआर जिले से बाहर रखा गया है। इसके क्रियान्वयन होने से आम नागरिकों को वाहन चोरी, विभिन्न प्रकार की संपत्ति चोरी, सेंधमारी, महिला एवं नाबालिगों से संबंधित अपराध, नाबालिगों की गुमशुदगी से संबंधित कांड, जिसमें अभियुक्त अज्ञात हों, ऐसे मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने में अनावश्यक परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी। ई-एफआइआर की सुविधा से आम नागरिक व पुलिस दोनों के बहुमूल्य समय और संसाधनों की बचत होगी।

ई-एफआइआर दर्ज कराने की प्रक्रिया

किसी व्यक्ति को किसी मामले में ई-एफआइआर कराना हो तो उसे समाधान पोर्टल पर लॉग इन कर अपना आवेदन ई-साइन या डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से समर्पित करना होगा। इसके बाद ही आवेदन स्वीकार होगा। आम नागरिकों के समाधान पोर्टल या मोबाइल एप के माध्यम से वाहन चोरी, अन्य विविध संपत्ति की चोरी, सेंधमारी और नाबालिगों की गुमशुदगी जिसमें अभियुक्त अज्ञात हो से संबंधित प्राप्त शिकायतों के आधार पर थाना प्रभारी ई-एफआइआर संबंधित धाराओं के तहत दर्ज करेंगे। जिस स्थानीय थाना कार्य क्षेत्र की घटना होगी, उसके पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान के लिए नामित किया जाएगा। इसके अलावा डीजीपी या आइजी स्तर के पदाधिकारी को किसी अन्य कांड में भी लगेगा कि वह मामला ई-एफआइआर के लायक है तो उनके आदेश पर वैसे मामलों में भी ई-एफआइआर हो सकता है।

कॉपी शिकायतकर्ता को भी

ई-एफआइआर को लेकर थाना प्रभारी खुद डिजिटली हस्ताक्षर करेंगे और प्राथमिकी की कॉपी शिकायतकर्ता के साथ सभी संबंधित अधिकारियों या संस्थानों जैसे जिस थाना क्षेत्र में घटना हुई हो, उसके थाना प्रभारी, उक्त थाना के पर्यवेक्षण पदाधिकारी, संबंधित कोर्ट, बीमा कंपनी (जरूरत होने पर), सभी पीसीआर, पुलिस अधीक्षक, एससीआरबी एवं एनसीआरबी को इलेक्ट्रॉनिकली स्थानांतरित किया जाएगा।

केस डायरी भी डिजिटल

अनुसंधानकर्ता कांड का अनुसंधान कार्य पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल में करेंगे। अनुसंधान के क्रम में की गई कार्रवाई एवं केस डायरी भी डिजिटल फार्मेट में होगी। साथ ही जिन कांडों में प्राथमिकी दर्ज होने से 30 दिनों के अंदर खुलासा नहीं हो पाए तो संबंधित अनुसंधानकर्ता ई-एफआइआर थाना प्रभारी के माध्यम से अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में समर्पित करेंगे।

इन परिस्थितियों में नहीं होगी सुविधा

ई-एफआइआर के तहत उल्लेखित अपराध की घटना संबंधित जिले या झारखंड राज्य की सीमा के बाहर घटित होने, अभियुक्त का संदिग्ध ज्ञात होने और यदि अपराध की घटना में कोई जख्मी हुआ हो तो इन परिस्थितियों में ई-एफआइआर की सुविधा निषेध होगी। इस व्यवस्था से वर्तमान में ई-एफआइआर थाना के अतिरिक्त अन्य थानों में प्राथमिकी दर्ज करने तथा कांडों के अनुसंधान की प्रक्रिया किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होगी।

Posted By: Inextlive