रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में देश का 12वां स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन ( एसओटीटीओ) का केंद्र खोला गया है। इस केंद्र से अंग प्रत्यारोपण के लिए आवेदन दिया जा सकेगा। इस पहल के साथ ही रिम्स में अब अंग प्रत्यारोपण की शुरुआत हो गई है। इस सुविधा के बाद लोग अपने अंग का दान कर सकेंगे। इसमें किडनी ट्रांसप्लांट से लेकर लीवर, यकृत व अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट की सुविधा होगी। रिम्स में अभी तक कॉर्निया और स्किन ट्रांसप्लांट के बाद अब मानव अंगों का ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा।

मैनेजमेंट ने मांगी परमिशन

अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग से अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने के साथ ही अंग प्रत्यारोपण की सुविधा रिम्स में शुरू हो जाएगी। इसमें सबसे पहले किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू होगी, जिसकी तैयारी भी पूरी हो चुकी है। रिम्स निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि रिम्स में अब अंग प्रत्यारोपण की शुरुआत होगी। एसओटीटीओ के माध्यम से लोग अंग दान की इच्छा जाहिर कर सकते हैं ताकि आवेदन देने वालों का मृत्यु के बाद नियमानुसार उनके अंगों का ट्रांसप्लांट किया जा सके। इससे दूसरे जरूरतमंदों को नया जीवन मिल सकेगा। एसओटीटीओ राज्य में समन्वयक के रूप में स्थापित होगा, जो विभिन्न अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को पूरा करने में मदद करेगा।

अंगदान के लिए आना होगा आगे

रिम्स निदेशक ने बताया कि कोरोना के कारण मानव के बहुत सारे अंग प्रभावित हुए हैं। इस वजह से कई मरीजों का मल्टी ऑर्गन फेलियर हुआ है। जिसके बाद ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत काफी बढ़ी है। लेकिन अंग दान करने वाले लोगों की संख्या कम है। लोगों को इसकी जरूरत को समझना होगा और अंग दान के लिए उन्हें आगे आना होगा ताकि उनके नहीं रहने पर भी वो लोगों के बीच ¨जदा रह सके।

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए स्टाफ नियुक्त

रिम्स के एनाटॉमी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा राजीव रंजन ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण की शुरुआत को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच एमओयू हुआ है। कोरोना के कारण इसमें विलंब हुआ, लेकिन इसे जल्द शुरू कर दिया जायेगा,स्टाफ की नियुक्ति भी की गई है। उन्होंने बताया कि रिम्स की वेबसाइट पर अंगदान को लेकर फॉर्म उपलब्ध है। दान करने वाले लोग अपने परिजनों से बात कर अंगदान के इस फॉर्म को भर सारी जानकारी दे सकते है। साथ ही अंग दान महादान के स्लोगन के साथ लोगों को जागरूक किया जाएगा।

बाहर से पहले बुलाए जाएंगे सर्जन

निदेशक ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण के लिए लगभग सारी तैयारियां हो चुकी है। प्रत्यारोपण के लिए पहले बाहर से विशेषज्ञ सर्जन को बुलाया जाएगा ताकि यहां के डाक्टर इस तरह की चीजों से अपडेट हो सके। उन्होंने बताया कि अभी किडनी प्रत्यारोपण की शुरुआत करने के लिए सर्जन की आवश्यकता है। नियुक्ति के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डायलिसिस की व्यवस्था को और सु²ढ़ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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रिम्स के जन औषधि केंद्र में एक सप्ताह में मिलने लगेगी सारी दवाएं : रिम्स निदेशक ने बताया कि जन औषधि केंद्र का टेंडर शनिवार तक फाइनल कर लिया जाएगा। जिसके बाद यहां पर हर तरह की दवाएं उपलब्ध हो सकेगी। फिलहाल सदर में जेनेरिक दवा की सप्लाई करने वाली कंपनी से ही रिम्स में दवा मंगाई जा रही है, जो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। लेकिन टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जिस कंपनी को इसका जिम्मा दिया जाएगा उसमें सभी दवाइयों को रखा गया है। जन औषधि केंद्र में 85 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं उपलब्ध करायी जाती है।

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रिम्स की रैं¨कग बढ़ेगी

रिम्स में इस तरह के काम की शुरुआत के बाद रिम्स की रैं¨कग बढ़ने की उम्मीद जतायी जा रही है। रिम्स निदेशक ने बताया कि मरीजों के इलाज के साथ-साथ नई सुविधा मिलने से रिम्स का नाम बढ़ेगा। उन्होंन कहा कि इसके अलावा रिम्स में अगर शोध को बढ़ावा दिया जाए तो इससे रैं¨कग में जरूर अंतर दिखेगा। शोध कार्य से ही किसी संस्थान का नाम लोग जानते हैं और उस संस्था में मरीज, छात्र व अच्छे डाक्टर आना चाहते हैं। मालूम हो कि अभी रिम्स में लगातार शोधकार्य किए जा रहे हैं, जिसमें कोविड , न्यूरो व अन्य बीमारियों पर शोध कार्य हुए हैं।

इन 12 राज्यों में चल रहे एसओटीटीओ केंद्र

महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, बंगाल, ओडिसा, बिहार, झारखंड

रिम्स में आठ सितंबर तक नेत्रदान पखवाड़ा

रिम्स में आठ सितंबर तक नेत्रदान पखवाड़ा चलेगा। यह पखवाड़ा 25 अगस्त को शुरू हुआ है। नेत्र विभाग ने जागरुकता मार्च भी निकाला है। अभी तक करीब 50 लोगों ने नेत्रदान के लिए आवेदन दिया है। निदेशक ने बताया कि देश में तीन करोड़ से ज्यादा लोग नेत्रहीन हैं। जिसमें 60 प्रतिशत लोग कैटरेक्ट के कारण नेत्रहीन हो गये है। कॉर्निया में सफेदी होने के कारण भी लोग ²ष्टिहीन हो रहे हैं। रिम्स में 1982 में आई बैंक की स्थापना हुई थी।

Posted By: Inextlive