पहिए की रफ्तार हर दिन किसी ने किसी की जान ले रही है. रोड एक्सीडेंट में बेमौत मर रहे है लोग. फिर भी न तो लोग गाड़ी की स्पीड कम कर रहे हैं और न ही सरकार रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए कोई सार्थक पहल कर रही है. बीते महीने भर में सिटी के नामकुम इलाके में 10 बड़े हादसे हो चुके हैैं जिसमें 7 लोगों ने अपनी जान गवां दी है.


रांची (ब्यूरो)। नामकुम का रामपुर इलाका डेथ जोन बन चुका है। यहां दो-तीन दिनों के अंतराल पर हादसे हो रहे हैं। रांची में नशे में धुत्त होकर तेज रफ्तार वाहन चलाने वाले काल बने हैैं। बाइक और कार सर्वाधिक चपेट में आ रहे हैं। खतरनाक है यह इलाका


नामकुम का रामपुर इलाका बेहद खरनाक हो चुका है। एक वक्त था, जब एनएच-33 पर सबसे ज्यादा हादसे होते थे। अब तैमारा में घाटी लगभग खत्म हो चुकी है, जिस कारण हादसे कम तो हुए हैैं, लेकिन धीरे-धीरे ब्लैक स्पॉट नामकुम की ओर शिफ्ट हो गया है। नामकुम रेलवे स्टेशन से आगे टाटीसिलवे रोड की रोड की हालत काफी खराब हो चुकी है। हर दिन इस इलाके में एक्सीडेंट हो रहा है। लेकिन विभाग की ओर से न तो रोड ठीक कराए जा रहे हैं और न ही लोगों को अवेयर किया जा रहा है। साथ ही पहियों की रफ्तार कम करने के लिए स्पीड गवर्नर भी नहीं लगाए जा रहे हैैं।फोर व्हीलर से हादसे

रांची व आसपास बाइक की तुलना में फोर व्हीलर और हेवी व्हीकल से ज्यादातर हादसे हो रहे हैैं। तेज रफ्तार में आते ये वाहन बाइक, स्कूटी सवार या पैदल चल रहे लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं। कइ्र्र बार बाइक सवार की गलती नहीं होते हुए भी दूसरे की गलती से वे बेमौत मारे जाते हैं। कुछ दिन पहले मां-बेटे सड़क पार करते हुए ट्रक की चपेट में आ गए। बेटे की मौत मौके पर हो गई। मां का अब भी इलाज चल रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार मां-बेटे की इसमें कोई गलती नहीं थी। वहीं एक दिन पहले भी नामकुम थाना क्षेत्र में बाइक सवार युवक की मौत सड़क हादसे में हो गई। ज्यादातर घटनाएं सुबह और शाम के वक्त हो रहे हैैं। रोड खाली होने के कारण हेवी व्हीकल स्पीड में निकलना चाहते हैैं। यही वजह है कि सामने किसी के आने पर गाड़ी संभलती नहीं और हादसे हो जाते हंै। इन ठंढ की वजह से भी रोड एक्सीडेंट में इजाफा हुआ है। सुबह-सुबह फॉग के कारण विजिब्लिटी ठीक नहीं रहती। हेड लाइट जलाने पर भी थोड़ी परेशानी होती है। गाड़ी की रफ्तार कम होने से एक्सीडेंट में काफी कमी आएगी। स्पीड गवर्नर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

पहियों की रफ्तार कर करने के उद्देश्य से ही गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगाने का कान्सेप्ट लाया गया था। लेकिन स्पीड गर्वनर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुई है। सरकार ने वाहनों में स्पीड गर्वनर अनिवार्य किया है। लेकिन, लोग सिर्फ फाइन से बचने के लिए चालू कंपनियों के स्पीड गवर्नर वाहनों में लगा रहे हंै। इससे स्पीड कंट्रोल नहीं होती है। प्रशासन की ओर से इसकी कभी जांच भी नहीं की जाती है। सड़क दुर्घटना के और भी कई कारण हंै। सड़क पर स्पीड नियंत्रण के लिए ब्रेकर नहीं है, साइन बोर्ड की कमी है, जेब्रा क्रासिंग व अन्य मार्किंग या मिट चुके हैं या फिर बनाए ही नहीं गए। लोग जल्दी निकलने के चक्कर में ओवरटेक करते हैं। हाल के दिनों में रोड एक्सीडेंट के मामले में जिनकी गिरफ्तारी हुई है, उन्हें ड्रिंक करके गाड़ी चलाते हुए पाया गया है। दूसरी ओर, चौंकाने वाली बात तो यह है कि ड्रंक एन ड्राइव रोकने के लिए पुलिस के पास ब्रेथ एनालाइजर मशीन तक नहीं है। सिटी की पुलिस आज भी ड्राइवर के मुहं सूंघ कर यह पता लगाती है कि ड्राइवर ने ड्रिंक की है या नहीं। क्या-क्या करना जरूरी 1. रामपुर में दुर्घटना वाले इलाकों को चिन्हित कर अलर्ट बोर्ड लगाना चाहिए।2. घनी आबादी वाले दो किलोमीटर के दायरे मेंं स्पीड चेक करने के लिए मशीन लगनी चाहिए।3. पैदल सड़क पार करने के लिए जगह चिन्हित कर स्पीड ब्रेकर बनाए जाने चाहिए।
4. आम लोगों के लिए पूरे इलाके में अंडर पास और फुट ओवरब्रिज बनाए जाने चाहिए। 5. सुबह-शाम बैरिकेट लगाकर नशे में गाड़ी चलाने वालों की जांच करनी चाहिए। 6. छोटे वाहनों के लिए अलग लेन निर्धारित करना चाहिए। 7. पूरे इलाके में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि फॉग से हादसे कम हों।

Posted By: Inextlive