राजधानी रांची में अब भी हर तरफ तारों का जंजाल बना हुआ है. सबसे ज्यादा जानलेवा हाईटेंशन तार है जो सिटी के सैकड़ों घरों की छतों के ऊपर से गुजरा हुआ है. इससे हर वक्त खतरा बना रहता है.


रांची (ब्यूरो): इसी हफ्ते हाईटेंशन तार की चपेट में आकर तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद भी विभाग की नींद नहीं खुल रही है। झारखंड को अलग राज्य गठन हुए 22 साल गुजर गए, अबतक बिजली विभाग खुद को भी अपडेट करने में नाकाम साबित हुआ। विभाग के तार इधर-उधर मकडज़ाल की तरह फैले हुए हैं। 33 केवी के तार का जंजाल शहर के हर गली-मोहल्लों में नजर आता है। वहीं हाईटेंशन तार भी मुहल्लों की घर की छत से गुजरा हुआ है। इन तारों को अंडरग्राउंड तो दूर की बात इसे कवर्ड भी नहीं कर पाया है बिजली बोर्ड। 11 हजार वोल्ट का तार
बिजली की 11,000 वोल्ट या 440 वोल्ट के हाईटेंशन तार किसी के घर की छत से गुजरती है। इससे उस घर में रहने वाले लोग हमेशा डरे-सहमे रहते हैं। बीते कई सालों से इसी तरह लोग डरे सहमे रहने को मजबूर हैं। घर के ऊपर झूलती मौत के तार हमेशा जान जोखिम में रहने का अहसास कराते रहते हैं। लोगों को अपने ही घरों की छत पर निकलने में डर लगता है। जरा सी चूक बड़ा हादसा को दावत दे सकती है। बीते सालों कई लोगों की जान हाईटेंशन तार की वजह से जा चुकी है। वहीं कई लोग घायल होकर जिंदगी काट रहे हैं। पक्षियों की मौत इन तार में सटने से हर रोज होती रहती है। रांची के पिस्का मोड़, पंडरा, देवी मंडप, कांके, पिठोरिया, नगड़ी, पिस्का समेत अन्य कई इलाकों में हाईटेंशन तार गुजरे हुए हैं। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां घर बनने के बाद घर की छतों से हाईटेंशन तार ले जाया गया है। बारिश के मौसम में हालत और ज्यादा खराब हो जाती है। तार से सटा होने के कारण करंट घर की छत व पेड़ में भी आ जाता है। 1350 किमी हाईटेंशन लाइन


राजधानी में करीब 1350 किमी लंबे हाईटेंशन ओवर हेडेड तारों का जाल बिछा है। इनमें लगभग 350 किमी 33 केवी, जबकि शेष 1000 किमी 11 हजार वोल्ट के तार हैं। ग्रिड से सब स्टेशनों को जोडऩे वाली लगभग सभी 33 केवी लाइन अंडरग्राउंड हो गई हैं। 11 हजार वोल्ट के तारों को भी अंडरग्राउंड करने और इसे कवर्ड करने की योजना है। लेकिन इसकी रफ्तार काफी धीमी है। यदि इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा कर लिया जाता तो हजारों लोगों की चिंता दूर हो जाती। कुछ स्थानों में स्कूलों के ऊपर से भी हाईटेंशन तार गुजरा है। जहां कई छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करते हैं। विद्युत विभाग की उदासीनता के कारण बच्चे भी जान जोखिम में डाल कर पढ़ाई करने को विवश हैं। 384 करोड खर्च, 500 करोड खर्च करने की है तैयारी केबल अंडरग्राउंड प्रोजेक्ट पर अबतक 364 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं। लेकिन अब भी शत प्रतिशत काम पूरा नहीं हुआ है। झारखंड शहरी संपूर्ण विद्युत आच्छादन योजना के तहत मेसर्स केईआई करीब 350 किमी तारों को अंडरग्राउंड किया है। अब तीसरे चरण के लिए रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत फिर से 500 करोड़ रुपए की योजना तैयार हो चुकी है। इस प्रोजेक्ट के तहत 11 हजार वोल्ट वाले केबल को अंडरग्राउंड किया जाएगा, लेकिन अब तक इस दिशा में पहल नहीं की गई है। जल्द ही तारों को कवर्ड किया जाएगा। हालांकि हाईटेंशन तारों को भी भूमिगत किया जाना है। इस पर भी काम चल रहा है। - राजेश मंडल, कार्यपालक अभियंता, सेंट्रल डिवीजन

Posted By: Inextlive