RANCHI: लॉकडाउन में पहले से ही मरीजों का दर्द बढ़ गया है। अब हॉस्पिटल पहुंचने के बाद भी उन्हें इलाज कराने के लिए जंग लड़नी पड़ रही है। आखिर रिम्स के स्टाफ कोरोना नाम की बीमारी से जो डर गए हैं। ऐसे में हॉस्पिटल में पहुंचने के बाद भी मरीज को उतारने से पहले कई सवाल किए जा रहे हैं। वहीं यह कन्फर्म होने के बाद ही मरीजों को उतारा जा रहा है कि उन्हें कोरोना या इस बीमारी के कोई लक्षण तो नहीं हैं। इस वजह से मरीजों को थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसके अलावा इमरजेंसी में इलाज के लिए आने वालों से भी काफी पूछताछ हो रही है, ताकि किसी भी हाल में स्टाफ व डॉक्टर इसकी चपेट में न आ जाएं।

डॉक्टर भी पास जाते हैं बाद में

हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की परेशानी तब और बढ़ जाती है। जब डॉक्टर भी उनसे दूर से ही बात कर रहे हैं। हालांकि डॉक्टर भी अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं। ऐसे में जब यह बात साफ हो जाती है कि मरीज को कोरोना का कोई लक्षण नहीं है तो उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है। वहीं लक्षण दिखने पर उन्हें तत्काल कोरोनो इंटीग्रेटेड सेंटर में भेज दिया जा रहा है। बताते चलें कि ट्रॉमा सेंटर को पूरी तरह से कोरोना ट्रीटमेंट सेटंर बनाया गया है, जहां पर 24 घंटे डॉक्टरों की टीम लगी हुई है।

सोशल डिस्टेंसिंग से कर रहे बचाव

इमरजेंसी में स्टाफ को ड्यूटी पर लगाया गया है। तीन शिफ्ट में ये लोग वहां ड्यूटी कर रहे हैं, जहां पर मरीज भले ही 50-60 की संख्या में आ रहे हैं। लेकिन उन्हें कोरोना का डर है। यही वजह है कि स्टाफ आने-जाने वाले हर व्यक्ति से भी दूरी बनाए हुए हैं। वहीं मास्क, ग्लव्स और कैप से खुद को सुरक्षित किया है। इतना ही नहीं ये लोग आपस में बात भी दूरी बनाकर कर रहे हैं, जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो जाए और अपना काम भी।

ओपीडी बंद होने से परेशानी

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में ओपीडी पूरी तरह से बंद है। ऐसे में इलाज के लिए लोग इमरजेंसी में ही पहुंच रहे है। ऐसे में किसी को सर्दी, खांसी जुकाम है तो उसे तत्काल कोरोना सेंटर भेज दिया जा रहा है। चूंकि ऐसे मरीजों के लिए ही कोरोना हेल्प डेस्क शुरू किया गया है। जहां डॉक्टर दवा के साथ उन्हें अलर्ट रहने की सलाह दे रहे है। वहीं लक्षण दिखने पर तत्काल एडमिट होने को भी कहा जा रहा है।

Posted By: Inextlive