रांची: कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को आइसीएमआर ने मान्यता दी है। ऐसे में कोरोना के गंभीर मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाकर रिकवर करने की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। ऐसे में प्लाज्मा की डिमांड पहले से ज्यादा हो गई है। वहीं रिम्स से ज्यादा प्लाज्मा तो प्राइवेट हॉस्पिटल्स में मांगे जा रहे हैं, जिससे कि मरीजों को तत्काल चढ़ाया जा सके। लेकिन रिम्स के पास भी इतने प्लाज्मा बैंक में नहीं हैं, जो उन्हें तत्काल प्रॉसेस कर दिए जा सकें। इस चक्कर में परिजनों को निराशा ही हाथ लग रही है। वहीं उन्हें डोनर ढूंढने पड़ रहे है ताकि उनके मरीज को प्लाज्मा मिल सके।

रिम्स में भी पड़ रही जरूरत

रिम्स में भी 250 से अधिक कोरोना मरीज एडमिट हैं, जिनका इलाज कोविड और पेइंग वार्ड में चल रहा है। इसके अलावा जेनरल वार्ड में भी पेशेंट्स एडमिट हैं, जिसमें सीरियस मरीजों का इलाज कोविड सेंटर में किया जा रहा है। जहां स्थिति गंभीर होने पर उन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी जाती है। ऐसे में प्लाज्मा की जरूरत रिम्स को भी है। रिम्स के मरीजों के लिए किसी तरह तो प्लाज्मा का जुगाड़ हो जाता है। प्लाज्मा चढ़ाने के बाद मरीज की रिकवरी भी शुरू हो जाती है।

हर दिन आ रहे 15-20 लोग

कोरोना का इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल भी कर रहे हैं, जहां पर गंभीर मरीजों को आइसीयू में शिफ्ट कर दिया जाता है। वहीं परिजनों से प्लाज्मा की डिमांड की जाती है। ऐसे में रिम्स में प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इलाजरत मरीजों के परिजन भी प्लाज्मा के लिए रिम्स प्लाज्मा बैंक के चक्कर लगा रहे हैं। 15-20 परिजन हर दिन प्लाज्मा के लिए पहुंचते हैं। लेकिन 5-6 से ज्यादा को प्लाज्मा नहीं मिल पाता।

प्राइवेट के लिए प्रॉसेसिंग चार्ज 4750

किसी भी मरीज को प्लाज्मा चढ़ाने से पहले उसकी प्रॉसेसिंग की जाती है, जो रिम्स में मरीजों को फ्री दिया जाता है। जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स की डिमांड पर प्रॉसेसिंग चार्ज देना होता है। रिम्स में प्रॉसेसिंग चार्ज 4750 रुपए है। जबकि बाहर में इसके लिए ज्यादा चार्ज देने होते हैं। यही वजह है कि प्लाज्मा के लिए लोग रिम्स पहुंच रहे हैं। लेकिन प्लाज्मा नहीं मिलने पर उन्हें प्राइवेट ब्लड बैंकों का रुख करना पड़ता है। वहीं प्राइवेट में इसकी प्रॉसेसिंग के लिए भी ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे हैं।

लोग जबतक खुद से जागरूक नहीं होंगे तो परेशानी बनी रहेगी। इसलिए वैसे मरीज जिन्होंने कोरोना को मात दे दी है वे आकर प्लाज्मा डोनेट करें। अगर सभी ठीक हो चुके मरीज प्लाज्मा डोनेट करेंगे तो सप्लाई में दिक्कत ही नहीं आएगी। अभी डोनर का हमें भी इंतजार करना होता है। कैंप में जो प्लाज्मा डोनेट करते हैं उसे भी एक दो दिन में सप्लाई कर दिया जाता है। अब सप्लाई के हिसाब से डोनेशन नहीं हो रहा है तो परेशानी तो होगी। फिलहाल गंभीर मरीजों को प्राथमिकता दी जा रही है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स से भी प्लाज्मा की डिमांड है लेकिन हमारे पास अवेलेबल रहे तो देने में कोई दिक्कत नहीं है।

-डॉ सुषमा, ब्लड बैंक इंचार्ज, रिम्स

Posted By: Inextlive