राजधानी रांची से देवघर पटना कोलकाता और भुवनेश्वर जाने के लिए बसों में अवैध तरीके से सिंगल और डबल बैडरूम का स्लीपर कोच बनाया गया है.


रांची (ब्यूरो): स्लीपर बसों में पूरा दरवाजा पैक कर दिया गया है, एसी का कनेक्शन उस डबल बेडरूम नुमा कोच में दिया गया है। कलरफुल लाइट बल्ब भी वहां जलता है और कोई डिस्टर्ब करने वाला भी नहीं। ऐसी हाई क्लास सुविधा बसों में दी जा रही है। राजधानी रांची में सरकार की नाक के नीचे रूल्स-रेगुलेशन्स की धज्जियां उड़ाई जा रही हैैं और कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है।पार्टनर लेकर भी जा सकते हैं इन बैडरूम नुमा स्लीपर कोच में आप अपने पार्टनर को भी लेकर जा सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। अगर रांची से देवघर जाने के लिए 650 रुपए प्रति व्यक्ति का टिकट है। बस ओनर ने बताया कि इन बसों में जाने के लिए कोई आईडेंटिटी कार्ड की जरूरत नहीं है जो किराया तय है बस वही किराया आपको देना है।सैकड़ों बसों में स्लीपर


राजधानी रांची से लंबी दूरी तक लोगों को सफर करा रही 400 बसों में से 100 से अधिक बसों में स्लीपर कोच लगाए गए हैैं और ये बसें अवैध तरीके से सडक़ों पर दौड़ रही हैं। परिवहन विभाग की आंखों में धूल झोंककर बस संचालक खुलेआम इस तरह से नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा कर अपनी जेब भर रहे हैं, जबकि बस संचालक जब बसों के परमिट के लिए विभाग में आवेदन करते हैं तो 42 और 51 सीट की बस दर्शाते हैं। उसमें स्लीपर का कोई जिक्र नहीं होता, क्योंकि इसके लिए तय मानकों का पालन करना होगा साथ ही इसकी अनुमति भी नहीं है। इसके बाद जब परमिट पास हो जाता है तो बसों में मनमाने तरीके से स्लीपर्स लगाकर यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जाता है। इससे जहां यात्रियों की सुरक्षा खतरे में रहता है वहीं सरकार को भी सालाना लाखों रुपए के रेवेन्यू का लॉस हो रहा है। ऐसा भी नहीं है कि विभाग के अफसर इससे अंजानं हैं। इसके बाद भी ये गोरखधंधा जारी है।किराया भी अधिक वसूलते हैं बस संचालक बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर टू-बाय-टू डीलक्स, सुपर डीलक्स का दावा करते हुए बस का किराया तो मनमाना बढ़ा देते हैं। ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार डीलक्स बसों में महज 35 सीटें ही होनी चाहिए। यदि बस डीलक्स है तभी उसका किराया डीलक्स का होगा, लेकिन बस वाले 45-50 सीटें लगाकर भी डीलक्स या उससे अधिक किराया वसूल रहे हैं।यह है बसों के लिए नियम

ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने निजी और सरकारी बसों के लिए प्रावधान तय कर रखे हैं। अथॉरिटी के नियमानुसार डीलक्स बसों में पैसेंजर्स के बैठने की 35 सीटें और सेमी डीलक्स बसों में यात्रियों के बैठने की 53 सीटें निर्धारित की गई हैं। इसके अलावा सेमी डीलक्स, डीलक्स बसों में स्लीपर का कोई प्रावधान नहीं है। वहीं, सेमी डीलक्स और डीलक्स बस के लिए टैक्स निर्धारित है। यह सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त होता है, लेकिन स्लीपर कोच के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसके बाद भी बस संचालक अपनी मनमानी कर रहे हैं।परमिट के बाद बॉडी से छेड़छाड़झारखंड में स्लीपर बसों के परमिट का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में बस संचालक अपनी मर्जी से बसों में स्लीपर बना दे रहे हैं। हालांकि परमिट लेने के दौरान मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) को सिर्फ सीटें ही दिखाई जाती हैं, लेकिन परमिट मिलते ही बस की बॉडी से छेड़-छाड़ कर स्लीपर बनवा दिया जा रहा है।बस वाले से सीधी बातचीतरिपोर्टर- भैया मुझे रांची से देवघर छह जुलाई को जाना है। बस वाला- टिकट मिल जाएगा, आप स्लीपर में सो कर जाना चाहते हैं या सीट पर बैठ कर। दोनों का अलग-अलग चार्ज है। -रिपोर्टर सीट पर जाने का कितना और स्लिपर में जाने का कितना भाड़ा लगेगा?

बस वाला- सीट में रांची से देवघर जाने पर 500 रुपए किराया लगेगा और स्लीपर में जाएंगे तो 650 रुपए एक व्यक्ति का भाड़ा लगेगा। रिपोर्टर -भैया हम उस स्लीपर नुमा कोच में अपनी पार्टनर को लेकर जा सकते हैं? बस वाला - हां, आराम से जा सकते हैं, बस दोनों लोग का किराया देना होगा।जवाब नहीं देते परिवहन सचिवइस मामले में झारखंड के परिवहन सचिव सह कमिश्नर कमल किशोर सोन से से संपर्क करने की कोशिश की गई, मोबाइल पर मैसेज भी किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

Posted By: Inextlive