RANCHI: शहर के विभिन्न थानों में वर्षो से कई वाहन कबाड़ के रूप में पड़े हुए हैं। इन थानों के मालखाने में जमा सामानों की सूची में इन वाहनों को रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान चल रखा है, लेकिन वर्षो से पड़े इन कबाड़ वाहनों की वजह से थानों की स्वच्छता खत्म हो गई है। इतना ही नहीं, कई थानों के बाहर भी वर्षो से कबाड़ वाहन पड़े हुए हैं, जिस वजह से अक्सर सड़क जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सदर थाना के दोनों ओर वर्षो से कबाड़ पड़े ट्रक, कार हैं। इस वजह से मार्ग अवरुद्ध हो रहा है। शहर के लगभग हर थाना में 40-50 दो पहिया कबाड़ वाहन भी पड़े हुए हैं। इससे शहर के मॉडल थानों की सुंदरता भी खत्म हो रही है।

सालों से नहीं हुई नीलामी

पुलिस पदाधिकारियों की मानें, तो वर्षो से वाहनों की नीलामी नहीं हुई है। एक पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि वर्ष 2014 में विभाग की ओर से नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन बड़े अधिकारियों व कई रसूखदार लोगों के वाहनों के लिए पैरवी आने के बाद से वाहनों की नीलामी रोक दी गई। कई थानो में संजीवनी बिल्डकॉन घोटाला के बाद कुर्की में जब्त किए गए सामान भी पड़े हुए हैं, जो थानो में बेवजह जगह घेरे हुए हैं। इससे भी थानों की सुंदरता खत्म हो रही है। न्यू पुलिस लाइन में कई वाहन पड़े-पड़े सड़ रहे हैं। इससे विभाग को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। इसमें एंटी लैंड माइंस वाहन भी शामिल हैं, जो एक-दो बार ही नक्सल इलाके में गए हैं। उसके बाद से ही पड़ा हुआ है। वर्षो से पड़े इन वाहनों के रख-रखाव, इंश्योरेंस, पा‌र्ट्स आदि के लिए हर माह लाखों रुपए का नुकसान विभाग को उठाना पड़ रहा है। दो प्रकार के कबाड़ थाना में हैं प्रदर्श और लावारिस। प्रदर्श केस से संबंधित वाहन व अन्य सामान होते हैं। उसे कोर्ट के मालखाना में जमा होना चाहिए, लेकिन कोर्ट मालखाना में जगह नहीं होने के कारण बड़े वाहन थाना परिसर में ही रखे गए हैं।

क्या है नियम

नियमानुसार लावारिस जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत रिकॉर्ड में लेती है। बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चस्पा कर उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है, ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सके।

रख-रखाव की सुविधा नहीं

पुलिस की ओर से जब्त किए जाने वाले वाले वाहन थाना परिसरों में लावारिस ही खड़े रहते हैं। इन वाहनों की रख-रखाव की कोई सुविधा नहीं होती। जब्ती के दौरान वाहन की जो कीमत होती है नीलामी के दौरान उसका 10 प्रतिशत भी पैसा मिलना मुश्किल हो जाता है।

लंबी होती है नीलामी प्रक्रिया

लावारिस या किसी मामले में जब्त वाहन का निस्तारण करने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाए। काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसमें काफी समय लगता है।

कोट

समय-समय पर न्यू पुलिस लाइन केंद्र में वाहनों की नीलामी प्रक्रिया की जाती है। थाना में पड़े वाहनों और उसके लिए संबंधित जिले के एसपी को रिकॉर्ड देने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही उस पर कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।

आशीष बत्रा, आईजी मुख्यालय सह पुलिस प्रवक्ता, झारखंड

Posted By: Inextlive