रांची:रांची में प्राइवेट हॉस्पिटल्स की मनमानी हाइट पर है। कोई पांच घंटे इलाज का बिल 18 हजार सौंप रहा है, तो कई मरीज की मौत के बाद पांच लाख रुपए देने के बाद ही लाश सौंपने को तैयार हो रहा है। आलम यह है कि मनमानी करने वाले अस्पतालों में मरीजों के परिजन और प्रबंधन आमने-सामने आ रहे हैं। परिजनों पर पैसे जमा कराने के दबाव के बीच लोगों के साथ मारपीट तक की घटनाएं हो रही हैं। रविवार को भी ऐसे दो अस्पतालों के खिलाफ परिजनों ने सीएम से मदद की गुहार लगाई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्रवाई के लिए डीसी तक को लिखा। इसके बावजूद हुआ वही, तो प्राइवेट अस्पताल वालों ने चाहा।

एसीएमएस में परिजनों की पिटाई

इरबा में एक हॉस्पिटल है एसीएमएस। इस अस्पताल के कारनामे कई बार सामने आ चुके हैं। रविवार को यहां पांच घंटे इलाज के लिए 18 हजार का बिल परिजनों को थमा दिया गया। इसके बाद विवाद इतना बढ़ा परिजनों के साथ मारपीट भी हो गई। इतना ही नहीं रांची डीसी और हॉस्पिटल के पत्र के बहाने मरीज को दो घंटे तक बिना ऑक्सीजन के रख दिया गया। जिससे मरीज की स्थिति और खराब हो गई। प्राइवेट हॉस्पिटल की इस तरह की मनमानी को लेकर कर्नल संजय सिंह ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से हॉस्पिटल के विरुद्ध कड़ी करवाई करने की मांग की है।

क्या है पूरा मामला

डालटनगंज के प्रदीप सिन्हा को 14 मई को रात 11 बजे भर्ती किया गया। हॉस्पिटल में दवाइयां नहीं थीं। उनके पुत्र और अटेंडेंट सन्नी को रात 11.30 बजे बाहर से दवा लाने को कहा। उनका पुत्र भी दिन भर भूखा प्यासा और अस्वस्थ था। कोई साधन नहीं मिलने के कारण पैदल ही चल पड़ा और थोड़ी दूर जाकर वह बेहोश हो गया। किसी तरह उसको बचाया गया। हॉस्पिटल की अव्यवस्था को देखते हुए जब मरीज को दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करने की बात हुई, तो प्रदीप सिन्हा के पुत्र से अठारह हजार ले लिया गया। फिर उनका ऑक्सीजन हटाकर बोला गया कि उपायुक्त रांची और रामप्यारी हॉस्पिटल का पत्र चाहिए। इसके बाद एसएसपी रांची की मदद से बड़ी मुश्किल से उन्हें छोड़ा गया। आरोप है कि इस दौरान मरीज के पुत्र को वहां के स्टाफ और गार्ड ने मारपीट करते हुए धक्का देकर बाहर कर दिया। इस मामले में जब हॉस्पिटल प्रबंधन से बात की गई तो वहां की एक महिला अधिकारी ने कहा कि बिल को लेकर किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है। उल्टा उन्होंने आरोप लगाया कि मरीज के परिजनों ने ही हंगामा किया है।

राज हॉस्पिटल ने रोक दी लाश

राज हॉस्पिटल ने रविवार को 5 लाख के बिल के लिए एक कोरोना संक्रमित का शव रोक लिया। परिजन हॉस्पिटल का बिल चुकाने को तैयार थे, लेकिन इसके लिए कुछ दिन की मोहलत मांगी। लेकिन प्रबंधन को यह मंजूर नहीं था और उसने संक्त्रमित का शव देने से साफ इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि बिल चुकाने के बाद ही उनका शव परिजनों को सौंपा जाएगा। इसके बाद मामले की जानकारी सीएम हेमंत सोरेन को दी गई। सीएम ने रांची डीसी को तुरंत मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया। परिजनों ने किसी तरह पैसे जमा कर बिल चुकाए तब उन्हें शव सौपा गया। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेशनुसार बिल के लिए कोई भी हॉस्पिटल शव नहीं रोक सकता।

क्या है मामला

दुमका के हिमांशु शेखर मिश्रा को कोविड पॉजिटिव होने के बाद 2 मई को राज हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। साथ ही 40 हजार डिपॉजिट भी कराया गया। इलाज के दौरान उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही थी। काफी पैसे खर्च होने के बाद आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। 14 मई को वह ब्लैक फंगस की भी चपेट में आ गए। डॉक्टरों ने बचाने का काफी प्रयास किया लेकिन वे उन्हें नहीं बचा सके। रविवार को इलाज के दौरान राज हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई। इसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने उन्हें भारी-भरकम बिल थमा दिया। परिजन बिल देने को तैयार थे लेकिन इसके लिए उन्होंने कुछ मोहलत देने की मांग की।

Posted By: Inextlive