रांची : राज्य में सरना धर्म कोड लागू करने के लिए विभिन्न आदिवासी संगठनों और सरना समितियों ने गुरुवार को चक्का जाम किया। केंद्रीय सरना समिति एवं अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के सदस्य केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की के नेतृत्व में हजारों की संख्या में कोकर चौक से अलबर्ट एक्का चौक तक गए। हालांकि चक्का जाम को लेकर पुलिस प्रशासन की टीम सुबह से ही मुस्तैद थी। हर चौक चौराहे पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात थी। चक्का जाम को लेकर रांची कुछ घंटों के लिए वाहनों पर ब्रेक लग गया। अलबर्ट एक्का चौक से जुड़ी सड़कों पर लोग घंटो जाम में फंसे रहे। पुलिस चक्का जाम में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर कोतवाली थाना ले आयी। 199 लोगों ने गिरफ्तारी दी, जिन्हें शाम में छोड़ दिया गया। चक्का जाम में भीम आर्मी, केंद्रीय सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद्, रांची महानगर सरना समिति, रांची जिला सरना समिति, महिला शाखा सरना समिति, बरियातू सरना समिति, बोडेया सरना समिति, कोकर सरना समिति, टुकी टोला सरना समिति, गीतिल कोचा सरना समिति, हटिया सरना समिति, रेन्डो सरना समिति एवं अन्य संगठन शामिल हुए।

जाम रहा पूरा शहर

चक्का जाम को लेकर शाम में पूरे दिन ट्रैफिक जाम रहा। ट्रैफिक पुलिस द्वारा जाम को लेकर पहले से कोई तैयारी नहीं की गयी थी। शहर में गाडि़यों को डाइवर्ट न करने कारण शहर के सारे मुख्य मार्गों पर गाडि़यां रेंगती दिखी। साथ ही प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने के लिए प्रशासन की तरफ से पहले से इंतजाम नहीं किया था ।

आदिवासी लंबे समय से कर रहे सरना कोड की मांग

फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासी लंबे समय से सरना कोड की मांग कर रहे हैं। सरकार ने मानसून सत्र में सरना धर्म कोड बिल पारित कर केंद्र भेजने का वादा किया था। परंतु सरकार के किसी भी विधायक-मंत्री ने सरना कोड के बारे में आवाज नहीं उठाया। 2021 की जनगणना 2 महीनों में शुरू होने वाली है। ऐसे में आदिवासियों को उनका संवैधानिक अधिकार नहीं दिया जाता है तो फिर से आदिवासियों को धर्मकोड की लड़ाई 2031 तक लड़नी पड़ेगी। इसका फायदा राजनीतिक पार्टी के लोग उठाते रहेंगे। जब चुनाव आएगा तो सरना कोड-सरना कोड चिलाएंगे मगर चुनाव जीतने के बाद वही नेता आदिवासियों को आंख दिखाने का काम करते हैं। कुछ लोगों ने सरना कोड को लेकर राजनीति शुरू कर दी है। वे नहीं चाहते कि आदिवासियों को उनका अधिकार मिले। नेता बनने के चक्कर में समाज को दरिया में झोंकने का प्रयास कर रहे हैं। फूलचंद तिर्की ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड बिल सदन से पारित कर केंद्र को भेजे। नहीं तो आदिवासी उग्र आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे। वहीं केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की ने कहा कि चक्का जाम में विभिन्न संगठनों का सहयोग रहा। पूरे जिले में सरना समाज के लोगों ने सड़क पर उतरकर सरना कोड की मांग की। कहा अब तो जाग जाएं आदिवासी।

Posted By: Inextlive