रांची: हाड़ कंपाने वाली ठंड में बीते चार दिनों से सर्विस एक्सटेंसन की डिमांड लिये लगभग एक हजार इंप्लॉई राजधानी के बिरसा चौक में धरने पर बैठे हैं। हर दिन प्रशासन और इन कर्मचारियों के बीच तू तू मैं मैं हो रही है। लेकिन न तो कर्मचारी पीछे हटने को तैयार हैं और न ही पुलिस इन्हें धरने में बैठे रहने की अनुमति दे रही है। हर रात पुलिस इन कर्मचारियों को खदेड़ती और हर रात ये कर्मचारी वापस धरने पर बैठ जाते हैं। दो दिन पहले 14वें वित्त के ये कर्मचारी पुराने विधान सभा भवन के समक्ष धरना दे रहे थे। लेकिन रात के दो बजे पुलिस यहां पहुंची और उनके धरना स्थल पर लगे तिरपाल फाड़ दिये और सभी कर्मचारियों को वहां से खदेड़ दिया गया, जिसके बाद ये लोग बिरसा चौक के समीप ही खुले आसमान के नीचे धरना दे रहे हैं।

17 दिसंबर से आंदोलन

14 वें वित्त के कर्मचारियों का धरना बीते 17 दिसंबर से ही जारी है। लेकिन बीते दिनों हेमंत सोरेन सरकार की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर इनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन देते हुए धरना खत्म करने को कहा गया था, जिसके बाद कर्मचारियों ने धरना समाप्त भी कर दिया है। लेकिन बीते 29 दिसंबर को किसी प्रकार की कोई घोषणा नहीं होने के कारण इन लोगों ने फिर से धरना शुरू कर दिया। कंपकंपाती ठंड में पूरी रात बैठने से कई कर्मचारियों की तबीयत भी बिगड़ चुकी है। इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। लेकिन सरकार न तो इन कर्मचारियों से वार्ता कर रही है और न ही कोई ठोस आश्वासन दे रही है। आंदोलन कर्मियों ने बताया कि उनकी नियुक्ति की संविदा 31 दिसंबर को समाप्त हो गई है। ऐसे में एक साथ हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। हमलोग सिर्फ सेवा विस्तार देने की मांग कर रहे हैं। अचानक नौकरी चले जाने से फाइनांशियल कंडीशन बिगड़ जाएगा। कर्मचारियों का कहना है जबतक सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा, धरना खत्म नहीं होगा।

क्या कहते हैं आंदोलनकारी

हम इधर धरना दे रहे हैं, उधर मेरे बुजुर्ग पिताजी घर से लापता हो गए हैं। अब हम अपनी नौकरी बचाएं या पिताजी को ढूंढने जाएं। कुछ समझ नहीं आ रहा है। सरकार हमलोगों की परेशानियों को समझ नहीं रही।

-जीवनदीप कुमार

बीते 17 दिनों से हमलोग यहां अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार को फर्क नहीं पड़ रहा। हजारों परिवारों पर मुसीबत आ गई है। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

-सुकेश कुमार

एक ओर सरकार रोजगार देने की बात करती है। दूसरी ओर जो युवा रोजगार में हैं उनसे रोजगार छीनने का काम कर रही है। यह हमलोगों के साथ अन्याय है।

-सीमा कच्छप

ठंडी रात में जैसे-तैसे काटते हैं। दिन में एक टाइम खिचड़ी खाकर गुजारा कर रहे हैं। जबतक मांग पूरी नहीं होगी हमलोग यहां से नहीं हटेंगे।

-पीयूष पांडेय

Posted By: Inextlive